मेक्ट्रोनिक्स
संजय गोस्वामी
मेक्ट्रोनिक्स, मैकेनिकल और इलेक्ट्रॉनिक्स के संयोजन से मिल कर बना है। मेक्ट्रोनिक्स इंजीनियरिंग के क्षेत्र में प्रवेश करने के लिए मैकेनिकल, इलेक्ट्रॉनिक्स, इलेक्ट्रिकल या कम्प्यूटर इंजीनियरिंग का अध्ययन करने की आवश्यकता होती है। वास्तव में मेक्ट्रोनिक्स औद्योगिक अनुप्रयोगों में स्वचालित उत्पादन और प्रक्रिया के तालमेल का ही रूप है। मेकेट्रॉनिक्स शब्द की उत्पत्ति जापानी-इंग्लिश भाषा मेकेट्रॉ से हुई है। यह शब्द जापानी रोबोट कंपनी यसकावा के मुख्य इंस्ट्रूमेंटेशन इंजीनियर टेटसूरो मोरी द्वारा 1969 में रचा गया है। कंपनी यास्कावा एसी सर्वो के अग्रणी आपूर्तिकर्ताओं में से एक है कंपनी द्वारा मेकेट्रॉनिक्स शब्द को ट्रेडमार्क के रूप में दर्ज किया गया था। बाद में कंपनी ने इस शब्द का इस्तेमाल का अधिकार रोबोट का विकास करने के लिये शिक्षण संस्थानों को दे दिया। इसके बाद यह दुनिया के बाकी हिस्सों में इसका प्रयोग होने लगा। इसलिए मेक्ट्रोनिक्स में सुविज्ञता हासिल करने के लिए चार क्षेत्र मैकेनिकल, इलेक्ट्रॉनिक्स, इलेक्ट्रिकल, कम्प्यूटर इंजीनियरिंग का गहन ज्ञान अपेक्षित है।
इस क्षेत्र में सफलता के लिए कैंडीडेट में क्रिएटिविटी, कस्टमर सर्विस स्किल, विश्लेषण और समस्याओं को समाधान करने की क्षमता बेहद जरूरी है। मेक्ट्रोनिक्स सिस्टम मेडिकल मेक्ट्रोनिक्स में, मेडिकल इमेजिंग सिस्टम, संरचनात्मक गतिशील प्रणालियों, ऑटोमोबाइल में परिवहन और वाहन सिस्टम, ऑटोमोबाइल आटोमोटिव मेक्ट्रोनिक्स, कम्प्यूटर और एकीकृत विनिर्माण प्रणालियां में जैसे माइक्रोकंट्रोलर/पीएलसी कम्प्यूटर एडेड डिजाइन, कम्प्यूटर-नियंत्रण मशीन, कम्प्यूटर चालित मशीन जैसे सीएनसी मिलिंग मशीन, सीएनसी जलजेट्स, और सीएनसी प्लाज्मा कटर, रोबोटिक्स प्रणालियों में तेजी से उपयोग हो रहा है जिसका उपयोग औद्योगिक माल, उपभोक्ता उत्पादों में इंजीनियरिंग और निर्माण प्रणाली, पैकेजिंग, जैसे विभिन्न क्षेत्र में इलेक्ट्रॉनिक्स के साथ एम्बेडेड युक्ति के रूप नवाचार और उद्यमिता हेतु एक अच्छा मौका है। इस क्षेत्र में कुछ इंजीनियरिंग संस्थानों द्वारा मेक्ट्रोनिक्स इंजीनियरिंग पर विशेष कोर्स संचालित किए जाते हैं। मेक्ट्रोनिक्स इंजीनियरिंग के तहत डिजाइनिंग, कंस्ट्रक्शन, मेंटिनेंस, रोबोटिक, फार्मास्युटिकल, संचार और ऊर्जा आदि जैसे विभिन्न क्षेत्र और यातायात में इस्तेमाल होने वाले साधनों में विमानन नियंत्रण, एयरोस्पेस, विनिर्माण, एम्बेडेड सिस्टम क्षेत्रों में मेक्ट्रोनिक्स इंजीनियर की जबदस्त मांग है। रोबोटिक और टेलीकम्युनिकेशन के विस्तार में मेक्ट्रोनिक्स का अहम योगदान है। खासकर मेक्ट्रोनिक्स का उपयोग कम्युनिकेशन, हेल्थकेयर, मेडिसिन, रक्षा, ऑप्टिक्स, इलेक्ट्रॉनिक्स आदि क्षेत्र में होता है।
दरअसल, मेक्ट्रोनिक्स मैकेनिकल, इलेक्ट्रॉनिक्स, इलेक्ट्रिकल, कम्प्यूटर इंजीनियरिंग और ऊर्जा से संबंधित तकनीक है। इसे 21वीं सदी का तकनीक कहा जा सकता है और इसके बढ़ते उपयोग की वजह से इस क्षेत्र में करियर की भरपूर संभावनाएं हैं। डिजिटल कहे जाने वाले इस युग में अब जल्द ही तकनीक का एक नया और अनोखा नज़ारा देखने को मिलेगा। भविष्य में इंडस्ट्रियल ऑटोमेशन से संबंधित सभी महत्वपूर्ण सूचना मुहैया कराएगी मेक्ट्रोनिक्स। मेक्ट्रोनिक्स इंजीनियर रि-प्रोगामेबल सिस्टम्स के डिजाइन, निर्माण, प्रचालन, गुणवत्ता नियंत्रण और सुरक्षा के लिए जिम्मेदार होता है। मेक्ट्रोनिक्स में ऐसी स्व-नियंत्रित रि-प्रोगामेबल मल्टीपरपज मशीन की विस्तार से जानकारी दी जाती है, जिसे इंडस्ट्रियल ऑटोमेशन एप्लिकेशन के लिए उपयोग में लाया जाता है। मेक्ट्रोनिक्स इंजीनियरिंग में बीटेक करने के बाद एक स्नातक को सरकारी क्षेत्र एवं निजी कंपनियों में विभिन्न पदों पर नौकरी मिलती है। अवसरों के क्षेत्र में भारत में सबसे अधिक संभावना भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन, रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ), बीएचईएल, बार्क तथा सीएआईआर आदि संगठनों में हैं, मेक्ट्रोनिक्स में रोबोटिक प्रणाली, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, एडवांस्ड मेक्ट्रोनिक्स सिस्टम्स, इंटेलिजेंस कंट्रोल, इमेजिंग प्रोसेस, न्यूरल नेटवर्क्स तथा फुजी लाजिक्स पर विशेष कोर्स संचालित किए जाते हैं। इसके अलावा पोस्टग्रेजुएट स्तर पर भी स्पेशलाइजेशन किया जा सकता है। मेक्ट्रोनिक्स के अध्ययन में बेसिक इंजीनियरिंग प्रिसिपल तथा रोबोट्स का विकास तथा उपयोग करने वाले प्रोफेशनल की सहायता करने के लिए टेक्निकल स्किल्स सिखाई जाती है। इसमें डिजाइन में इंस्ट्रक्शन, ऑपरेशन टेस्टिंग, सिस्टम मैटेनेंस तथा रिपेयर शामिल है।
भारत में मेक्ट्रोनिक्स में डिग्री बीटेक इन मेक्ट्रोनिक्स इंजीनियरिंग पाठ्यक्रम अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त है। यह कोर्स डिजाइन, उत्पादन, इंजीनियरिंग प्रबंधन और तकनीकी में रोजगार प्रदान करता है। डिग्री कोर्स के सफल समापन के बाद छात्र परास्नातक और शोध कार्यक्रमों के लिए विकल्प चुन सकते हैं। तकनीकी दुनिया में मेक्ट्रोनिक्स स्नातकों के लिए भरपूर अवसर उपलब्ध है। मेक्ट्रोनिक्स स्नातकों को उन उद्योगों में रोजगार मिल सकता है जो मैकेनिकल मशीनरी को नियंत्रित करने के लिए इलेक्ट्रॉनिक्स और सॉफ्टवेयर का उपयोग करते है। यह क्षेत्र आज सर्वाधिक संभावनाओं से भरा है। इसमें दक्ष युवा इंजीनियर देशी-विदेशी कंपनियों में कई तरह के आकर्षक काम आसानी से पा सकते हैं, जैसे- मेक्ट्रोनिक्स इंजीनियर, पेट्रोलियम और रिफाइनरी उद्योग, विमान उद्योग, शिपिंग उद्योग,ऑटोमोबाइल उद्योग में वैज्ञानिक, इंजीनियरिंग ऑफिसर, ऑटोमेशन इंजीनियर, मेक्ट्रोनिक्स विशेषज्ञ प्रणाली इंजीनियर, कार्यकारी इंजीनियर, कम्यूनिकेशन इंजीनियर, डिजाइन एग्जीक्यूटिव, प्रबंधक, आदि पदों पर नौकरी कर सकते हैं। इस क्षेत्र में प्लेसमेंट की स्थिति बहुत अच्छी है। आपकी फिजिक्स व मैथमेटिक्स अच्छी होनी चाहिए। इसमें वे उन उपकरण का डिजाइन करने पड़ते हैं, जो सेंसर पर आधारित हैं लिहाजा क्रिएटिव होना भी जरूरी है।
क्षेत्र
मेक्ट्रोनिक्स के क्षेत्र में कैरियर बनाने वालों को सबसे पहले यह करना होगा कि वह मेक्ट्रोनिक्स इंजीनियरिंग में बीई या बीटेक की डिग्री प्राप्त करें। भारत में पहले की पढ़ाई गिने-चुने संस्थानों में ही होती थी, लेकिन तेजी से बढ़ते बाजार और ट्रेंड लोगों की मांग को पूरा करने के लिए अब कई संस्थानों में ऐसे कोर्सो की शुरुआत हो गई है।
बीई या बीटेक की डिग्री प्राप्त करने वाले छात्र मेक्ट्रोनिक्स इंजीनियरिंग में पोस्टग्रेजुएट कर आप उच्च अध्ययन करते हैं तो इस क्षेत्र में आपके प्रवेश की संभावना और अवसर दोनों ही बढ़ जाएंगे। हो सकता है कि इस क्षेत्र में आज प्रवेश करने वालों को अपनी मंजिल तक पहुँचने में कुछ साल इंतजार करना पड़े। बीएचईएल, बार्क तथा सीएआईआर जैसे संगठनों द्वारा फ्रेश ग्रेजुएटस को साइंटिस्ट के रूप में लेकर मेक्ट्रोनिक्स के क्षेत्र में प्रशिक्षित किया जाता है। मेक्ट्रोनिक्स विषय से परिचित होने के लिए सबसे पहले मेक्ट्रोनिक्स सिस्टम्स (मैकेनिकल, इलेक्ट्रॉनिक्स, इलेक्ट्रिकल या कम्प्यूटर इंजीनियरिंग) की अवधारणा को समझना आवश्यक है। मल्टीनेशनल कंपनियों के इस क्षेत्र में प्रवेश करने के बाद दक्ष मेक्ट्रोनिक्स इंजीनियर की मांग में काफी तेजी आई है। मेकेट्रॉनिक्स का क्षेत्र मेकेनिकल इंजीनियरिंग के संचालन, कौशल और उपकरणों को इलेक्ट्रिकल और कम्प्यूटर इंजीनियरिंग भाग के लिए एक संयुक्त तरीका है। इसका उद्देश्य एक सरल और अधिक सस्ती प्रणाली डिजाइन करना होता है जो मेकेनिक्स, इलेक्ट्रॉनिक्स और कम्प्यूटिंग के सिद्धांतों पर आधारित है।
मेक्ट्रोनिक्स के क्षेत्र में कैरियर बनने हेतु 12वीं कक्षा में भांति एवं गणित विषय होना नितांत आवश्यक है। इसके साथ ही साथ उच्चतम प्रतियोगी तथा तकनीकी क्षेत्र में आविष्कार तथा कुछ नया करने के लिए सृजनात्मक योग्यता भी बेहद जरूरी है। मेक्ट्रोनिक्स इंजीनियरिंग में स्पेशलाइजेशन से मैन्युफैक्चरिंग, कृषि, खनन, परमाणु, ऊर्जा संयंत्र जैसे क्षेत्रों में बहुत अच्छा कॅरियर है। मेक्ट्रोनिक्स में रोबोट बनाने के लिए ऐसे अध्ययन करते हैं जो सॉफ्ट रोबोट और अधिक भुजाओं (हाथ) का अधिक रोटेशन तथा संचलन होता है विभिन्न प्रकार के रोबोटों 2 भुजाओं वाले रोबोट, 5-जॉइंट क्लोज्ड-लिंक रोबोट, 6 भुजाओं वाले रोबोट, तथा सॉफ्ट रोबोट का निर्माण इंडस्ट्रियल ऑटोमेशन एप्लिकेशन के लिए उपयोग में लाया जाता है। डायनामिक्स अस्पष्ट तर्क (न्र्रिल सवहपब) और न्युरोल नेटवर्क (दमनतंस दमजूवतो) की सहायता से इन्हें नियंत्रित किया जाता है और ये सख्त संरचना वाले रोबोट से बहुत अलग दिखते हैं और साथ ही इनका व्यवहार भी काफी अलग होता है। उन रोबोट का शरीर सिलिकन का होता है और इनमें एक लचीला प्रवर्तक (ंपत उनेबसमे), विद्युत सक्रिय पोल्य्मेर (मसमबजतव ंबजपअम चवसलउमते) और फेरोफ्लुइड (मिततवसिनपक) पर आधारित सामग्री होता है, इस हेतु मेक्ट्रोनिक्स इंजीनियर के लिये सामग्री इंजीनियरिंग का ज्ञान भी महत्वपूर्ण है मैन्युफैक्चरिंग इण्डस्ट्रीज/उद्योग में मेकेट्रोनिक्स एण्ड रोबोटिक्स के क्रम में मैकेनिकल, इलेक्ट्रिकल, इलेक्ट्रॉनिक्स और इंस्ट्रुमेंटेशन के ज्ञान और कौशल का एक ऐसा उन्नयन है जो नवीन अभिनव और नवीनतम स्वचालन की तकनीकी है। ये अपना काम स्वचालन लेब, रोबोटिक्स, ऑफिस और मैन्युफैक्चरिंग प्लांट्स में करते हैं जो कुशल, गुणवत्ता नियंत्रण और सुरक्षित स्वचालित उपकरणों पर आधारित युक्ति का निर्माण करना होता है। इन युक्ति का उपयोग रिमोट हैंडलिंग की वजह से रक्षा, अंतरिक्ष, ऑटोमोबाइल, एयरोस्पेस, खनन, नाभिकीय उद्योग में किया जाता है जहां मानव का पहुँचना जोखिम भरा रहता है।
मेक्ट्रोनिक्स इंजीनियर का काम काफी जिम्मेदारी भरा होता है। एक कुशल बनने के लिए व्यवसाय और तकनीक की अच्छी समझ होनी चाहिए। क्योंकि उसे न सिर्फ मेक्ट्रोनिक्स इंजीनियर का खाका खींचना होता है बल्कि मॉडल में कंपनी और ग्राहक की जरूरतों के मुताबिक (विभिन्न प्रकार के कार मॉडल, ऑटोफोकस कैमरे, दूरस्थ कैमरे, वीडियो, हार्ड डिस्क, और सीडी प्लेयर आदि के लिए) बदलाव भी करना पड़ता है। इसके अलावा वह प्री-डिजाइन फेज में सही डिजाइन बिन्दुओं का निर्धारण भी करता है। इसके बाद डोमेन एनालिसिस फेज आता है। जिसके तहत जरूरी क्षेत्रों को डाक्यूमेंटेशन किया जाता है। इसके बाद प्रोटोटाइप तैयार किया जाता है और साथ में रिस्क फैक्टर, लागत का अनुमान लगाया जाता है। इसके अलावा कस्टम ऑपरेटरों को प्रशिक्षित करना भी नई प्रणाली की सफलता के लिए आवश्यक होता है। इसलिए मेक्ट्रोनिक्स इंजीनियर को उनके प्रशिक्षण और नई प्रणाली के रख-रखाव की व्यवस्था भी करनी पड़ती है।
मेक्ट्रोनिक्स इंजीनियर के कार्य क्षेत्र के अंतर्गत विभिन्न टास्क के लिए दूरस्थ हैंडलिंग (त्मउवजम ींदकसपदह) युक्ति के लिए हाइड्रोलिक मशीन फंक्शन हाइड्रोलिक सिस्टम और सर्किट आरेख के डिजाइन, कोडिंग और सॉफ्टवेयर के निष्पादन के कार्य होते हैं दूरस्थ हैंडलिंग(त्मउवजम ींदकसपदह) युक्ति के संपूर्ण डेवलपमेंट का डिजाइन भी तैयार करता है आज के वाहन में प्रौद्योगिकी मोटर वाहन सिस्टम में एक साथ कई प्रणाली अनुकूली क्रूज नियंत्रण जैसे बैक-अप टक्कर सेंसर, ड्राइव बाय वायर, एक्सएम सैटेलाइट रेडियो, टायर दबाव मॉनिटर, टेलीमैटिक्स (ऑनस्टार), सॉफ्टवेयर ड्राफ्ट्रेन, सॉफ्टवेयर बॉडी कंट्रोल, पथ प्रदर्शन, वर्षा सेंकिंग वाइपर्स, रात्रि दृष्टि, वाहन मनोरंजन के प्रमुख प्रणाली समान समय में चलता रहता है।
मेक्ट्रोनिक्स इंजीनियरिंग और प्रौद्योगिकी की एक ऐसी शाखा है जो कि मैकेनिकल इंजीनियरिंग के साथ-साथ इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में वर्तमान-प्रकाश प्रौद्योगिकियों का संयोजन भी है। पूरे देश में बड़ी संख्या में विभिन्न विश्वविद्यालय में मेक्ट्रोनिक्स में डिग्री पाठ्यक्रम प्रदान करते हैं। इस कोर्स की मान्यता व्यापक रूप से बढ़ती जा रही है। रेलवे के क्षेत्र में उच्च गति बुलेट ट्रेन का डिजाइन करने हेतु मेक्ट्रोनिक्स का उपयोग करते हैं। दुनिया में कई देश में बुलेट ट्रेन दौड़ रही हैं। भारत अब जापान के सहयोग से भारत जमीनी यातायात के इस सबसे तेज साधन का इस्तेमाल करेगा। हाई स्पीड रेल या कहें बुलेट ट्रेन प्रधानमंत्री ने अपने सबसे महत्वकांक्षी प्रोजेक्ट बुलेट ट्रेन की आधारशिला 14 सितंबर 2017 को रख दी है। जापान के सहयोग से 2022 तक पूरा बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट पूरा होगा। 1ण्10 लाख करोड़ रुपये लागत के पूरे प्रोजेक्ट के लिए 88 हजार करोड़ रुपये का कर्ज जापान देगा, मुंबई अहमदाबाद की 510 किलोमीटर की दूरी 2 घंटे 5 मिटट में तय की जा सकेगी यानि इसकी गति होगी लगभग 250 किलोमीटर/घंटे। एक मैग्लेव ट्रेन की उच्चतम गति 581 किलोमीटर/घंटे दर्ज की गई है, जो वर्ष 2003 में जापान की बुलेट ट्रेन है भारत के विकास के लिए यह बहुत अच्छा कदम है, भारतीय राष्ट्रीय एकेडमी ऑफ इंडियन रेलवे (एनएआईआर), वडोदरा में एक प्रशिक्षण केंद्र खोला जाएगा इस हेतु प्रशिक्षण के लिए आने वाले दिनों में मेक्ट्रोनिक्स की मांग काफी तेजी बढ़ेगी मेक्ट्रोनिक्स वास्तव में विद्युत चुम्बकीय आकर्षण सिद्धांत पर आधारित है बुलेट ट्रेन में उच्च गति देने के लिए मैग्लेव सिस्टम विकसित किए गए हैं उच्च गति वाले आधुनिक वाहनों में उच्च तापमान सुपरकंडक्टर्स कॉयल,विशेष रूप से मैग्लेव के लिए शून्य प्रतिरोध से धारा घनत्व बढ़ जाएगा और तीव्र गति उत्पन्न होता हैष्लेविटेशन/चुंबक डिजाइन किया जाता है और उसे व्यवस्थित करने के लिए 8 मैग्नेट को नियंत्रित करने वाले 26 सेंसरों के साथ नियंत्रक तथा निलंबन प्रणाली लगा होता है। चुंबक शक्ति एम्पलीफायरों का डिजाइन, मूल्यांकन नियंत्रण अवधारणाओं, नियंत्रक की सीमा, गतिशील परीक्षण पॉसिटोन इंट या एक्सल सिग्नल, एयरगैप सिग्नल, वाहन पायू चुंबक, फ्लक्स सिग्नल, चुंबक प्रवाह संबंधित विद्युत प्रणाली के लिए मेक्ट्रोनिक्स इंजीनियरों की बहुत बड़ी मांग रेलवे क्षेत्र में होगी।
मुख्य विषय
मेक्ट्रोनिक्स विषय के तहत मेक्ट्रोनिक्स के गणितीय आधार और सिस्टम, नियंत्रण, सेंसर जानकारी के सिद्धांतों का अध्ययन करते है। मेक्ट्रोनिक्स लैब परियोजनाओं में सिस्टम नियंत्रण से जुड़े डेटा, सिमुलेशन, कंट्रोल तथा हार्डवेयर रहते हैं सेंसर- सेंसर सिग्नल प्रोसेसिंग, ट्रैकिंग त्रुटि, बहु सेंसर नियंत्रण प्रणाली और इष्टतम आकलन से संबंधित संभाव्य अवधारणाओं इस विषय में शामिल है मेक्ट्रोनिक्स इंजीनियरिंग में मुख्य विषय के रूप में मैकेनिकल, इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियरिंग, कंप्यूटर विज्ञान और इंजीनियरिंग, सिस्टम और कंट्रोल इंजीनियरिंग, रोबोटिक्स और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस इलेक्ट्रॉनिक्स सेशन एम्प्स, आरएलसी सर्किट, हाइड्रोलिक एक्ट्यूएटर्स आदि है। विशेषज्ञ प्रणालियों में चिकित्सा मेक्ट्रोनिक्स, सेंसिंग और कंट्रोल सिस्टम, मोटर वाहन इंजीनियरिंग के लिए उप-प्रणालियों का डिजाइन, कम्प्यूटर संख्यात्मक नियंत्रण मशीन संचालन, लागत, प्रदर्शन और रखरखाव आदि उप विषय हैं औद्योगिक इलेक्ट्रॉनिक्स, चिकित्सा मेक्ट्रोनिक्स, स्ट्रक्चरल डायनेमिक सिस्टम,परिवहन और वाहन सिस्टम, नैदानिक और विश्वसनीयता तकनीक, सॉफ्टवेयर डिजाइन और एनालिसिस , कंप्यूटर इंटीग्रेटेड मैन्युफैक्चरिंग सिस्टम, कंपन और शोर नियंत्रण, ड्रोन संचालन फोटो और वीडियो उपकरण,एनडीटी उपकरण, हेतु आदि एक विशेष विषय है मेक्ट्रोनिक्स प्रणाली में मेक्ट्रोनिक्स का बुनियादी सिद्धांत, परिचालन सिद्धांत, भौतिक घटनाओं, पारंपरिक सेंसर और एक्ट्यूएटर्स के लिए आवश्यक सिस्टम का वर्णन किया जाता है, मेकाट्रॉनिकी के क्षेत्र में आपको भौतिकी, डिजिटल प्रणाली डिजाइन, मेकाट्रॉनिकी मॉडलिंग, इलेक्ट्रो-मेग्नेटिक्स, विनिर्माण, प्रोसेस, निर्णय लेने के सिध्दांतों एवं सर्किट विश्लेषण का उत्कृष्ट ज्ञान होना अनिवार्य है।
पाठ्यक्रम
मेक्ट्रोनिक्स इंजीनियर पाठ्यक्रमों में डिग्री व डिप्लोमा दोनों ही हैं। डिप्लोमा कोर्सेस कम अवधि(3 साल) के लिए हैं वहीं डिग्री पाठ्यक्रमों में इस क्षेत्र से संबंधित नई तकनीकों का कोर्स है। यह प्रोफेशन चुनौतियों भरा है। इसलिए इस कैरियर में आना है, तो चुनौतियों से निपटना आना चाहिए। अच्छी कम्यूनिकेशन स्किल और विश्लेषणात्मक क्षमता होना जरूरी है। इस फील्ड में जाने का इच्छुक नार्मल लाइफ से हट कर सोचने वाला चाहिए। अच्छी तार्किक सोच रखने और हर पहलू पर बारीकी से विचार करने वाले और अलर्ट माइंड वाले इस कैरियर में आसानी से एडजस्ट हो सकते हैं। स्नातक कोर्स (बीई मेक्ट्रोनिक्स ) में प्रवेश हेतु शैक्षणिक योग्यता गणित विषय समूह के साथ बारहवीं उत्तीर्ण होना है। डिग्री स्तर अवधि चार साल तक होती है। प्रतिष्ठित संस्थान कॉमन टेस्ट सीईटी के जरिए बीटेक इन मेक्ट्रोनिक्स इंजीनियरिंग में छात्रों की दाखिला देते है। मेकेट्रॉनिक्स, इंजीनियरिंग का एक बहुआयामी क्षेत्र है, जो मेकेनिकल, इलेक्ट्रिकल, टेलीकम्यूनिकेशन, कंट्रोल इंजीनियरिंग, इंस्ट्रूमेंटेशन और कम्प्यूटर इंजीनियरिंग का संयोजन है।
कोर्स
मेक्ट्रोनिक्स में कोर्स करने वाले छात्र की फिजिक्स व मैथमेटिक्स अच्छी होनी चाहिए। मेक्ट्रोनिक्स में कोर्स करने वाले छात्र इसरो जैसे अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन में रोजगार के विशिष्ट अवसर प्राप्त कर सकते हैं। इस क्षेत्र में कैरियर बनाने के लिए इन क्षेत्र से संबंधित तकनीकों से भी अवगत होना चाहिए यदि आप मेक्ट्रोनिक्स में डिजाइनिंग तथा कंट्रोल में विशेषज्ञता प्राप्त करना चाहते हैं तो आपको इंस्ट्रुमेंटेशन या इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में डिग्री हासिल करनी होगी। मेक्ट्रोनिक्स इंजीनियरिंग में मेक्ट्रोनिक्स के निम्नलिखित विषय मेक्ट्रोनिक्स की आधारशिला, इंजीनियरिंग ड्राइंग, मैकेनिकल इंजीनियरिंग, इलेक्ट्रॉनिक्स और कम्प्यूटर्स इलेक्ट्रॉनिक्स, सामग्री इंजीनियरिंग, गुणवत्ता नियंत्रण, उन्नत इलेक्ट्रिकल एंड इलेक्ट्रॉनिक्स, डायनामिक्स, इंस्ट्रुमेंटेशन नियंत्रण, बहु रोबोट प्रणाली, संवेदनशील रोबोटिक से संबंधित तकनीकों का अध्ययन करते है। मेक्ट्रोनिक्स में समय या आवृत्ति डोमेन के माध्यम से सिस्टम चलाने के लिए गतिशील सिस्टम का उपयोग करते हैं।
वेतन
मेक्ट्रोनिक्स एक या दो दिनों में सीख कर चलाया जाने वाला अल्पकालीन क्षेत्र नहीं है, बल्कि यह एक दीर्घकालीन अनुसंधानपरक, बहुआयामी करियर है। एक मेक्ट्रोनिक्स इंजीनियर की सालाना आय औसतन 14ए00ए000 रुपये तक हो सकती है उच्च शिक्षा का विकल्प मेक्ट्रोनिक्स इंजीनियर का रचनात्मक क्षेत्र है, लेकिन इसमें उच्च शिक्षा हासिल करने पर कैंडीडेट्स को वरीयता मिलती है। कैंडीडेट चाहे तो खुद का स्वचालन प्रयोगशाला को खोलकरअच्छा उद्यमी/उद्योगपति बन सकता है।
कोर्सेज
- बीटेक इन मेक्ट्रोनिक्स इंजीनियरिंग
- मास्टर आफ साइंस इन मेक्ट्रोनिक्स
- एडवांस डिप्लोमा इन मेक्ट्रोनिक्स
- एमटेक इन मेक्ट्रोनिक्स इंजीनियरिंग
- बीएससी इन मेक्ट्रोनिक्स
- एमएससी इन मेक्ट्रोनिक्स एंड रोबोटिक्स
- डिप्लोमा इन मेक्ट्रोनिक्स इंजीनियरिंग
- पीएचडी इन मेक्ट्रोनिक्स इंजीनियरिंग
मुख्य संस्थान
- स भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, मुंबई
- स दिल्ली विश्वविद्यालय, नई दिल्ली
- स मद्रास विश्वविद्यालय, चेन्नई
- स इंडियन स्कूल ऑफ माइंस, धनबाद
- स जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय, नई दिल्ली
- स आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और रोबोटिक्स प्रौद्योगिकी संस्थान, बंगलोर
- स बिरला इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नॉलॉजी एण्ड साइंस, पिलानी
- एशिया पैसिफिक इंस्टीट्यूट ऑफ इनफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी, पानीपत
- जीएच पटेल कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नॉलॉजी, गुजरात
- मुकेश पटेल स्कूल ऑफ टेक्नॉलॉजी मैनेजमेंट एंड इंजीनियरिंग, विले पार्ले वेस्ट, मुम्बई
- तेरना इंजीनियरिंग कॉलेज, नवी मुम्बई
- राजस इंजीनियरिंग कॉलेज, तिरुनेलवेली - 627116 तमिलनाडु
- एआर कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग और टेक्नॉलॉजी, तिरुनेलवेली
- कावेरी कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग, सलेम
- नेहरू इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नॉलॉजी, कोयंबटूर
- अर्जुन कॉलेज ऑफ टेक्नॉलॉजी, कोयंबटूर
- राजलक्ष्मी इंजीनियरिंग कॉलेज, कांचीपुरम
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