कॅरियर


आर्किटेक्चर

संजय गोस्वामी
 
 
आर्किटेक्ट का हर प्रॉजेक्ट अनोखा होता है और यह चुनौती भरा होता है। पहले प्लाट की भौतिक स्थिति का विश्लेषण करना होता है। प्रस्तावित प्लाट की साइट पर जाकर देखना महत्वपूर्ण है इसके बिना आगे के कार्य का आंकलन करना कठिन हो जाता है। इससे पूर्व में भी इन-हाउस के मार्ग में कठिनाईयों के साथ-साथ वास्तुकला की विभिन्न योजनाओं को ग्राहकों के साथ परिचर्चा करने के बाद कई अवधारणाओं को उनके सामने रखा जाता है और उनमें से अच्छे का चयन करने के लिए कहा जाता है। प्रॉजेक्ट करना चुनौती भरे होते हैं और इनमें कार्य करने में मजा आता है। आज आर्किटेक्चर का अर्थ केवल भवन निर्माण भूकंपीय मूल्यांकनकर्ता , नागरिक इंजीनियरिंग, प्रबंधन और निरीक्षण सभी संदर्भों में लिया जा सकता है। 
आज आर्किटेक्टस दुनिया में इमारत की पुरानी शैली में काफी बदलाव किया है आर्किटेक्ट की सबसे अच्छी डिजाइन दुनिया में कुछ स्थानों में देखी जा सकती है जैसे कि बुर्ज खलीफा इमारत दुबई में आठ अरब डॉलर की लागत से छह साल में निर्मित 828 मीटर ऊंची 168 मंजिला दुनिया की सबसे ऊंची इमारत है (जनवरी, सन् 2010 में)। इसका लोकार्पण 4 जनवरी, 2010 को भव्य उद्घाटन समारोह के साथ किया गया। इसमें तैराकी का स्थान, खरीदारी की व्यवस्था, दफतर, सिनेमा घर सहित सारी सुविधाएँ मौजूद है। इसकी 76 वीं मंजिल पर एक मस्जिद भी बनाई गई है। इसे 96 किलोमीटर दूर से भी साफ-साफ देखा जा सकता है। इसमें लगाई गई लिफ्ट दुनिया की सबसे तेज चलने वाली लिफ्ट है। ‘‘ऐट द टॉप’’ नामक एक आउटडोर अवलोकन डेक, 124 वी मंजिल पर, 5 जनवरी 2010 पर खुला। यह 452 मीटर (1ए483 फुट) पर, दुनिया में तीसरे सर्वोच्च अवलोकन डेक और दुनिया में दूसरा सबसे बड़ा आउटडोर अवलोकन डेक है। 
शिकागो के आर्किटेक्ट एड्रियन स्मिथ आसमान छूने वाली इमारतों की डिजाइन के लिए मशहूर हैं। उन्होंने, विश्व की सबसे ऊंची बिल्डिंग दुबई की बुर्ज खलीफा (ऊंचाई 2722 फीट) सहित कई विराट इमारतों को संवारा है। अब वे और आगे जा रहे हैं। स्मिथ और उनके पार्टनर गॉर्डन गिल जेद्दा, सऊदी अरब में किंगडम टावर के निर्माण से जुड़े हैं। जब यह 2019 में पूरी होगी तब एक किलोमीटर से अधिक या 3281 फीट ऊंची पहली बिल्डिंग होगी। इस विशाल भवन में 59 लिफ्ट होंगी। पांच लिफ्ट दो मंजिला होंगी ताकि वे एक बार में दो मंजिलों तक रुक सकें। बिल्डिंग की 157 मंजिलों का उपयोग किया जा सकेगा। निर्माण में 80 हजार टन स्टील लगेगा। सऊदी अरबपति प्रिंस अलवालीद बिन तलाल जेद्दा के नए उपनगर किंगडम सिटी में इसका निर्माण करा रहे हैं। 
किंगडम टावर के बाहरी हिस्से पर ढलान होगी जो चारों तरफ से आने वाले हवा के बवंडर को खत्म कर देगी। आमतौर पर गगनचुंबी इमारतों का निर्माण आर्किटेक्ट ऊंची बिल्डिंग का मॉडल अपने पास रखते हैं। आर्किटेक्ट बताते हैं, बहुत रिसर्च के बाद मॉडल बनाया गया है। नए तारामंडल के लिए खगोल विज्ञान के सिद्धांतों पर आधारित वास्तुकला होगी जो नक्षत्र-भवन का निर्माण के लिए   बनाया जाता है।  इसके लिए आर्किटेक्चर के साथ- साथ  खगोल विज्ञान का ज्ञान होना महत्वपूर्ण है।

भारत में वास्तुकला 

प्राचीन भारतीय कलाएं धर्म के वटवृक्ष की छत्रछाया में पल्लवित हुईं जिसकी परिणति मंदिरों व उनकी कलात्मक मूर्तिकला में हुई है। विश्व का सबसे प्रसिद्ध तिरुपति मंदिर वास्तु और उसके सिद्धांतों को पालन करने वाला जीवंत उदाहरण है। वास्तु शास्त्र के सिद्धांत को अमल में लाने के कारण ही इसकी प्रसिद्धि और समृद्धि बढ़ी यह भारत का सबसे प्राचीन मंदिर है। भारत के तमिल नाडु राज्य के मदुरई नगर, में स्थित एक ऐतिहासिक मन्दिर, मीनाक्षी मन्दिर है। इस मन्दिर का स्थापत्य एवं वास्तु आश्चर्यचकित कर देने वाला है, जिस कारण यह आधुनिक विश्व के सात आश्चर्यों की सूची में प्रथम स्थान पर स्थित है, एवं इसका कारण इसका विस्मयकारक स्थापत्य ही है। अन्य स्थानों में कांचीपुरम का कामाक्षी मन्दिर, तिरुवनैकवल का अकिलन्देश्वरी मन्दिर एवं वाराणसी का विशालाक्षी मन्दिर प्रमुख हैं।
मुगल वास्तुकला के प्रतीक के तौर पर ताज महल का भारतीय उपमहाद्वीप में बड़ा महत्व है। इस मकबरे और इसके परिसर के आसपास के भवन मुगल इतिहास और मुगल वास्तुकला दोनों के सबक हैं। सुलेखों, जटिल नक्काशी, भवनों के सही अनुपात और निर्माण की सटीक ज्यामितीय के अध्ययन से कोई भी ना सिर्फ उस समय के शिल्प कौशल पर हैरान हो जाएगा, बल्कि इस कालातीत चमत्कार के पीछे की प्रेरणा पर भी। इतिहास के विद्वान, आर्किटेक्ट, कपड़े और गहनों के डिजाइनर, चित्रकार और फोटोग्राफर सब को इस प्रेम के स्मारक और खूबसूरत आश्चर्य के ऐतिहासिक मकबरे से प्रेरणा मिली है। ताज महल का महत्व सिर्फ भारतीय उपमहाद्वीप में मुगल वास्तुकला के प्रतीक के तौर पर ही नहीं है, बल्कि मुगल काल और हाल के दिनों के दूसरे स्मारकों की प्रेरणा के तौर पर भी है। ताज महल से प्रेरित कुछ अन्य इमारते हैंरू महाराष्ट्र के औरंगाबाद में बीबी का मकबरा, बांग्लादेश में ढाका के पास सोनारगांव में सन् 2008 में बनी ताज महल की प्रतिकृति, विस्कान्सिन में त्रिपोली मंदिर जो कि कोई धार्मिक इमारत नहीं है बल्कि मूरों की पुनरुद्धार वास्तुकला का उदाहरण है।

मांग 

निर्माण के क्षेत्र में आज जिसकी अत्यधिक मांग है। मुख्य रूप से बिल्डिंग कंपनियों, सार्वजनिक क्षेत्र, स्थानीय निकायों, सरकारी एजेंसियों, शहरी विकास मंत्रालय, रक्षा मंत्रालय, संरक्षण ट्रस्टों और सर्वेयर कंपनियों के लिए काम करते हैं। काम के मुताबिक उन्हें अपना आउटपुट देना होता है। आर्किटेक्चर का स्वरूप समाज की संरचना पर निर्धारित होता है। इसे घरेलू, जातीय, सरकारी, मनोरंजक, कल्याणकारी तथा शैक्षणिक किस्मों में बांटा जा सकता है। अब व्यावसायिक तथा औद्योगिक श्रेणियां भी इसमें शामिल हो गई हैं। पुरानी इमारतों, ढांचों आदि के पुनर्निर्माण में भी आर्किटेक्ट की विशेष भूमिका होती है। आमतौर पर आर्किटेक्ट का कार्य तब आरंभ होता है, जब किसी भवन के निर्माण से जुड़ी मूलभूत बातें मसलन स्थान व बजट आदि तय हो चुके होते हैं। आर्किटेक्ट भवन का खाका, निर्माण सामग्री, श्रम तथा साधन की योजना बनाता है। आर्किटेक्ट, फर्म या कंपनी से भी अपना कैरियर आरंभ कर सकते हैं। अपना बिजनेस करके एक आर्किटेक्ट बेहतर कमाई कर सकता है और यह कमाई लाखों रुपए भी हो सकती है। प्लानिंग के लोग इस क्षेत्र से जुड़े हुए हैं इस फील्ड की पढ़ाई करते हैं उन्हें आर्किटेक्चर और बिल्डिंग्स के डिजाइन के बारे में बताया जाता है।

करियर 

एक कुशल आर्किटेक्ट वही है, जो कल्पना और वास्तविकता के बीच सही संतुलन स्थापित करता है। आर्किटेक्ट ग्राहक की आवश्यकता, वित्तीय स्थिति आदि को देखकर उसकी कल्पना को अपने कौशल से साकार करने का प्रयास करता है। देश-विदेश में फैली इमारतों, मंदिरों व अन्य व्यावसायिक परिसरों की संरचना, शिल्प आदि को देखकर अकसर यह ख्याल आता है कि  आखिर बनाया कैसे गया होगा? यह कमाल है आर्किटेक्ट का। आर्किटेक्चर के कोर्स में बिल्डिंग आर्किटेक्ट, वाणिज्यिक आर्किटेक्ट,आंतरिक डिजाइनर, ग्रीन डिजाइन आर्किटेक्ट, लैंडस्केप आर्किटेक्ट, संरचनात्मक इंजीनियरिंग, औद्योगिक आर्किटेक्ट, संग्रहालय आर्किटेक्ट, मंदिर आर्किटेक्ट, शिप आर्किटेक्ट आदि बहुत अच्छे कोर्स हैं टेम्पल आर्किटेक्चर स्थापत्य और मूर्ति का गहन सम्बन्ध है। मंदिर महल निवास स्तंभ आदि सभी में कुछ न कुछ तराशा जाता है। प्रोजेक्ट कठिन और चुनौती से भरे होते हैं विशेषकर उन स्थिति में जहाँ विभिन्न परिचालक होते हैं और हर किसी के पास अपना-अपना ब्रॉड स्तर होता है जिनको ध्यान में रखकर कार्य करना पड़ता है। वास्तु शास्त्र के चुनौतियों को पार करने की सबसे प्रमुख कुंजी उसमें आने वाली बड़ी बाधा अर्थ और ग्राहकों के मन की हैं। मंदिर आर्किटेक्चर के क्षेत्र में मंदिर निर्माण तीन तरीकों से किया जा सकता है- स नागर शैली स द्रविण शैली स वेसर शैली। 
नागर शैली का प्रसार हिमालय से लेकर विंध्य पर्वत माला तक देखा जा सकता है। वास्तुशास्त्र के अनुसार नागर शैली के मंदिरों की पहचान आधार से लेकर सर्वोच्च अंश तक इसका चतुष्कोण होना है। यह शैली दक्षिण भारत में विकसित होने के कारण द्रविण शैली कहलाती है। इसमें मंदिर का आधार भाग वर्गाकार होता है तथा गर्भगृह के उपर का भाग पिरामिडनुमा सीधा होता है, जिसमें अनेक मंजिलें होती हैं। इस शैली के मंदिरों की प्रमुख विशेषता यह हे कि ये काफी ऊँचे तथा विशाल प्रांगण से घिरे होते हैं। प्रांगण में छोटे-बड़े अनेक मंदिर, कक्ष तथा जलकुण्ड होते हैं। वेसर शैली-वेसर शैली नागर और द्रविड़ शैली के मिश्रित रूप को बेसर शैली है। यह विन्यास में द्रविड़ शैली का तथा रूप में नागर जैसा होता है। इस शैली के मंदिर विन्ध्य पर्वतमाला से कृष्णा नदी के बीच निर्मित हैं। गवर्नमेंट कॉलेज ऑफ आर्किटेक्चर एंड स्कल्पचर, मामलपुरम ,सरकारी कॉलेज ऑफ आर्किटेक्चर और मूर्तिकला, भारतीदासन यूनिवर्सिटी, तिरुचिरापल्ली में टेम्पल आर्किटेक्चर कोर्स में एडमिशन के लिए आवेदन आमंत्रित हैं, संस्थान द्वारा प्रदान किए जाने वाले कोर्स/कार्यक्रम, चार साल की टेम्पल आर्किटेक्चर, मंदिर संरचनात्मक की  डिग्री पाठ्यक्रम की जाती है। संस्थान में पारंपरिक आर्किटेक्चर में बीटेक पारंपरिक वास्तुकला में बीटेक, परंपरागत मूर्तिकला में बीएफए डिग्री, पारंपरिक ड्राइंग और पेंटिंग में बीएफए डिग्री हैं। सरकारी कॉलेज ऑफ आर्किटेक्चर और मूर्तिकला में बीटेक टेम्पल आर्किटेक्चर एंड स्कल्पचर के लिए आवेदन आमंत्रित हैं, संस्थान में प्रदान किए गए कोर्स /कार्यक्रम, पारंपरिक वास्तुकला में बीटेक, परंपरागत मूर्तिकला में बीएफए डिग्री, पारंपरिक ड्राइंग और पेंटिंग में बीएफए डिग्री है। 

शैक्षणिक योग्यता

आर्किटेक्चर के क्षेत्र में कैरियर बनने हेतु 12वीं कक्षा में गणित विषय होना नितांत आवश्यक है। भौतिकी, रसायन व गणित के साथ बारहवीं उत्तीर्ण कोई भी विद्यार्थी आर्किटेक्चर (स्नातक) के कोर्स में दाखिला ले सकता है। बैचलर ऑफ आर्किटेक्चर (ठ।तबी) पांच वर्षीय पाठ्यक्रम है। अधिकांश संस्थानों में बीआर्क में दाखिले के लिए लिखित परीक्षा ली जाती है। इस क्षेत्र में पोस्ट ग्रेजुएशन पाठ्यक्रम डेढ़ से दो साल का है। आज भारत में दो सबसे महत्वपूर्ण आर्किटेक्चर प्रवेश परीक्षा हैं सबसे पहले है नाता (वास्तुकला में राष्ट्रीय योग्यता परीक्षा) और दूसरा एआईईई है। दाखिले के लिए प्रतिवर्ष काउंसिल ऑफ आर्किटेक्चर, एक अखिल भारतीय स्तर पर वास्तुकला में राष्ट्रीय योग्यता परीक्षण (एनएटीए) एप्टीट्यूड परीक्षा संचालित करता है आप बीआर्क प्रवेश के लिए केन्द्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) द्वारा आयोजित बैचलर ऑफ आर्किटेक्चर एआईईईई-बीएआरच में और नाटा (एनए टीए) जेईई दे सकते है। कुछ स्वायत्त इंजीनियरिंग कालेज स्वयं द्वारा संचालित परीक्षा के आधार पर प्रवेश देते हैं। । नाटा (एनए टीए) जेईई के लिये 10़2 में गणित में 50: अंकों की आवश्यकता होती है नाटा प्रवेश परीक्षा में गणित, सामान्य योग्यता ड्राइंग के प्रश्न पूछे जाते हैं प्रवेश परीक्षा में गणित के साथ उम्मीदवार के स्थापत्य जागरूकता, सौंदर्य संवेदनशीलता और सामान्य योग्यता का परीक्षण करते हैं। यह कोर्स का अध्ययन कला के छात्रों के लिए भी अच्छा है। जहाँ आप बीएफए के बाद टेम्पल आर्किटेक्चर का कोर्स कर सकते हैं। अगर आपके पास आर्किटेक्चर में डिग्री होगी, तो आप आइआइटी से इंडस्ट्रियल डिजाइनिंग में मास्टर्स कर सकते हैं। इस स्ट्रीम में आप बैचलर और मास्टर डिग्री दोनों कर सकते हैं। आर्किटेक्चर के मुख्य कोर्सों में आप डिग्री इन आर्किटेक्चर, मास्टर डिग्री इन आर्किटेक्चर, पोस्ट ग्रेजुएट कोर्स इन आर्किटेक्चर, सर्टिफिकेट डिप्लोमा कोर्स इन आर्किटेक्चर, डिप्लोमा कोर्स इन आर्किटेक्चर, एडवांस्ड सर्टिफिकेट कोर्स इन आर्किटेक्चरल, बैचलर डिग्री इन आर्किटेक्चर टेक्नॉलॉजी एंड कंस्ट्रक्शन, बेसिक कोर्स इन आर्किटेक्चरल ड्राफ्ट्समैन, मास्टर ऑफ लैंडस्केप आर्किटेक्चर कोर्स, शॉर्ट टर्म कोर्स इन 3-डी आर्किटेक्चरल डिजाइनिंग, सस्टेनेबल कोर्स इन आर्किटेक्चर और डिग्री कोर्स इन आर्किटेक्चर इत्यादि कोर्स आप कर सकते हैं। आर्किटेक्ट में नवल आर्किटेक्चर के पाठ्यक्रम भी है। इस कोर्स में दाखिले के लिए सीईटी (कॉमन एडमिशन टेस्ट) आयोजित करता है जिसे कंडक्ट करती है आईएमयू (इंडियन मेरिटाइम यूनिवर्सिटी)। एडमिशन लेने के लिए अभ्यर्थी को 12वीं पास होना जरूरी है।

संभावनाएं 

निर्माण क्षेत्र में तेजी और मांग की तुलना में कम आपूर्ति आर्किटेक्ट के लिए खासी रोजगार की संभावनाएं पैदा कर रहा है। प्रतिवर्ष हजारों आर्किटेक्टों की आवश्यकता होती है। सरकारी तथा गैर सरकारी संस्थानों में जहाँ निर्माण संबंधी कामकाज होता है, आर्किटेक्ट की जरूरत होती है। अतः इस क्षेत्र में रोजगार की खासी संभावनाएं हैं। देश में होने वाली औद्योगिक और आर्थिक गतिविधियों में बढ़ोतरी को देखते हुए इस क्षेत्र में रोजगार की संभावनाओं में लगातार वृद्धि हो रही है और इस कारण सरकारी और निजी क्षेत्रों में रोजगार की संभावनाएं देखी जा सकती हैं। एक योग्य आर्किटेक्ट सरकारी संगठनों जैसे-सेंट्रल और स्टेट पब्लिक वर्क डिपार्टमेंट्स, हाउसिंग और अर्बन डिवेलपमेंट कारपोरेशंज, म्यूनिसिपैलिटीज, सिटी डिवेलपमेंट अथॉरिटीज और स्टेट हाउसिंग बोर्डों इत्यादि में बेहतर रोजगार प्राप्त कर सकता है। इसके साथ ही इंडस्ट्रियल वेंचर्ज, कंसल्टेंसी एंड प्राइवेट आर्किटेक्चरल फर्मों, टीचिंग संस्थानों, रीयल एस्टेट डिवेलपमेंट फर्मों में भी योग्य आर्किटेक्चरों की आवश्यकता रहती है। इसके अलावा आप प्राइवेट प्रैक्टिस भी कर सकते हैं। किसी संगठन से कुछ वर्षों का अनुभव लेकर आप अपना बिजनेस भी कर सकते हैं।

फील्ड 

आर्किटेक्टों की डिमांड के अनुसार इस फील्ड में ट्रेंड प्रोफेशनल्स के लिए स्कोप भी बढ़ा है, लेकिन यह केवल उन्हीं के लिए है, जो अपने विषय के साथ-साथ इसमें प्रयोग होने वाली नई टेक्नॉलॉजी में भी पूरी तरह से निपुण अतिरिक्त तथ्य प्रदर्शन के लिये विविध प्रकार के अन्य उपकरण, जैसे उच्चावचन मॉडल, गोलक, मानारेख आदि भी बनाए जाते हैं। आर्किटेक्चर में विज्ञान, सौंदर्यमीमांसा तथा तकनीक का मिश्रण है। साथ ही अन्य कौशल का होना भी जरूरी है, जैसे- उत्कृष्ट डिजाइन, भूगोल के लिए जुनून, और आईटी कौशल, अच्छी स्थानिक जागरूकता, विश्लेषणात्मक कौशल आदि। कम्प्यूटर का बढ़ता प्रयोग मौजूदा दौर में आर्किटेक्चर में ज्यादातर काम कम्प्यूटर की मदद से अंजाम दिए जाते हैं, मसलन डिजाइन, ब्लू प्रिंट, मॉडल, लागत गणना, थ्री डी मॉडल, कंस्ट्रक्शन मैनेजमेंट, लेआउट टेस्टिंग, और ढांचागत डिजाइन का जांच करते हैं। 
 

मुख्य संस्थान

  • प्लानिंग एंड आर्किटेक्चर कालेज (एसपीए), नई दिल्ली 
  • सेप्ट यूनिवर्सिटी, अहमदाबाद
  • चंडीगढ़ वास्तुकला कॉलेज, चंडीगढ़
  • आर्किटेक्चर विभाग, आईआईटी रुड़की 
  • नेशनल इंस्टीच्यूट आफ टेक्नॉलॉजी, हमीरपुर
  • चित्कारा यूनिवर्सिटी, बरोटीवाला
  • अर्नी यूनिवर्सिटी, काठगढ़, इंदौरा, कांगड़ा
  • महर्षि मार्कंडेश्वर यूनिवर्सिटी, सोलन
  • बाबा साहेब अंबेडकर गवर्नमेंट पोलीटेक्नीक, गगरेट
  • गवर्नमेंट पोलीटेक्नीक, सुंदरनगर
  • गुरु नानक देव यूनिवर्सिटी, अमृतसर
  • गुरु रामदास स्कूल आफ प्लानिंग, अमृतसर
  • कॉलेज आफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नॉलॉजी, बठिंडा
  • सीआर स्टेट कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग, मूरथल, हरियाणा
  • चंडीगढ़ आफ आर्किटेक्चर, चंडीगढ़
  • श्री वैष्णो देवी यूनिवर्सिटी, जम्मू
  • जे.जे.वास्तुकला कालेज, मुंबई 
  • आर्किटेक्चर, विभाग, एनआईटी तिरुचिरापल्ली
  • गवर्नमेंट कॉलेज ऑफ फाइन आर्ट्स, चेन्नई
  • गवर्नमेंट कॉलेज ऑफ फाइन आर्ट्स, कुंबकोणम
  • गवर्नमेंट कॉलेज ऑफ आर्किटेक्चर एंड स्कल्पचर, मामलपुरम
  • विश्वकर्मा इंस्टीट्यूट ऑफ सेक्रेड आर्किटेक्चर, चेन्नई
  • इंजीनियरिंग और प्रौद्योगिकी संस्थान, शिवाजी पार्क, अकोला-444001
  • मदुरै इंजीनियरिंग, कॉलेज मदुरै तमिलनाडु
  • टीकेएम कॉलेज केरल इंजीनियरिंग, कोल्लम 
  • रीजनल इंजीनियरिंग कॉलेज, तिरुचिरापल्ली, तमिलनाडु - 620015

goswamisanjay80@yahoo.com