मौलिकता और नवीन सृजन का उद्देश्य
‘इलेक्ट्रॉनिकी आपके लिए’ इलेक्ट्रॉनिकी, कम्प्यूटर विज्ञान एवं नई तकनीक पर प्रकाशित होने वाली प्रथम हिन्दी मासिक पत्रिका है। यह 1988 से निरंतर प्रकाशित हो रही है। इसका पहला अंक मेरे द्वारा ही तैयार किया गया था। कालान्तर में पढ़ने-लिखने वाले दोनों ही इससे जुड़ते गये और आज यह पत्रिका अपने 300 वें अंक में है।
वर्ष 1987.88 में आईसेक्ट को स्कूलों में कम्प्यूटर शिक्षा देने के लिये ‘क्लास’ परियोजना का दायित्व मिला था। इसके कुछ समय पूर्व ही मैंने ‘कम्प्यूटर एक परिचय’ पुस्तक लिखी जो कम्प्यूटर पर हिन्दी में प्रकाशित पहली कृति थी। इस पुस्तक की दो लाख प्रतियाँ हाथों हाथ बिकीं। क्लास परियोजना के दौरान छात्रों में कम्प्यूटर के विषय में और जानने की ललक बढ़ी, वहीं जनसामान्य भी हिन्दी में कम्प्यूटर पर और जानकारी चाहता था। लोगों की हमसे अपेक्षाएँ काफी बढ़ गईं। चूंकि निरंतर नई पुस्तकों का सृजन संभव नहीं था इसलिये एक पत्रिका शुरू करने का विचार आया और यही पत्रिका अब ‘इलेक्ट्रॉनिकी आपके लिए’ के स्वरूप में हमारे सामने है।
आरंभिक दिनों में यह पत्रिका त्रैमासिक थी। इसका मूल कारण था कि उस समय हिन्दी में कम्प्यूटर व इलेक्ट्रॉनिक विषयों पर लिखने वाले लेखक गिने चुने थे, जो कुछ नामचीन लेखक थे वे नई पत्रिका के लिये समय दे पाने में असमर्थ थे। साथ ही उस समय आज की तरह उन्नत, सस्ती व सुलभ डीटीपी व्यवस्था भी नहीं थी। आरंभ में पत्रिका सामान्य हिन्दी टाइपराईटर द्वारा तैयार की जाती थी तदुपरांत टाइपसेटिंग का कार्य होता था।
पत्रिका में मौलिकता व नवीन सृजन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से अनेक लोगों को इससे जोड़ा गया साथ ही विज्ञान लिखना भी सिखाया गया। हमने विज्ञान संचार और लेखन की कार्यशालाएं कीं। इनसे जो बातें सामने आयीं उसमें प्रमुख थी कि उनके अनुसार लिखने की भाषा ऐसी होनी चाहिये कि वह व्यक्ति भी आसानी से समझ ले जो कि उस विषय के बारे में कुछ भी न जानता हो। इस पत्रिका की सफलता में भाषा के प्रति हमारे मूलमंत्र, सरल व जन सामान्य की भाषा में लिखना का बड़ा योगदान रहा है।
पत्रिका के आरंभिक दिनों में संतोष शुक्ला, संदीप वर्मा, अनुराग सीठा नियमित रूप से लिखते थे, तब पत्रिका में सिर्फ लेख होते थे, बाद में इसमें अनेक कॉलम शुरू किये गये। इनमें बच्चों के लिये कई स्तम्भ विशेष रूप से प्रारंभ किये गये। अनेकों बच्चों के उत्साहपूर्वक पत्र व्यवहार की जिम्मेदारी विनीता चौबे ने ले रखी थी। पत्रिका भी त्रैमासिक से द्वि-मासिक हुई और फिर इसकी लोकप्रियता व मांग को देखते हुये इसे मासिक कर दिया गया। आज इसकी प्रसार संख्या 40ए000 से अधिक है जो कि देश की अन्य प्रसिद्ध विज्ञान पत्रिकाओं से कहीं अधिक है। यह भी इसकी लोकप्रियता का प्रमाण है। पत्रिका की कार्यकारी संपादक श्रीमती विनीता चौबे आज भी अपना दायित्व निभा रही हैं।
पत्रिका के समय-समय पर कई विशेषांक निकाले गये हैं। पत्रिका के अंतर्राष्ट्रीय भौतिकी वर्ष के तहत महान भौतिकीविद् अल्बर्ट आइंस्टाइन पर केंद्रित विशेषांक के साथ ग्रामीण विकास में आई.टी., महिलायें एवं आई.टी., पर्यावरण एवं आई.टी। हार्डवेयर, मल्टीमीडिया, स्वास्थ एवं आईटी, अपराध एवं आई.टी., सॉफ्टवेयर, अंतरिक्ष, ई-गवर्नेंस, सूचना प्रौद्योगिकी, ई-प्रकाशन, रोजगार एवं कम्प्यूटर पाठ्यक्रम, आई.टी। और हिन्दी, पर्यावरण तथा कॅरियर विशेषांक, क्लाउड कम्प्यूटिंग, आर्टिफिशियल इंटेलिजेन्स, अक्षय ऊर्जा, ई-वेस्ट प्रबंधन, वैकल्पिक ऊर्जा, जैव विविधता, नैनो टेक्नॉलॉजी, जीन एडिटिंग, वर्टिकल फारेस्ट, पर्यावरण और प्रदूषण, स्टीफन हॉकिंग, भारतीय विज्ञान परंपरा बायोप्लाटिक, उद्यमशीलता और नवोन्मेष भारतीय विज्ञान परंपरा, स्टीफन हॉकिंग्स विशेषांक आदि-आदि प्रकाशित हो चुके हैं।
पत्रिका के पिछले अंकों में प्रकाशित हुए कुछ महत्वपूर्ण लेख है आइंस्टाइन : विज्ञान से शांतिवाद तक, सापेक्षता का सिद्धांत, विज्ञान के प्रति घटती रुचि, क्या है वी.ओ.आई.पी., सुनामी ने खोली पोल, फिशिंग साइबर ठगी का तरीका, आई.टी। में बढ़ा हिन्दी का महत्व, विकास के लिए विज्ञान, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के नवोन्मेष, हाईटेक होती हिन्दी विज्ञान पत्रकारिता, संभावनाओं का खुला आसमां, तप रही धरती, आ रहे हैं एन्ड्रोइड्स, बदलती दुनिया में हिन्दुस्तान, कैसी होंगी भविष्य की अंतरिक्ष यात्राएं, सूचना प्रौद्योगिकी का सामाजिक प्रभाव, विकिरण से भागे कैंसर, सूचना बनी शक्ति, सेल्युलर तकनीकों के मानक, खुले ब्रह्माण्ड के राज, दूरियां दूर हुईं, सूचना क्रांति का आगाज, ई-कॉमर्स विश्व व्यापार की नई संभावनायें, खिलौनों का बदलता स्वरूप, सूचना और संचार, भारत और ब्रॉडबैंड, भूकंप के कारणों का वैज्ञानिक विवेचन, बच्चों तक पहुंची आई.टी। शिक्षा, क्लोनिंग के मसीहा हुए शर्मसार, इन्सेट का लंबा सफर, सौर ऊर्जा पर जमी निगाह, विश्व की प्रथम महिला अंतरिक्ष यात्री अनोसेह अंसारी, विज्ञान से ग्रामीण विकास, ग्लोबल वार्मिंग से बढ़ता खतरा, नैनो प्रौद्योगिकी एक पहलू यह भी, टेली चिकित्सा और सूचना प्रौद्योगिकी, स्पूतनिक प्रमोचन की स्वर्ण जयंती, ब्लैक होल की पहली छवि, दूसरे ग्रहों के पर्वत, पीएसएलवी-45 मिशन द्वारा 29 उपग्रहों का प्रमोचन, एक दुर्लभ रोग : न्यूरोएंडोक्राइन ट्यूमर, आंखों में भी होता है कैंसर, 5ळ जी कितना जरूरी, द ग्रेट पेसिफिक गारबेज पैच, ‘स्वर्ण’-उत्पत्ति का रहस्य : चौथी गुरुत्वीय तरंग, जीन एडिटिंग : जन्म से पहले बीमारी का उपचार, अकिर्तित भारतीय वैज्ञानिक सितारे : येल्लाप्रागदा सुब्बाराव, इलेक्ट्रॉनिकी की समूची तस्वीर को बदल देगा ग्रेफीन, प्रकाश से बने औजारों के आविष्कारकों को भौतिकी का नोबेल, हिमालय भी खतरे में, 75 वर्ष की हुई एंटीबॉयोटिक दवाएं, साइलेंट किलर : डायबिटीज, नीलाभ धुंध : वायु प्रदूषण का नया रूप, मोबाइल गेम एडिक्शन, एक चुनौतीपूर्ण रोग : पुरुषों में स्तन कैंसर, निपाह वायरस, डार्क स्काई रिजर्व क्षेत्र और प्रकाश प्रदूषण, न्यूट्रिनो आब्जर्वेटरी, बायोप्लास्टिक, ड्रोनवॉर, कैशलैस टेक्नॉलॉजी, 104 उपग्रहों का एक साथ सफल प्रक्षेपण, ब्लू व्हेल : जीवन से खेलता खेल, ग्रीन टेक्नॉलाजी में दुर्लभ धातुएं, भू-पुरातत्वीय इतिहास की खोज में ‘ऑप्टिकली स्टिमुलेटेड लुमनेसन्स’ आदि-आदि।
पत्रिका का 100 वां अंक
इलेक्ट्रॉनिकी के सफर में वर्ष 2002 में महत्वपूर्ण पड़ाव आया। इसके सौवें अंक का विमोचन देश के गणमान्य नागरिकों के बीच संपन्न हुआ। इस अवसर पर डॉ। अनुज सिन्हा निदेशक, राष्ट्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी संचार परिषद्, भारत सरकार, शरद चंद्र बेहार, तत्कालीन महानिदेशक, माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय, डॉ। ओम विकास, निदेशक, सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी मंत्रालय, भारत सरकार, विज्ञान लेखक गुणाकर मुले उपस्थित थे। देश के मशहूर विज्ञान लेखक भी इस समारोह में भागीदारी करने आए थे। डॉ। मनमोहन बाला, स्व। दिलीप साल्वी, डॉ। पी। के। मुखर्जी, डॉ। रघुवीर दत्त, संजय वर्मा, कपिल कुमार त्रिपाठी, डॉ। वी.डी। गर्दे इत्यादि। इस अवसर पर ‘हिन्दी में विज्ञान लेखन’ विषय पर सेमिनार भी आयोजित किया गया।
पत्रिका का 150 वां अंक
‘इलेक्ट्रॉनिकी आपके लिए’ के 150वें अंक का लोकार्पण 2006 में भोपाल के रवीन्द्र भवन सभागार में संस्कृति एवं खनिज संसाधन मंत्री लक्ष्मीकांत शर्मा के कर-कमलों से संपन्न हुआ। इस अवसर पर विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग भारत सरकार के सलाहकार डॉ। अनुज सिन्हा, आरजीपीव्ही के डीन डॉ। एस.एन। वर्मा एवं इंस्टीट्यूशन ऑफ इलेक्ट्रॉनिक्स एंड टेली कम्प्यूनिकेशन इंजीनियर्स नई दिल्ली के डॉ। मनमोहन बाला, पत्रिका के संपादक संतोष चौबे एवं प्रमुख उप-संपादक विनीता चौबे सहित देशभर से आये तकनीकी लेखक उपस्थित थे। लोकार्पण समारोह के बाद तकनीकी सत्र का आयोजन किया गया। इसकी अध्यक्षता आरजीपीव्ही भोपाल के डीन डॉ। एस.एन। वर्मा ने की। इस अवसर पर हिन्दी ब्लाग्स के लिए माइक्रोसॉफ्ट द्वारा पुरस्कृत रविशंकर श्रीवास्तव ने ‘हिन्दी में कम्प्यूटिंग’ विषय तथा भोपाल संचार निगम लिमिटेड भोपाल के महाप्रबंधक राजेश गुप्ता ने ‘इंटरनेट के 15 वर्ष’ पर विचार व्यक्त किए। समारोह के दूसरे दिन ‘हिन्दी में तकनीकी लेखन की संभावनाएं एवं चुनौतियां’ विषय पर माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय के साथ कार्यशाला का आयोजन किया गया।
पत्रिका का 200वें अंक
200वें अंक का लोकार्पण 14 फरवरी 2011 को स्कोप इंजीनियरिंग कॉलेज के सभागार में आयोजित किया गया। समारोह की अध्यक्षता डॉ। ए.एस। झाड़गांवकर कुलपति, डॉ। सीवी रमन वि.वि। छत्तीसगढ़ ने की। मुख्य अतिथि के रूप में प्रो। अखिलेष पांडे अध्यक्ष, मध्यप्रदेष निजी नियामक आयोग, भोपाल ने व विषिष्ट अतिथि के रूप में डॉ। मनोज पटेरिया, निदेषक एनसीएसटीसी, नई दिल्ली, डॉ। के.एस। तिवारी, क्षेत्रीय निदेषक, इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विष्व विद्यालय, भोपाल, श्री पुष्पेन्द्र पाल सिंह, विभागाध्यक्ष, माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता वि.वि., भोपाल उपस्थित थेे। समारोह में देषभर से आए विज्ञान व तकनीकी विषयों के लेखकों का सम्मान पत्रिका द्वारा किया गया। 200वें अंक की विषय वस्तु और भविष्य को लेकर विज्ञान लेखकों द्वारा अपने लेखों में दिए दृष्टिकोण को सभी अतिथियों ने सराहा। सभी अतिथियांे ने कहा कि दुनिया का आने वाला भविष्य जो कल हमारा वर्तमान होगा, को लेकर विज्ञान लेखकों द्वारा अपनी सोच, तर्कों तथा तथ्यों के माध्यम से भविष्य की जो सैर हमें वर्तमान में कराई है वह वास्तव में रोमांचित करने वाली है।
पत्रिका का 250 वां अंक
‘इलेक्ट्रॉनिकी आपके लिए’ के 250वें अंक प्रकाशित होने के साथ ही इसकी संपादन-यात्रा के अट्ठाइस वर्ष पूर्ण हो जाते हैं। पहला अंक जुलाई 1988 में छपा था। ‘इलेक्ट्रॉनिकी आपके लिए’ 250वें अंक का विमोचन समारोह आईसेक्ट विवि भोपाल में संपन्न हुआ जो कि विज्ञान-विमर्ष का जरिया बना। इस अवसर पर देष भर के विज्ञान लेखक, विज्ञान संचारक और विज्ञानप्रेमी उपस्थित हुए। समारोह में चार विभिन्न गतिविधियाँ सम्पन्न हुईं जिसमें पत्रिका का विमोचन, नाटक ‘गैलिलियो’ का मंचन, विज्ञान फिल्म प्रदर्षन तथा दो विचार सत्रों में विज्ञान परिचर्चाएं की गईं। पत्रिका का विमोचन मनोज पटेरिया, षरदचंद्र बेहार, इं.अनुज सिन्हा, डॉ.वि.दी। गर्दे, मनमोहन बाला, संतोष चौबे और विनीता चौबे द्वारा किया गया। विमोचन के दौरान संपादक संतोष चौबे ने 250वे अंक तक की इलेक्ट्रॉनिकी प्रकाषन यात्रा पर प्रकाष डाला। उन्होंने कहा कि आरंभ के वर्षों में ही हमने यह महसूस कर लिया था कि सिर्फ सरकारी सहयोग पर निर्भर रहकर कोई पत्रिका सतत रूप से नहीं निकाली जा सकती है। दूसरे इलेक्ट्रॉनिक्स, कम्प्यूटर और दूरसंसार जैसे विषयों पर लिखने वाले लोगों को देष में उँगलियों पर गिना जा सकता था और उनमें से अधिकतर दिल्ली जैसे बड़े षहरों में व्यस्त थे और बहुत व्यस्थ थे। इसलिए लेखकों के साथ हमें नए लेखकों को पैदा भी करना था। हमने इस दिषा में काम करते हुए अपना नेटवर्क तैयार किया। आरंभ के कुछ वर्षों में राष्ट्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी संचार परिषद का सहयोग प्राप्त हुआ, बाद के वर्षों से अब तक इसका प्रसार-प्रचार हमारे नेटवर्क द्वारा हुआ। फलस्वरूप पत्रिका की पाठकीय संख्या तीस हजार हो गई। कभी-कभी प्रकाषन का आँकडा 50 हजार तक पहुँचा। इस अवसर पर मनोज पटेरिया, षरद चंद्र बेहार ने पत्रिका के प्रकाषन के संदर्भ में अपना अनुभव साझा किए।
पुरस्कार
- राष्ट्रीय राजभाषा शील्ड सम्मान : छत्तीसगढ़ के राज्यपाल महामहिम श्री ई.एस.एल नरसिम्हन द्वारा अक्टूबर 2009 में राष्ट्रीय राजभाषा शील्ड सम्मान प्रदान किया गया।
- राष्ट्रीय राजभाषा शील्ड सम्मान : पांडिचेरी के ले। गवर्नर श्री इकबाल सिंह द्वारा अक्टूबर 2009 में राष्ट्रीय राजभाषा शील्ड सम्मान प्रदान किया गया।
- भारतेन्दु पुरस्कार : पत्रिका को दुष्यंत कुमार स्मारक पाण्डुलिपि संग्रहालय द्वारा भारतेन्दु पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
- रामेश्वर गुरु पुरस्कार : पत्रिका को माधव राव स्मृति समाचार पत्र संग्रहालय एवं शोध संस्थान द्वारा 21 अप्रेल 2008 में रामेश्वर गुरु पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
- सारस्वत सम्मान : 16 अप्रैल 2015 में पत्रिका को विज्ञान परिषद प्रयाग, इलाहाबाद द्वारा सारस्वत सम्मान से सम्मानित किया।
भागीदारी
पत्रिका ने समय-समय पर कई प्रदर्शनियों का निर्माण व पुस्तक मेलों में भागीदारी की है। कुछ प्रमुख प्रदर्शनियां हैं-
- शिक्षा में सूचना प्रौद्योगिकी
- कम्प्यूटर की कहानी, ग्रामीण विकास में सूचना प्रौद्योगिकी
- मनोरंजन और सूचना प्रौद्योगिकी
- दूरसंचार की कहानी
पत्रिका दिल्ली में आयोजित होने वाले विश्व पुस्तक मेले में भी भागीदारी करती है। इसके अलावा राज्य स्तरीय, जिला स्तरीय पुस्तक मेलों में भी पत्रिका भागीदारी करती हैं पुस्तक मेले के जरिये बच्चों के बीच पत्रिका विज्ञान और प्रौद्योगिकी का प्रचार प्रसार करती है। छात्रों और सामान्य जन के बीच पत्रिका कम्प्यूटर, इलेक्ट्रॉनिक्स एवं नई नकनीक का प्रचार बखूबी कर रही है। पत्रिका का प्रत्येक अंक संग्रहणीय होता है।
वेबसाइट
पत्रिका की हिन्दी वेबसाइट भी उपलब्ध (ूूूण्मसमबजतवदपापण्बवउ) है। यहाँ गौरतलब है कि बहुत कम हिन्दी पत्रिकाओं की वेबसाइट का निर्माण किया गया है। इलेक्ट्रॉनिकी ने शुरूआत में ही अपनी हिन्दी वेबसाइट बना ली थी। वेबसाइट पर पत्रिका के हर अंक को अपलोड किया जाता है।
योगदान
इस पत्रिका की सफलता में अनेक लेखकों व सहयोगियों का हाथ रहा है। सलाहकार मण्डल : शरदचंद्र बेहार, डॉ। वि.दि। गर्दे, देवेन्द्र मेवाड़ी, डॉ। मनोज कुमार पटेरिया, डॉ। संध्या चतुर्वेदी, प्रो। विजयकांत वर्मा, डॉ। रविप्रकाष दुबे, डॉ। अषोक कुमार ग्वाल, डॉ। आर.एन.यादव, डॉ। सुनील कुमार श्रीवास्तव, प्रो। राकेश कुमार पाण्डेय, प्रो। अमिताभ सक्सेना। संपादक : संतोष चौबे। कार्यकारी संपादक : विनीता चौबे। उप-संपादक : पुष्पा असिवाल : सह-संपादक : मोहन सगोरिया, रवीन्द्र जैन, मनीष श्रीवास्तव। संस्थागत सहयोग : गौरव शुक्ला, डॉ। डी.एस.राघव, डॉ। विजय सिंह, डॉ। सीतेश सिन्हा, रवि चतुर्वेदी, डॉ। मुनीष गोविंद, डॉ। अनुराग सीठा, डॉ। सत्येन्द्र खरे, संतोष शुक्ला। राज्य प्रसार समन्वयक : शशिकांत वर्मा, लातूर सिंह वर्मा, लियाक़त अली खोखर, राजेष षुक्ला, दर्षन व्यास, शलभ नेपालिया, अंबरीष कुमार, ए.के.सिंह, निशांत श्रीवास्तव, रजत चतुर्वेदी, एम। किरण कुमार, बिनीस कुमार, आबिद हुसैन भट्ट, दलजीत सिंह, अजीत चतुर्वेदी, अमिताभ गांगुली, नरेन्द्र कुमार, इंद्रनील मुखर्जी, अनूप श्रीवास्तव, शैलेष बंसल, सुशांत चक्रवर्ती। क्षेत्रीय प्रसार समन्वयक : राजीव चौबे, जितेन्द्र पांडे, लुकमान मसूद, आर.के। भारद्वाज, प्रवीण तिवारी, अरुण साहू, अभिषेक अवस्थी, विजय श्रीवास्तव, के.आई. जावेद, अमृतेष कुमार, योगेश मिश्रा, मनीष खरे, सचिन जैन, रूपेश देवांगन, राहुल चतुर्वेदी, संतोष उपाध्याय, असीम सरकार, निकुंज शाह, भुवनेश्वर प्रसाद द्विवेदी, राजेश कुमार गुप्ता, सौरभ त्रिपाठी, दीपक पाटीदार, भारत चतुर्वेदी, रक्षि मसूद, वेद प्रकाश परोहा, शैलेन्द्र कुमार शर्मा, अशोक कुमार बारी। समन्वयक प्रचार एवं विज्ञापन : राजेश पंडा। आवरण एवं डिजाइन : वंदना श्रीवास्तव, अमित सोनी सम्मिलित है, जो इसे आकर्षक बनाने व नवीनतम जानकारी आप सब तक पहुँचाने में तत्पर रहते हैं।