विज्ञान


क्यों आया नेपाल में भूकम्प?

विजय कुमार उपाध्याय

25 अप्रैल 2015 (शनिवार) को नेपाल में वहाँ के मानक समय के अनुसार दिन में 11 बज कर 56 मिनट पर एक विनाशकारी भूकम्प आया जो 20 सेकंड तक धरती को हिलाता रहा। इस भूकम्प ने नेपाल मे भारी तबाही मचायी। इस भूकंप का अधिकेन्द्र नेपाल में लामजंग नामक स्थान से 34 किलोमीटर दक्षिण पूर्व दिशा में स्थित था। इस स्थान पर भूकम्प का उद्गम बिन्दु भूसतह से 15 किलोमीटर की गहराई पर स्थित था। इस गहराई पर उत्पन्न भूकम्प को छिछले (शैलो) भूकम्प की श्रेणी में रखा जाता है। ये भूकम्प अधिक गहराई पर उत्पन्न भूकम्प की तुलना में अधिक विनाशकारी साबित होते हैं।
शुरू-शुरू में यू.एस. जियोलॉजिकल सर्वे द्वारा लगाये गये अनुमान के अनुसार इस भूकम्प की तीव्रता रिक्टर पैमाने पर 7ण्5 बतायी गयी। परन्तु कुछ ही समय के बाद आँकड़े में सुधार कर तीव्रता 7ण्9 बतायी गयी। चीन के भूकम्प नेटवर्क केन्द्र के ऑकलन के अनुसार इस भूकम्प की तीव्रता रिक्टर पैमाने पर 8ण्1 बतायी गयी। भारतीय मीटियोरोलॉजिकल डिपार्टमेंट के अनुसार नेपाल में थोड़ी ही देर के अन्तराल पर दो भूकम्प आये। प्रथम भूकम्प की तीव्रता रिक्टर पैमाने पर 7ण्9 थी तथा इसका अधिकेन्द्र काठमांडू से लगभग 80 किलोमीटर पश्चिमोत्तर दिशा में स्थित था। यह स्थानभरतपुर से 53 किलोमीटर की दूरी पर है। दूसरे भूकम्प का अधिकेन्द्र (एजी सेंटर) काठमांडू से 65 किलोमीटर पूरब दिशा में स्थित था। इसकी तीव्रता रिक्टर पैमाने पर 6ण्6 आँकी गयी। इसका उद्गम केन्द्र भूसतह से 10 किलोमीटर की गहराई पर स्थित था। उसके बाद धीरे-धीरे 35 से अधिक पुनर्झटके आये जिनकी तीव्रता 4.5 से अधिक थी।
अब एक महत्वपूर्ण प्रश्न यह उठता है कि यह भूकम्प क्यों आया? यूएसजीएस (यूनाइटेड स्टेट्स जियोलॉजिकल सर्वे) के अनुसार इस भूकम्प का कारण था उस विशाल भ्रंश रेखा (मेजर फॉल्ट लाइन) पर संचित तनाव का अकस्मात मुक्त होना जहाँ भारतीय प्लेट (भूखंड) यूरेशियन प्लेज के अंदर घुसा है। भारतीय प्लेट में भारत है जबकि यूरेशियन प्लेट में यूरोप तथा एशिया के अधिकांश भाग शामिल हैं। एक अनुमान के अनुसार काठमांडू, जो भूपटल के 120 किलोमीटर लम्बे तथा 60 किलोमीटर चौड़े टुकड़े पर स्थित है, लगभग 3 मीटर दक्षिण की ओर खिसक गया है। यह खिसकान सिर्फ 30 सेकंड के अन्दर हो गया।
इस क्षेत्र में एक बड़े तथा विनाशकारी भूकंप की आशंका कुछ वैज्ञानिकों ने बहुत पहले ही व्यक्त कर दी थी। सन 2013 में हिन्दू नामक समाचार पत्र ने एक रिपोर्ट द्वारा लिये गये एक साक्षात्कार में विनोद कुमार गौड़ नामक भूविज्ञानवेत्ता ने बताया था कि उस क्षेत्र में भूपटल के नीचे पर्याप्त ऊर्जा एकत्र हो चुकी है जो रिक्टर पैमाने पर 8 तीव्रता वाले भूकंप को किसी भी समय जन्म दे सकती है। इसके विपरीत कुछ लोगों की धारणा थी कि निकट भविष्य में इस क्षेत्र में बड़ा भूकम्प आने की आशंका नहीं है। प्राकृतिक आपदाओं से निबटने वाली एक गैर सरकारी संस्था के संस्थापक ब्रायन टक्कर ने सन 1990 के दशक में एक सरकारी पदाधिकारी को कहते सुना था कि चूँकि इस क्षेत्र में सन 1934 में एक विनाशकारी भूकम्प आ चुका है, अतः निकट भविष्य में कोई बड़ा भूकम्प आने की आशंका नहीं है।
नेपाल भारतीय प्लेट तथा यूरेशियन प्लेट के टकराव क्षेत्र की दक्षिणी सीमा पर स्थित है। यह 2400 किलोमीटर लम्बी हिमालय पर्वमाला के केन्द्रीय या मध्य भाग में स्थित है। भूवैज्ञानिक दृष्टिकोण से नेपाल-हिमालय को पाँच भागों में विभक्त किया जा सकता है। दक्षिण से उत्तर की ओर क्रमशः बढ़ते हुए थे पाँच भाग हैं - (1) तराई समतल क्षेत्र (2) शिवालिक पहाड़ियाँ (3) महाभारत पर्वत श्रेणी, (4) उच्चतर हिमालय पर्वतीय क्षेत्र तथा (5) भीतरी हिमालय या तिब्बतीय क्षेत्र।
भूविज्ञानविदों द्वारा किये गये अध्ययनों एवं शोधों से पता चला है कि मध्य नेपाल में यूरेशियन प्लेट की ओर भारतीय प्लेट के आगे के भाग में चट्टानों के टूटने तथ खिसकने के कारण पैदा हुआ। इसका प्रभाव काठमांडू क्षेत्र में और अधिक बढ़ गया क्योंकि काठमांडू स्थित है काठमांडू द्रोणी (बेसिन) के ऊपर जहाँ 600 मीटर मोटी अवसादी शैलों की परत मौजूद है जो झील में अवसादन  (सेडिमेंटटेशन) का प्रतिनिधित्व करती है। यूरेशियन प्लेट तथा भारतीय प्लेट के टकराव क्षेत्र पर किये गये अध्ययन से संबंधित एक शोध पत्र सन 2014  में प्रकाशित हुआ था जिसमें बताया गया था कि प्रति 750़140 वर्ष के अन्तराल पर एक विनाशकारी भूकम्प आता है। परन्तु सन 1934 के बाद फिर 2015 में विनाशकारी भूकंप का आना सूचित करता है कि भूसतह के नीचे स्थित चट्टानों में तनाव बहुत ही अधिक बढ़ गया था। नेपाल में 25 अप्रैल के चार दिनों बाद 24 घंटे ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम से सर्वेक्षण करने पर पता चला कि भूकंप से पहले काठमांडू घाटी समुद्र तल से 1338 मीटर की ऊँचाई पर थी। भूकम्प के बाद यह ऊँचाई 1338.90 मीटर हो गयी है।
25 अप्रैल 2015 को नेपाल में आये विनाशकारी भूकम्प ने न सिर्फ नेपाल में तबाही मचायी अपितु नेपाल से सटे भारत, चीन, भूटान तथा बांग्लादेश भी इससे प्रभावित हुए। संयुक्त राष्ट्र के अनुसार इस भूकंप में छः लाख घर धराशायी हो चुके हैं और दो लाख तो ऐसे हैं जो पूर्णतः मिट्टी में मिल चुके हैं। नेपाल के सिंधुपाल चौक क्षेत्र में भूकंप से पूर्व 66 हजार मकान थे जिनमें अब केवल एक हजार ही ऐेसे हैं जो सही सलामत खड़े हैं गोरख जिले में लगभग 45 हजार मकान पूरी तरह नष्ट हो चुके हैं। भक्तापुर में शहर का एक चौथाई हिस्सा मिट्टी में मिल चुका है। जबकि आधा शहर अस्त-व्यस्त हो चुका है। लगभग 10700 सरकारी इमारतें धराशाली हो गयी हैं, जबकि 17741 को आंशिक रूप से नुकसान पहुँचा है। काठमांडू में 80 प्रतिशत प्राचीन इमारतें, मंदिर और स्मारक पूरी तरह से नष्ट हो चुके हैं। काठमांडू का दरबार स्क्वायर जो यूनेस्को का विश्व धरोहर स्थल (वर्ल्ड हेरिटेज साइट) है, पूर्णतः ध्वस्त हो चुका है। सन 1832 में निर्मित धरहरा टॉवर का भी वही हश्र हुआ। धरहरा टॉवर ध्वस्त होने के कारण उसमें मौजूद 180 लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी। गोरखा स्थित मनोकामना मंदिर भी बर्बाद हो गया। जानकी मंदिर का उत्तरी हिस्सा क्षतिग्रस्त हो गया। इसी प्रकार काठमांडू का काष्ठमंडप, नौ मंजिला बसन्तपुर दरबार तथा दशावतार मंदिर भी सुरक्षित नहीं बच पाये। लगभग 400 गिरजाघर भी धराशाही हो गये। इन गिरजाघरों में प्रार्थना करते लगभग 500 लोग काल कवलित हो गये। नेपाल से सटे भारत के कई राज्यों में भी इस भूकंप ने भयंकर विनाशलीला मचायी। सबसे बुरी तरह प्रभावित हुआ उत्तरी बिहार जहाँ असंख्य मकान ध्वस्त हो गये। भारत के अन्य प्रभावित राज्यों में शामिल हैं सिक्किम, भूटान, पष्चिम बंगाल, असम, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, दिल्ली तथा एन.सी.आर। नेपाल से काफी दूर स्थित भारत के दक्षिणी राज्यों में भी इसका प्रभाव देखा गया जिनमें शामिल थे उड़ीसा, मध्यप्रदेश, आंध्रप्रदेश तथा कर्नाटक।
नेपाल में आये इस विनाशकारी भूकम्प के कारण हिमालय के अनेक क्षेत्रों में भूस्खलन तथा बर्फ स्खलन का नजारा भी देखने को मिला। इसके कारण अनेक पर्वतारोहियों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा। मरने वालों में गूगल एक्सक्युटिव डैन फ्रेडिनबर्ग भी शामिल था। लांगटांग नामक गाँव बर्फ स्खलन की चपेट में आकर पूरी तरह बर्बाद हो गया। बर्फ स्खलन तथा भूसखलन से नेपाल के विभिन्न क्षेत्रों में काफी नुकसान हुआ।
नेपाल में 26 अप्रैल 2015 को वहाँ के मानक समय के अनुसार दिन में 12 बज कर 55 मिनट पर भूकंप का एक जोरदार झटका अनुभव किया गया जिसकी तीव्रता रिक्टर पैमाने पर 6ण्7 आँकी गयी। इसका अधिकेन्द्र नेपाल में कोडारी नामक स्थान से 17 किलोमीटर दक्षिण स्थित था। इसका उद्गम बिन्दु भूसतह से 10 किलोमीटर की गहराई पर स्थित था। यूएसजीएस के अनुसार यह भूकम्प एक भ्रंश के कारण आया। यह भ्रंश सतह 150 किलोमीटर लम्बी तथा 50 किलोमीटर चौड़ी थी तथा क्षैतिज से 11 डिग्री झुकी हुई थी। इस भूकम्प के कारण मरनेवालों की संख्या 7800 से अधिक है, जबकि घायलों की संख्या 14500 से अधिक है। नेपाल के प्रधानमंत्री सुशील कोइराला ने अंदेशा जताया है कि मरने वालों की संख्या 10 हजार से अधिक हो सकती है। विशेषज्ञों का मानना है कि मरने वालों की संख्या 10 हजार से अधिक हो सकती है। विशेषज्ञों का मानना है कि करने वालों की संख्या 26 हजार तक पहुँच सकती है। कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि घायलों की संख्या 14ए000 से अधिक हो सकती है।

drupadhyay.vk@gmail.com