कॅरियर


प्रिंटिंग प्रौद्योगिकी

संजय गोस्वामी
 
इंटरनेट का इस्तेमाल चाहे कितना ही क्यों न बढ़ जाए मगर किताबों और प्रिंटिंग तकनीक का महत्व कहीं कम होता नजर नहीं आ रहा है। शिक्षा के वैश्वीकरण से अब पूरी दुनिया सिमटकर छोटी होती जा रही है और इस परिवर्तन में प्रिंटिंग प्रौद्योगिकी (प्रिंटिंग तकनीक) की सराहनीय भूमिका रही है। यही कारण है कि विगत कुछ वर्षों में प्रिंटिंग प्रौद्योगिकी का बहुत तीव्र गति से विकास हुआ है। यह प्रिंटिंग प्रौद्योगिकी का ही करिश्मा था जब काला धन को रोकने के लिये सरकार ने अचानक 8 नवम्बर 2016  को 500ध्. और 1000ध्. के पुराने नोट को बंद किया और जल्दी से 500ध्. और 2000ध्. का नया नोट जारी हो गए जिससे काला धन को रोकने में सरकार सफल रही। इसलिए एक अच्छा प्रिंटिंग प्रौद्योगिकीविद् को मुद्रण सामग्री की गुणवत्ता, सुरक्षा विशेषताएं, कागज की गुणवत्ता, रंग संयोजन, ग्राफि़क्स रिज़ॉल्यूशन का ज्ञान होना आवश्यक है।  छपाई केवल कागज तक सीमित नहीं है प्रिंटिंग प्रौद्योगिकी में तेजी से नवोन्मेष के कारण आज हम प्लास्टिक, कपड़ा, लकड़ी, सिरेमिक, धातु आदि में भी आश्चर्य जनक छपाई कर रहे हैं। अपने खुद के डिजिटल तस्वीर मग में छपा पाते हैं,ये प्रिंटिंग प्रौद्योगिकी का ही कमाल है। जिसमें सिरेमिक डिजिटल प्रिंटिंग सिस्टम का उपयोग करके आश्चर्य जनक कस्टम आर्ट वर्क बनाते हैं। इसलिए प्रिंटिंग इंजीनियर की सिरेमिक, कपड़ा, प्लास्टिक उद्योग में भी मांग है। प्रिंटिंग इंजीनियर की प्रिंटिंग सिस्टम फोटो-कॉपी और टोनर्स उद्योग में बड़ी आवश्यकता है। टोनर्स उद्योग में टोनर्स के साथ, सॉल्वेंट्स या अन्य सिस्टम द्वारा उत्पन्न अन्य तरल कचरे का अपशिष्ट प्रबंधन किया जाता है, टोनर पाउडर कुछ समय के लिए हवा में निलंबित रहते हैं, और अक्रिय धूल के साथ में मिलकर अस्थमा या ब्रोंकाइटिस जैसे वाले लोगों के लिए परेशानी हो सकती है। 

प्रिंट तकनीक 

प्रिंट तकनीक का आविष्कार 14वीं सदी में यूरोप के जोहान्स गुटेनबर्ग ने किया था। जोहान्स गुटेनबर्ग टाइप के माध्यम से मुद्रण विद्या का आविष्कारक था। इन्होनें सन 1439 में प्रिंटिंग प्रेस की रचना की जिसे एक महान आविष्कार माना जाता है। इन्होंने मूवेबल टाइप की भी रचना की। इनके द्वारा छापी गयी बाइबल गुटेनबर्ग बाइबल के नाम से प्रसिद्ध है। आज जोहान्स गुटेनबर्ग प्रिंटिंग के पिता के रूप में लोकप्रिय है। प्रिंटिंग इंजीनियर का काम काफी जिम्मेदारी भरा होता है। एक कुशल प्रिंटिंग इंजीनियर बनने के लिए व्यवसाय और तकनीक की अच्छी समझ होनी चाहिए। क्योंकि उसे न सिर्फ प्रिंटिंग इंजीनियर का खाका खींचना होता है बल्कि मॉडल में कंपनी और ग्राहक की जरूरतों के मुताबिक बदलाव भी करना पड़ता है। इसके अलावा वह प्री-डिजाइन फेज में प्रिंट का सही डिजाइन बिन्दुओं का निर्धारण भी करता है। इसके बाद प्रिंट एनालिसिस फेज आता है। जिसके तहत प्रिंट विश्लेषण, आपके वर्तमान मुद्रण लागत और प्रिंट प्रबंधन से जरूरी क्षेत्रों को डाक्यूमेंटेशन किया जाता है। इसके बाद प्रिंटिंग द्वारा पत्र-पत्रिकाओं का प्रकाशन किया जाता है। इसके अलावा कस्टम ऑपरेटरों को प्रशिक्षित करना भी नई प्रणाली की सफलता के लिए आवश्यक होता है। इसलिए प्रिंटिंग इंजीनियर को उनके प्रशिक्षण और नई प्रिंटिंग प्रणाली के रख-रखाव की व्यवस्था भी करनी पड़ती है। 

क्षेत्र 

आज भारत में हर क्षेत्र में प्रिंटिंग प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल जोरों पर जारी है। तेजी से फल-फूल रहे प्रिंटिंग उद्योग के मौजूदा हालातों पर नजर दौड़ाएँ तो आज भारत में विदेशी काम की भरमार है। इसका एक अहम कारण यहाँ प्रिंटिंग का सस्ता होना है। ऐसे में जब तकनीकी क्षेत्र में लगातार विस्तार हो रहा है और छापेखाने से हुई प्रिंटिंग शुरुआत ऑफसेट प्रिंटिंग तक पहुँच गई है तो इस क्षेत्र में कॅरियर की भी अनंत संभावनाए हैं। एक ऑकलन के मुताबिक आज हमारे देश में छोटे-बड़े, नए-पुराने कुल मिलाकर लगभग 50 हजार से अधिक प्रिंटिंग प्रेस कार्यरत हैं। जिनमें करीब 10 लाख लोगों को रोजगार मिला हुआ है। इन प्रिंटिंग प्रेसों से विभिन्न भाषाओं की लाखों पत्र-पत्रिकाएँ मुद्रित होती हैं। नई प्रिंटिंग प्रणाली जैसे डिजिटल मुद्रण लेजर प्रिंटर, से मुद्रित पत्र-पत्रिकाओं की संख्या सबसे अधिक है। इस प्रकार प्रकाशन एवं प्रिंटिंग व्यवसाय के क्षेत्र में रोजगार की संभावनाओं को देखते हुए यह कहा जा सकता है कि प्रिंटिंग प्रौद्योगिकी की शिक्षा हासिल करने वाले युवाओं के लिए रोजगार की संभावनाएँ हैं। इस क्षेत्र में सफलता के लिए कैंडीडेट में क्रिएटिविटी, कस्टमर सर्विस स्किल, विश्लेषण और समस्याओं को समाधान करने की क्षमता बेहद जरूरी है। इस क्षेत्र में कम्प्यूटर शिक्षा भी अतिरिक्त लाभ देता है यह ऐसा क्षेत्र है जिसमें वेतन भी उच्च स्तर का मिलता है। एक कुशल प्रिंटिंग इंजीनियर बनने के लिए कागज का आकार और प्रकार और गुणवत्ता, सभी पेपर (।4 या ।3) सेटअप विकल्प, स्याही का संयोजन, पृष्ठों की सटीक संख्या और मोटाई, ग्राफि़क्स रिज़ॉल्यूशन, आकार, अच्छी पैकेजिंग आदि का ज्ञान होना अति आवश्यक है। प्रिंटिंग के डिजाइन, निर्माण, संशोधन, विश्लेषण या अनुकूलन में सहायता के लिए कम्प्यूटर सिस्टम (या वर्क स्टेशन) का उपयोग होता है।

नए शोध

3क् प्रिंटिंग के माध्यम से बहुत सी त्रिआयामी वस्तुएं बनाई जा सकती हैं शुरुआत साधारण वस्तुओं से भले ही हुई हो परन्तु 3क् प्रिंटिंग तकनीक से बनायी जा सकने वाली वस्तुओं की संख्या प्रतिदिन बढती जा रही है। 
3क् प्रिंटिंग प्रौद्योगिकी ने औद्योगिक क्षेत्र में क्रांति ला दी है। थोड़े दिन पहले एक ऐसा थ्रीडी प्रिंटर बनाया गया था, जिससे किसी प्लास्टिक की चीज बनाई जा सके। अब चीन में 3क् प्रिंटिंग प्रौद्योगिकी से घर बनाए गए हैं। नासा के वैज्ञानिकों ने 3क् प्रिंटेड धातु वस्त्र विकसित किया है जिसका इस्तेमाल अंतरिक्ष यात्रियों के स्पेससूट या अंतरिक्षयान के लिए कवच के तौर पर किया जा सकता है। मोड़े जा सकने योग्य वस्त्र बड़े ऐंटेना और अन्य उपकरणों के लिए भी उपयोगी हो सकते हैं।  इन वस्त्रों के तेजी से आकार बदले जा सकते हैं। इसका एक और संभावित इस्तेमाल बृहस्पति के यूरोपा जैसे बर्फीले चंद्रमा के लिए हो सकता है जहाँ ये वस्त्र अंतरिक्षयान में उपयोगी हो सकते हैं। मशीन का हिस्सा/पुर्जे को 3क् प्रिंटिंग के माध्यम से घर पर ही बना लिया जायेगा, करना सिर्फ इतना है उस पुर्जे की कम्प्यूटर-एडेड डिज़ाइन, सीएडी फाइल इन्टरनेट से डाउन लोडकर और प्रिंटिंग के लिए 3क् प्रिंटर का प्रयोग कर मशीन का पुर्जा बना सकते हैं दुनिया भर में अभी बहुत सारे लोग 3क् प्रिंटिंग के बारे में सोच रहे हैं, लेकिन अमरीका के एमआईटी (मैसेचुसेट्स इंस्टिच्यूट ऑफ़ टेक्नॉलॉजी) के वैज्ञानिक़ों ने दावा किया है कि वो इससे भी विकसित तकनीक 4क् प्रिंटिंग पर काम कर रहे हैं। स्काइलर टिब्बिट्स के अनुसार 4क् तकनीक का इस्तेमाल उन जगहों में किसी चीज़ को स्थापित करने में किया जा सकता है एमआईटीके ‘सेल्फ ़एसेंबली लैब’ से जुड़े स्काइलर टिब्बिट्स ने 4क् तकनीक के बारे में और अधिक जानकारी देते हुए कहा, ‘‘हम लोगों का मानना है कि चौथा आयाम समय  है और समय  के साथ स्थिर चीज़ें अपना रूप बदल लेंगी।’’
मुद्रण के क्षेत्र में कागज और पैकेजिंग सबसे महत्वपूर्ण क्षेत्र है मुद्रण तथा पैकेजिंग आज मैन्युफैक्चरिंग उद्योग की जरूरत बन गई है। यह करीब 80 हजार करोड़ रुपए का बाजार बन चुका है। यह उद्योग बीते सालों में करीब 20 प्रतिशत की रफ्तार से बढ़ रहा है। भविष्य में इसके  28 से 30 प्रतिशत तक रहने का अनुमान है। विशेषज्ञों के अनुसार, इस साल के अंत तक भारतीय पैकेजिंग उद्योग लगभग 50 अरब डॉलर का हो जाने की उम्मीद है। साथ ही इस उद्योग का ग्लोबल मार्केट 700 अरब डॉलर तक पहुँच जाएगा। कई संस्थान पैकेजिंग टेक्नॉलॉजी में बीटेक व पीजी डिप्लोमा प्रोग्राम ऑफर कर रहे हैं। साइंस, इंजीनियरिंग और प्रिंटिंग पृष्ठभूमि के लोग ये कोर्स कर सकते हैं। कंपनी ऐसे लोगों को ‘ऑन द जॉब ट्रेनिंग” भी देती हैं। पैकेजिंग इंडस्ट्री का कार्य क्षेत्र प्रोडक्शन, कवर डिजाइनिंग, मार्केटिंग, सेल्स और डिस्ट्रीब्यूशन से जुड़ा हुआ है। मुद्रण विशेषज्ञ इस क्षेत्र में बेहतर कर सकते हैं। इस क्षेत्र में करियर की भी अनंत संभावनाए हैं।

कोर्स

यह कोर्स विभिन्न प्रौद्योगिकी और मीडिया से संबंधित है जैसे प्रेस, पत्रिका निर्माण, संचार प्रणाली, टेलीविजन प्रौद्योगिकी, रेडियो प्रौद्योगिकी, विज्ञापन, ई-प्रकाशन, एनीमेशन प्रौद्योगिकी, डिजिटल फोटोग्राफी, उच्च गुणवत्ता विलायक प्रिंटर, ग्राफिक्स और मल्टीमीडिया और वेब डिज़ाइन, पर्यावरण विलायक प्रिंटर, प्रिंटर कटर मशीन, यूवी प्रिंटर , मुद्रण वर्क फ़्लो में अपशिष्ट पदार्थ निपटान आदि से संबंधित है। प्लास्टिक पर प्रिंट के लिये ग्रेव्यूचर प्रिंटर (प्लास्टिक की ग्रेव्यूचर प्रिंटिंग स्याही) है। जब पॉलिथीन बैग या पॉलीप्रॉपिलिन सामग्री पर उच्च संकल्प छपाई की आवश्यकता होती है प्रिंटिंग प्रौद्योगिकी ग्रेग प्रिंट के लिये स्वयं चिपकने वाला लेबल में एक रिलीज लाइनर सामग्री पेपर होती है जो लेबल के लिए एक वाहक के रूप में कार्य करती है और इसके चिपकने वाली परत की रक्षा करती है। इसलिए उन्हें प्लास्टिक और एडसवी व सामग्री का ज्ञान होना आवश्यक है। किसी अच्छे मुद्रण इंजीनियर को कागज, दफ़्ती, लेबल आदि जैसे आने वाली कच्ची सामग्री के लिए सेट आपकी गुणवत्ता योजना, विक्रेताओं के साथ क्वालिटी चेक मापदंड तैयार और गुणवत्ता का पालन सुनिश्चित करना, ईआरपी के गुणवत्ता मॉड्यूल का ऑकलन करना, प्रिंट का गुणवत्ता नियंत्रण/आश्वासन, प्रिंटिंग, स्लीटिंग, बाइंडिंग, किटिंग, प्रिंटिंग एंड पैकेजिंग उद्योग में पैकिंग के लिए विक्रेताओं के साथ पैकेजिंग सामग्री मासिक योजना, इंडेंटिंग, विक्रेताओं के साथ समन्वय, एसओपी तैयार करना होता है। प्रिंट मॉड्यूल का गुणवत्ता नियंत्रण, डिजाइन, तकनीकी विशिष्टता, प्रिंट के विकास से संबंधित कार्यों के डिजाइन के लिए, निर्दिष्ट कोड आईएस, एएसटीएम, बीआईएस परीक्षण आवश्यक मापदंड को पूरा करना होता है।
प्रिंटिंग प्रौद्योगिकी में विभिन्न कोर्सेज
  • प्रिंटिंग प्रौद्योगिकी में डिप्लोमा स प्रिंटिंग प्रौद्योगिकी में डिग्री(बीई/बीटेक)
  • कागज़ और प्रिंटिंग प्रौद्योगिकी में डिग्री(बीई/बीटेक) 
  • मुद्रण और पैकेजिंग प्रौद्योगिकी में बीटेक 
  • मुद्रण और मीडिया प्रौद्योगिकी में बीटेक
  • प्रिंटिंग प्रौद्योगिकी में पोस्ट ग्रेजुएट डिग्री(एमई/एमटेक)

प्रिंटिंग प्रौद्योगिकी के मुख्य विषय

प्रिंटिंग प्रौद्योगिकी में छपाई, प्रिंटिंग प्रक्रियाओं, छापा, लिथोग्राफी और स्क्रीन प्रिंटिंग, प्रिंटिंग प्लेटें आदि का ज्ञान होना अपेक्षित है। प्रिंटिंग में प्रिंटिंग प्रेस मशीन, प्रिंटिंग स्याही, स्याही हस्तांतरण, आंशिक रंग प्रिंटिंग रंग प्रजनन, प्लेट बनाने और प्रिंटिंग आपरेशन आदि के बारे में बताया जाता है, प्रिंटिंग में कागज का उपयोग, कागज के गुण, कागज और प्रिंटिंग के लिए आवश्यक गुण, रेप्रोग्राफी, वर्णक कोटिंग, कागज कोटिंग, बेस स्टॉक के लिए कच्चे मालपिगमेंट आदि के बारेमें भी बताया जाता है इसके अलावा प्रिंटिंग कोटिंग, वर्णक कोटिंग, वर्णक कोटिंग की प्रक्रिया वर्णक कागज लेपित, वर्णक के परिष्करण लेपित, कागज वर्णक लेपित आदि का ज्ञान होना भी अपेक्षित है। प्रिंटिंग प्रौद्योगिकी में पैकेजिंग का ज्ञान होना भी जरूरी है जिसके अंतर्गत पैकेजिंग प्रौद्योगिकी के लिए तत्व, पैकेज विकास; कागज और गत्ते की आवश्यकता के लिए अलग-अलग पैकेज के प्रकार, बोरे, डिब्बों, और सड़न रोकने वाला पैकेजिंग आदि के बारे में भी बताया जाता है। पैकेजिंग किसी भी मुद्रण सामग्री के वितरण को सुरक्षित रूप से पूरा करता है।पेपर बोर्ड विनिर्माण के लिये सिलेंडर ढालना मशीन और अन्य बेलनाकार, बोर्ड के लिए बहु मशीनों का निर्माण आदि महत्वपूर्ण है। पेपर की गुणवत्ता प्रिंटिंग हेतु बहुत महत्वपूर्ण है, यह अच्छी गुणवत्ता का प्रिंटिंग तैयार करता है पेपर की गुणवत्ता जाँच के लिये परिवर्तित कागज -जलीय और विलायक कोटिंग्स,  गर्म पिघल कोटिंग का ज्ञान का ज्ञान होना भी जरूरी है सर्वोत्तम पेपर बनाने के लिए सेलूलोज के गुण आयन एक्सचेंज, कागज रसायन विज्ञान के महत्व, फाइबर सतह ऊर्जा, और सतह तनाव कोलाइडयन सिस्टम आदि के बारे में जानना जरूरी है। क्वालिटी चेक के लिए कागज के पानी और अन्य सामग्री /मीडिया में सोखने की प्रवृत्ति, रासायनिक वातावरण और प्रसंस्करण के प्रभाव, विरंजन, और शोधन, इलेक्ट्रोलाइट्स के सिद्धांत और कोलाइडयन का फैलाव, प्रतिधारण तंत्रः प्रभारी निराकरण, पैच मॉडल, ब्रिजिंग, आदि जरूरी है फोम में मुद्रण के लिए फोम शीट फोम नियंत्रणः फोम की प्रति, फोम गठन और स्थिरीकरण। पेपर में कोलाइडयन पदार्थ का प्रभाव, कतरनी, पर्यावरण विज्ञान आदि महत्वपूर्ण विषय है।

प्रमुख संस्थान 

  • पेपर प्रौद्योगिकी कॉलेज, आईआईटी, रुड़की
  • डॉ। बी.आर.अम्बेडकर नेशनल इंस्टिट्यूट प्रौद्योगिकी, जालंधर
  • प्रौद्योगिकी और इंजीनियरिंग कॉलेज, बड़ौदा (थ्ज्म्-बी), बड़ौदा, गुजरात, भारत
  • अन्ना यूनिवर्सिटी, चेन्नई अविनाशलिंगम डीम्ड यूनिवर्सिटी, कोयम्बटूर।
  • जादवपुर यूनिवर्सिटी, कोलकाता।
  • गवर्नमेंट पॉलिटेक्निक कॉलेज, जबलपुर।
  • पूसा पॉलिटेक्निक कॉलेज, पूसा, नई दिल्ली।
  • गवर्नमेंट इंस्टीटयूट ऑफ प्रिंटिंग प्रौद्योगिकी, मुंबई।
  • गुरु जम्बेश्वर यूनिवर्सिटी, हरियाणा।
  • अलगप्पा कॉलेज ऑफ टेक्नॉलॉजी, चेन्नई
  • गुरु नानक देव विश्वविद्यालय, अमृतसर
  • स्कूल ऑफ प्रिंटिंग प्रौद्योगिकी, बंगलुरु।
  • भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, दिल्ली (आईआईटी-डी)
  • आईआईटी, बीएचयू, ,वाराणसी
  • दिल्ली रीजनल इंस्टीट्यूट ऑफ पेपर प्रौद्योगिकी, दिल्ली
  • गवर्नमेंट प्रौद्योगिकी संस्थान, मुंबई
  • गवर्नमेंट इंजीनियरिंग कॉलेज,मुंबई, महाराष्ट्र 
  • गवर्नमेंट मुद्रण प्रौद्योगिकी संस्थान मुंबई, महाराष्ट्र 
  • प्रिंटिंग प्रौद्योगिकी संस्थान, मुंबई, महाराष्ट्र
  • प्रिंटिंग प्रौद्योगिकी शैक्षिक संस्थान पुणे, महाराष्ट्र 
 
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