कॅरियर
प्रोडक्शन इंजीनियरिंग
संजय गोस्वामी
कुछ समय पहले तक प्रोडक्शन इंजीनियरिंग कोर्स का चलन नहीं था, लेकिन उदारीकरण के बाद न सिर्फ उच्च स्तर के कोर्सों का आगमन हुआ, बल्कि काम का दायरा भी तेजी से बढ़ा। प्रोडक्शन इंजीनियरिंग एक शानदार कॅरियर क्षेत्र है। प्रोडक्शन इंजीनियरिंग मैकेनिकल और इंडस्ट्रियल इंजीनियरिंग का संयुक्त क्षेत्र है। इस फील्ड में अवसरों की कोई कमी नहीं है। विश्व में तेजी से बढ़ते औद्योगिकीकरण के प्रभाव से भारत अछूता नहीं रहा और इसने भी अपना विस्तार करना शुरू कर दिया। धीरे-धीरे यहाँ की अर्थव्यवस्था वैश्विक होती चली गई तथा कई बहुराष्ट्रीय कंपनियाँ व्यापार के सिलसिले में यहां दस्तक देने लगीं। उनके आगमन व नीतियों से भारत को भी फायदा होने लगा। इससे यहां पर रोजगार के कई तरह के अवसर सामने आने लगे। इसी में से एक प्रोडक्शन इंजीनियरिंग भी है। यह भी इंजीनियरिंग की ही एक शाखा के रूप में है, जिसके अंतर्गत मेटीरियल, प्रोडक्शन, तकनीकी-मशीनी कार्यों की देखभाल, प्रोडक्शन शेड्यूल तथा कंट्रोल, उपकरणों की मरम्मत एवं क्वालिटी कंट्रोल, कर्मचारियों की नियुक्ति, जैसे कार्यो को अंजाम दिया जाता है, ताकि कंपनी माल का उत्पादन की ग्रोथ को बढ़ाया जा सके। इंडस्ट्री में कार्बन, सीमेंट, स्टील, वस्त्र, उर्वरक आदि कारखानों से कार्बन डाईऑक्साइड, हाइड्रोफ्लोरो कार्बन, मीथेन, नाइट्रस ऑक्साइड जैसी गैस भारी मात्रा में उत्सर्जित होती है। प्रोडक्शन इंजीनियरिंग में प्रदूषण नियंत्रण के लिए पर्यावरण इंजीनियरिंग की जानकारी भी आवश्यक है। उद्योग का सुव्यवस्थित विकास प्रोडक्शन इंजीनियरों के लिए कॅरियर के बड़े अवसरों को प्रदान करता है। अपनी नॉलेज और टेक्नीकल स्किल्स के आधार पर प्रोडक्शन इंजीनियर पेपरवर्क के साथ-साथ सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल करते हुए उत्पाद के किसी भी सुधार के लिए प्रोडक्ट का थ्रीडी डिजाइन बनाते हैं। नए उत्पादों की खोज और पुराने उत्पादों को बेहतर बनाने की दौड़ उपभोक्ता के लिए बाजार में जगह बनाई है। लाइफ स्टाइल प्रॉडक्ट्स जिनमें कास्मेटिक्स, औद्योगिक, ऑटोमोबाइल सामग्री से लेकर औषधि तक शामिल हैं, प्रोडक्शन इंजीनियर के लिए अच्छे मौके उत्पन्न किए हैं।
प्रोडक्शन इंजीनियरिंग
उत्पादन इंजीनियरिंग, इंजीनियरिंग और प्रबंधन का मिला जुला क्षेत्र है विनिर्माण के क्षेत्र में उत्पादन इंजीनियरिंग को इंजीनियरिंग के साथ-साथ प्रबंधन विज्ञान के साथ अधिक व्यवस्थित तरीके से देखा जा सकता है। दूसरे शब्दों में, उत्पादन अभियंता का कार्य उत्पादन दर और गुणवत्ता को बजट के अनुसार नियंत्रित करना होता है। उत्पादन इंजीनियरिंग, उत्पादन के साथ-साथ उत्पादन के प्रबंधन से संबंधित है और सर्वोत्तम आवश्यकताओं और आर्थिक समाधान में सभी आवश्यकताओं के साथ उत्पाद के गुणवत्ता को बनाये रखना होता है उसमें कोई त्रुटि तो नहीं है। यह केवल इसलिए संभव है क्योंकि उत्पादन इंजीनियर संयंत्र के उत्पादित सामग्री के ज्ञान को समझता है और उस राशि को समझता है जिसे आसानी से बाजार में निकाला जाना चाहिए और इसलिए लाभ को अधिकतम करना भी महत्वपूर्ण है। यही कारण है कि उत्पादन इंजीनियरिंग उन पाठ्यक्रमों में से एक है जो उद्योग के पूर्ण इंजीनियरिंग के ज्ञान के साथ-साथ उद्योग के प्रबंधन का ज्ञान भी होता है। अगर एक यांत्रिक उद्योग है तो उत्पादन इंजीनियर को सीएनसी मशीनिंग और कारीगर कार्यशाला तथा उपकरण डिजाइन, मेट्रोलॉजी, मशीन टूल्स, मशीनिंग सिस्टम, ऑटोमेशन, जिग्स और फिक्स्चर, मोल्ड डिजाइन, भौतिक विज्ञान, ऑटोमोबाइल भागों के डिजाइन और मशीन डिजाइनिंग के अनुप्रयोग, एनडीटी परीक्षण का ज्ञान जरूरी है। उत्पादन इंजीनियरिंग में कास्टिंग, मशीनिंग प्रसंस्करण, धातु काटने और मशीनरी चलाने के लिए विद्युत इंजीनियरिंग का ज्ञान जरूरी है। इसके अलावा तापक्रम मापन हेतु इंस्ट्रूमेशन का ज्ञान भी काफी जरूरी है। इस तरह यांत्रिक और धातुकी उद्योग में इलेक्ट्रानिक्स एवं वेल्डन प्रक्रम का ज्ञान भी उत्पादन इंजीनियर हेतु जरूरी है। दो धातु को उच्च ताप पर जोड़ने हेतु वेल्ड प्रक्रम है और उपकरण सप्लाई की जा रही सामग्री के लिए, गुणवत्ता परीक्षण को अविनाशी परीक्षण जैसे रेडियोग्राफी, अल्ट्रासोनिक, हीलियम लिन टेस्ट का ज्ञान भी जरूरी है। उत्पादन इंजीनियर हेतु सरकारी संस्थान जैसे रक्षा विभाग, डीआरडीओ, भा.प.अ.केन्द्र, इसरो, रेलवे विभाग प्रमुख हैं। वहीं सरकारी उपक्रम में स्टील अथारिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड, मेकान, एरोस्पेस रिसर्च लैब, कोल इंडिया लिमिटेड आदि प्रमुख हैं।
अवसर
प्रोडक्शन इंजीनियरिंग के उम्मीदवार सरकार द्वारा आयोजित कुछ परीक्षाओं को अर्हता प्राप्त करके नौकरियों के लिए आवेदन कर सकते हैं। इन परीक्षाओं में से कुछ संगठन पीएससी, एसएससी, यूपीएससी, रक्षा सेवाएँ इत्यादि हैं। उत्पादन इंजीनियरिंग में स्नातकों की भर्ती करने वाले प्रमुख सरकारी क्षेत्र के संगठनों में भारत अर्थ मूवर्स लिमिटेड, नेशनल थर्मल पावर कॉरपोरेशन (एनटीपीसी), स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड (सेल), ऑयल एंड नेचुरल गैस कॉरपोरेशन (ओएनजीसी), एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया (एएआई), हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल), इंजीनियर्स इंडिया लिमिटेड (ईआईएल) इत्यादि। इन संगठनों में शुरुआती चरण में उम्मीदवार प्रति 60ए000 रुपये प्रति महीने कमा सकते हैं। बेहतर वेतन पैकेज आकर्षित करने के लिए अनुभव महत्वपूर्ण है। उम्मीदवार इस कोर्स की पेशकश करने वाले सरकारी कॉलेजों में शिक्षकों के रूप में भी काम कर सकते हैं स्नातक निजी क्षेत्र में कई सॉफ्टवेयर कंपनियों में नौकरियां भी पा सकते हैं। फ्रेशर्स इन कंपनियों में इंजीनियर के रूप में काम कर सकते हैं। प्रोडक्शन इंजीनियरिंग स्नातकों की भर्ती करने वाली सॉफ्टवेयर कंपनियों में एक्सेंचर, आईबीएम, इंफोसिस टेक्नॉलॉजीज लिमिटेड शामिल हैं माइक्रोसॉफ्ट, ओरेकल, सैमसंग इंडिया सॉफ्टवेयर ऑपरेशंस, सीमेंस, टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज, विप्रो टेक्नॉलॉजीज लिमिटेड आदि उम्मीदवारों को तेल उद्योग, खनन उद्योग, उर्वरक इत्यादि जैसे विभिन्न क्षेत्रों में कई नौकरी के अवसर मिल सकते हैं इन कंपनियों में उत्पादन अभियंता, सहायक उत्पादन प्रबंधक, उप महाप्रबंधक, सामान्य/संचालन प्रबंधक, औद्योगिक इंजीनियर, यांत्रिक इंजीनियर, संचालन प्रबंधक, उत्पादन प्रबंधक, विनिर्माण उत्पादन योजनाकार, वरिष्ठ विनिर्माण अभियंता, वरिष्ठ सॉफ्टवेयर इंजीनियर, उत्पादन प्रबंधक, विनिर्माण, संयंत्र प्रबंधक के रूप में काम करते हैं।मैकेनिकल इंजीनियरिंग के उपकरण लगभग सभी क्षेत्र में इस्तेमाल किए जाते हैं। शायद ही ऐसा कोई क्षेत्र होगा जहाँ पर मैकेनिकल की मशीनें या उपकरण का इस्तेमाल ना किया जाए। इसीलिए जहां-जहां पर भी मैकेनिकल इंजीनियरिंग से संबंधित उपकरण का इस्तेमाल होता है वहां पर एक प्रोडक्शन इंजीनियर की जरूरत पड़ती है और एक प्रोडक्शन इंजीनियर बड़ी ही आसानी से वहां पर नौकरी पा सकता है। प्रोडक्ट संबंधी सलाह देने वाली कुछ प्राइवेट कंपनियां एल एंड टी, पीडब्ल्यूसी, टीसीएस, रिलायंस, आदि परामर्श संबंधित संगठन, एनजीओ और कॉलेज यूनिवर्सिटी में अध्यापन और शोध आदि संगठनों में भी प्रोडक्शन इंजीनियर की काफि मांग है।
पाठ्यक्रम
प्रोडक्शन इंजीनियरिंग में प्रमुख रूप से डिप्लोमा, बीई, बीटेक, पीजी डिप्लोमा, एमटेक, एमबीए व पीएचडी सरीखे कोर्स मौजूद हैं। इनकी अवधि दो साल से लेकर चार साल तक है, इंडस्ट्री में प्रोडक्शन ग्रोथ के अलावा कई तरह के कोर्स भी मौजूद हैं, जबकि प्रोडक्शन इंजीनियरिंग में मैन्युफैक्चरिंग ओरिएंटेड कोर्स का भी चलन है अधिकतर लोग जॉब के दौरान इस कोर्स को करते हैं। इसके लिए जो भी कोर्स तैयार किए गए हैं, उनमें प्रौद्योगिकी एवं प्रबंधन कार्यों को तरजीह दी गई है, इसलिए छात्रों को दिमागी रूप से इन दोनों के प्रति समर्पित होना होगा। कुछ संस्थान प्रोडक्शन इंजीनियिरग और टेक्नॉलॉजी की बैचलर डिग्री को मान्यता देते हैं। प्रोडक्शन इंजीनियरिंग से संबंधित जो भी कोर्स हैं, वे अपने अंदर काफी विविधता समेटे हुए हैं। अब इंडस्ट्रियल इंजीनियरिंग को भी इसमें शामिल कर देखा जाने लगा है। हालाँकि दोनों के स्वरूप में भिन्नता है।
मांग
प्रोडक्शन इंजीनियरिंग के लिए आपके सामने बहुत सारे विकल्प हैं और प्रोडक्शन इंजीनियरिंग के ही अंतर्गत आपके सामने बहुत सारे क्षेत्र हैं जहाँ पर आप प्रोडक्शन इंजीनियर के रूप में कार्य कर सकते हैं। लेकिन प्रोडक्शन इंजीनियर बनने से पहले आपको क्षेत्र से संबंधित पढ़ाई करनी होगी प्रोडक्शन इंजीनियरिंग में बीटेक की डिग्री हासिल करनी होगी और उसके बाद आपको इस क्षेत्र से संबंधित किसी कंपनी में काम करना होगा तभी आप एक प्रोडक्शन इंजीनियर बन सकते हैं। किसी भी उद्योग में उत्पाद की आपूर्ति महत्वपूर्ण है लेकिन उत्पादन की गुणवत्ता और सुरक्षा उद्योग के लिए बहुत महत्वपूर्ण है वस्तुओं के उत्पादन के लिए यांत्रिक प्रणाली लगी होती है और यांत्रिक प्रणाली को सुचारू रूप से चलाने के लिए भी विद्युत और इंस्ट्रूमेंटेशन प्रणाली भी जुड़ा रहता है इसलिए प्रोडक्शन इंजीनियर को संयंत्र की प्रणाली का पता होना चाहिए एक अच्छा उत्पादन इंजीनियर को उत्पाद की गुणवत्ता के बारे में जानना बहुत ही जरूरी होता है उत्पादित वस्तुएं का रोजाना सांख्यिकीय गुणवत्ता नियंत्रण (एसक्यूसी) किया जाता है इसके लिये उत्पादन इंजीनियर को गुणवत्ता विशेषताओं को मापने में वर्णनात्मक आंकड़ों के उपयोग, एसक्यूसी की श्रेणियों को जांचना, भिन्नता के कारणों की पहचान नियंत्रण चार्ट के उपयोग एक्स-बार, आर-, पी-, और सी-चार्ट के बीच अंतर की पहचान को जानना बहुत ही जरूरी होता है उत्पादन इंजीनियर को थोक उत्पादन का गुणवत्ता के लिये प्रक्रिया क्षमता और प्रक्रिया क्षमता सूचकांक के सिक्स सिग्मा स्वीकृति नमूना की प्रक्रिया और ऑपरेटिंग विशेषता (ओसी) घटता का उपयोग भी अच्छा उत्पादन के लिये महत्वपूर्ण है केवल यह पता लगाने के लिए कि उत्पादित वस्तुएँ किसी भी तरह से दोषपूर्ण या काम नहीं करता है उत्पादित वस्तुएँ का गुणवत्ता नियंत्रण ग्राहक संतुष्टि और मानक कोड के लिए महत्वपूर्ण है उत्पादन विधियों और आउटपुट में सुधार के लिए कई नई प्रौद्योगिकियाँ लागू की गई हैं। उदाहरण के लिए, हाल के वर्षों में हमने कन्फेक्शनरी उद्योग में चॉकलेट उत्पादों की आईसक्रीम किस्मों के विकास को देखा है - खाद्य प्रौद्योगिकी का एक उदाहरण। साथ ही हमने उत्पादन विधियों की एक विस्तृत श्रृंखला के लिए सूचना और संचार प्रौद्योगिकी का व्यापक उपयोग देखा है। विनिर्माण प्रणाली के डिजाइन, विकास, कार्यान्वयन, संचालन और प्रबंधन के सभी पहलुओं के लिए जिम्मेदार हैं।
कोर्सेज
- · प्रोडक्शन इंजीनियरिंग में डिप्लोमा (तीन वर्षीय)
- · बीई/बीटेक इन प्रोडक्शन इंजीनियरिंग (चार वर्षीय)
- · बी.टेक इन प्रोडक्शन टेक्नॉलॉजी (चार वर्षीय)
- · औद्योगिक और प्रोडक्शन इंजीनियरिंग में बीई(चार वर्षीय)
- · पीजी डिप्लोमा इन प्रोडक्शन इंजीनियरिंग (दो वर्षीय)
- · एमबीए इन प्रोडक्शन प्रबंधन (दो वर्षीय)
- · एमटेक इन प्रोडक्शन इंजीनियरिंग (दो वर्षीय)
- · एमटेक इन प्रोडक्शन व मैन्युफैक्चरिंग टेक्नोलॉजी(दो वर्षीय)
- · पीएचडी इन प्रोडक्शन इंजीनियरिंग।
वेतन
प्रोडक्शन इंजीनियरिंग में ट्रेंड प्रोफेशनल्स को इस क्षेत्र में आकर्षक वेतन दिया जाता है। यह वेतन बहुत कुछ उनकी योग्यता एवं अनुभव पर निर्भर करता है। इसमें ट्रेनी लेवल पर सेलरी 50ए000.80ए000 रुपए प्रतिमाह के हिसाब से शुरू होती है। जैसे-जैसे उनका अनुभव बढता है, उनकी सेलरी भी बढ़ती जाती है। कई ऐसे प्रोफेशनल्स हैं, जिनका पैकेज दो-तीन लाख रुपए प्रतिमाह है। इस तरह से यह पैसे के मामले में आकर्षक करियर के रूप में उभर कर सामने आया है। आज स्थिति यह है कि डिमांड के हिसाब से प्रोफेशनल्स की सप्लाई नहीं हो पा रही है।
मुख्य विषय
प्रोडक्शन इंजीनियरिंग में मुख्य विषय के रूप में मैकेनिकल, इंडस्ट्रियल इंजीनियरिंग और इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग के मूलभूत विषय का ज्ञान आवश्यक है उन्नत उत्पादन हेतु योजना संयंत्र ऑपरेशन और नियंत्रण, परियोजना प्रबंधन, विपणन प्रबंधन, अनुसंधान क्रियाविधि, एर्गोनोमिक्स आदि विषय का अध्ययन करना होता है, विश्वसनीयता इंजीनियरिंग, सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग, ऑपरेशन रिसर्च, प्लांट इंजीनियरिंग, प्रणाली विश्लेषण और सिमुलेशन आदि विषय उत्पादन के गुणवत्ता आश्वासन हेतु हैं। उद्यम संसाधन योजना, सेवा विपणन, सुरक्षा विश्लेषण और पोर्टफोलियो प्रबंधन, आदि विषय का अध्ययन प्रोडक्शन इंजीनियर के लिए अपने अंदर स्किल्स विकसित करती हैं, क्योंकि प्रोफेशनल्स को बजट संबंधी कार्य भी करने पड़ते हैं। प्रोडक्शन चेन के प्रति समझ लाने, फाइनल आउटपुट प्रोडक्ट की तस्वीर क्लीयर करने, निर्णय लेने, समस्या सुलझाने, प्रोडक्ट स्टैंडर्ड मेंटेन करने, प्रोडक्ट के रिकॉर्ड व रिपोर्ट को ऑनलाइन करने तथा अन्य विभागों के साथ काम के दौरान तालमेल बनाने का गुण काम के दौरान अधिक उपयोगी होता है। एक अच्छे उत्पादन इंजीनियर के लिए उत्पाद की गुणवत्ता और विश्वसनीयता को जानना बहुत ही जरूरी है वर्णनात्मक सांख्यिकी गुणवत्ता विशेषताओं और उत्पाद का वर्णन करने के लिए उपयोग किया जाता है। डेटा के वितरण के लिए अंकगणित औसत, या माध्य आंकड़े का मानक विचलन, सीमा, डेटा के एक सेट के केंद्रीय बिंदु आदि को जानना बेहद जरूरी है।
संभावनाएँ
आजकल सभी इंडस्ट्रीज को प्रोडक्शन इंजीनियर की आवश्यकता है, इसलिए इनकी मांग बढ़ी है। अधिकांश उद्योग क्वालिफाइड लोगों को अपने यहां ट्रेनिंग भी देते हैं, ताकि वे कुशल लोगों को अपने यहां रख सकें। एक प्रोडक्शन इंजीनियर की मुख्य जिम्मेदारी प्रोडक्शन के प्लान एवं कंट्रोल का शेड्यूल तैयार करना है। इसके अलावा ये सीपीएम, पीईआरटी, एकाउंट रिसोर्स, बजट आदि से जुड़े मामले भी देखते हैं। मैन्युफैक्चिरग, प्रोडक्शन व इंजीनियरिंग आदि कई जगहों पर इनकी भूमिका महत्वपूर्ण है। कॉरपोरेट कंपनियों से लेकर विदेश तक उनके लिए पर्याप्त अवसर हैं। उत्पादन इंजीनियरों के लिए विनिर्माण क्षेत्र, संचार क्षेत्र, फार्मास्यूटिकल्स। परिवहन, खेल, बैंकिंग, वित्त, एयरलाइन उद्योग, ई-व्यवसाय, ऑटोमोबाइल, यात्रा स्वास्थ्य, अर्धचालक उद्योग, सूचना प्रौद्योगिकी, अनुसंधान प्रयोगशालाएं में अवसर पा सकते हैं। उत्पादन इंजीनियरों सीएनसी मशीनों इंजीनियरिंग घटक जैसे गियर, शिकंजा, बोल्ट इत्यादि बनाने के लिए प्रोग्रामिंग वे गुणवत्ता नियंत्रण, वितरण और सूची नियंत्रण के लिए जिम्मेदार हैं। कंपनियों में प्रसंस्करण व उत्पादों को बनाने के लिए सुयोग्य व अच्छे प्रोडक्शन इंजीनियर की आवश्यकता होती है। मैन्युफैक्चरिंग के साथ-साथ गुणवत्ता आश्वासन इंजीनियर निरीक्षक/कंसल्टेंट के रूप में भी इसमें अधिक संभावनाएँ हैं।
दाखिला/प्रवेश परीक्षा
प्रोडक्शन इंजीनियरिंग से संबंधित प्रमुख कोर्स में दाखिला कई रूपों में मिलता है। इसमें अधिकांश संस्थान में आईआईटी, जेईई प्रवेश का आधार बनाते हैं। इसके अलावा कई संस्थान मिल कर अखिल भारतीय इंजीनियरिंग प्रवेश परीक्षा (।प्म्म्म्द्ध का आयोजन करते हैं। कुछ संस्थान अपने स्तर पर भी प्रवेश परीक्षा आयोजित कर छात्रों के सपनों को साकार बनाते हैं। इस क्षेत्र में पेशेवर इंजीनियर के लिए एएमआईईए द्वारा पत्राचार पाठ्यक्रम भी बीटेक (प्रोडक्शन इंजीनियरिंग) समकक्ष कोर्स डिप्लोमा/बीएससी डिग्री धारक द्वारा किया जा रहा है।
प्रमुख संस्थान
- · रबिन्द्रनाथ विश्वविद्यालय, भोपाल
- · बिड़ला इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नॉलॉजी, मेसरा
- · आईआईटी, दिल्ली आईआईटी, मुंबई, रुड़की और खड़गपुर
- · दिल्ली कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग, नई दिल्ली
- · इंडियन इंजीनियरिंग स्कूल एंड रिसर्च सेंटर, नवी मुंबई
- · इंस्टिट्यूट ऑफ प्रोडक्शन इंजीनियरिंग, भोपाल
- · हरकोर्ट बटलर प्रौद्योगिकी संस्थान, कानपुर
- · नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ इंजीनियरिंग, मैसूर
- · डॉ बी.आर. अम्बेडकर राष्ट्रीय संप्रौद्योगिकी संस्थान, जालंधर
- · एनआईटी, जम्मू
- · श्री गोविन्दराम सेकसरिया इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नॉलॉजी और साइंस, इंदौर
- · शैलेश जे मेहता स्कूल ऑफ इंजीनियरिंग, मुंबई
- · वेलेटेकरंगराजन डॉ सघनुथला आर और डी विज्ञान और प्रौद्योगिकी संस्थान, वेलटेक विश्वविद्यालयए अवदीए चेन्नई, तमिलनाडु
- · अनुराग ग्रुप ऑफ इंस्टिट्यूट्स : स्कूल ऑफ इंजीनियरिंग, हैदराबाद
- · इंजीनियरिंग संकाय, रांची विश्वविद्यालय, रांची, जिला रांची
- · नेताजी सुभाष इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नॉलॉजी (एनएसआईटी), नई दिल्ली
- · नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ फाउंड्री एंड फोर्ज टेक्नॉलॉजी (एनआईएफएफटी), रांची, झारखंड
- · गुरु घासीदास इंजीनियरिंग और प्रौद्योगिकी स्कूल, बिलासपुर, छ.ग.
- · विनोद गुप्ता स्कूल ऑफ इंजीनियरिंग, मुंबई
- · वीरमाता जीजाबाई टेक्नॉलॉजी इंस्टीट्यूट, मुंबई
- · थापर इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नॉलॉजी, पटियाला।
- · डॉ.सी.वी.रामन विश्वविद्यालय, कोटा बिलासपुर
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