साउंड इंजीनियरिंग
संजय गोस्वामी
जब कोई वस्तु ध्वनि करती है तो वह कंपन करती है। यह कंपन अपने चारों ओर विद्यमान पदार्थ या माध्यमों के कणों को भी कंपायमान कर देती है। ये कण कंपन करने वाली वस्तु से कानों तक स्वयं गति करके नहीं पहुँचते, बल्कि यह एक क्रम से एक दूसरे को कंपन स्थानांतरित करके ध्वनि को संचारित करते हैं। सबसे पहले कंपन करने वाली वस्तु के पास वाले पदार्थ के कण अपनी संतुलित अवस्था से विस्थापित होते हैं। ये कण अपने पास वाले कणों पर बल लगाते हैं, जिससे वे विस्थापित होकर अगले वाले कणों पर बल लगाते और विस्थापित करते हैं। पास वाले कणों को विस्थापित करने के बाद प्रारंभिक कण अपनी मूल अवस्थाओं में वापस आ जाते हैं। इस प्रकार माध्यम में यह प्रक्रिया तब तक होती रहती है, जब तक कि ध्वनि कानों तक नहीं पहुँच जाती। फिल्मों, टीवी या रेडियो क ेक्षेत्र में संगीत के रूप में ध्वनि का उपयोग होता है। ध्वनि से ही सब स्वरों का जन्म होता है। ध्वनि है, तो चारों तरफ का मधुर संगीत सुनाई पड़ता है। प्रकृति की सुंदरता तथा मन के भावों को बताने के लिए इससे अच्छा साधन कोई नहीं है। ध्वनि संगीत का हमारे स्वास्थ्य पर गहरा असर पड़ता है। दुनिया भर में संगीत पर अध्ययन किए जा रहे हैं, जिसक ेसकारात्मक परिणाम सामने आ रहे हैं। शोध के अनुसार पसंदीदा और अनुकूल संगीत सुनकर अनेक बीमारियों का या तो समुचित निदान किया जा सकता है अथवा उनसे जीवन पर पड़ने वाले प्रतिकूल प्रभावों को काफी हद तक रोका जा सकता है।
साउंड (आवाज) को मीडिया के विभिन्न माध्यमों में प्रसारण से पहले खास तकनीक के जरिये उच्च गुणवत्ता वाला बनाया जाता हैा इसे निखारने का काम करते हैं साउंड इंजीनियर साउंड इंजीनियर ़़फ्रीलांस रिकॉर्डिंग इंजीनियर, प्रोग्रामर, साउंड डिजाइनर, ईडीएम, इलेक्ट्रॉनिक, हिप हॉप, पॉप, टेक्नो, ट्रान्स फिल्मों, टीवी या रेडियो पर प्रसारित होने वाले कार्यक्रमों की आवाज की क्वालिटी इतनी बेहतर कैसे होती है विभिन्न माध्यामों से जो आवाज आप तक पहुँचती है, उसकी क्वालिटी को कौन निखारता होगा। चलचित्रों के साथ आवाज को सही रूप में मिकिं्सग करने का काम किसका होता होगा इन तमाम सवालों का जवाब है साउंड इंजीनियर। जो टीवी, रेडियो, सिनेमा, थियेटर, रिकॉर्डिग आदि में साउंड को खास तकनीक के जरिये स्पष्ट और हाई डेफिनेशन यानी उच्च गुणवत्ता का बनाता है। इसके लिए कई तरह के टेक्निकल इंस्ट्रूमेंटस उपयोग किए जाते है। अगर आपका मन भी साउंड इंजीनियर बनने का है, तो पहले यह जान लें, कि कम्प्यूटर और साउंड से जुडे इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों मे कितनी रुचि है साउंड की समझ के साथ-साथ सेंस ऑफ पिच, टाइमिंग और रिदम जैसी स्किल्स भी जरूरी है। इसके अलावा साउंड/ऑडियो इंजीनियर को वीडियो टेक्नीशियंस, वीडियो एडिटर्स, कलाकारों और डायरेक्टर्स से बेहतर तालमेल रखने का गुण भी होना जरूरी है, ताकि वे माहौल के अनुसार, जरूरी साउंड को स्पष्ट रखते हुए फिजूल के साउंड को रिकॉर्ड से हटा सके।यह फील्ड उन इंजीनियरों के लिए है, जो विज्ञान के साथ-साथ कला में भी रुचि रखते हैं। सुरों की समझ रखने वालों को इस क्षेत्र में बहुत आनंद आता है। मैथ्स और फिजिक्स की बेसिक नॉलेज होनी चाहिए। इसके अलावा सर्व श्रेष्ठ संगीत के लिए ध्वनि में कमिटमेंट तो होना जरूरी है ही। एक साउंड इंजीनियर को टेक्निकल नॉलेज, इलेक्ट्रिकल एप्टीट्यूड, इलेक्ट्रॉनिक्स, मैकेनिकल सिस्टम एवं इक्विपमेंट जानकारी होनी आवश्यक है। एकाग्रता, धैर्य, अच्छी समझ, अच्छी लय की जरूरत, अच्छे रिदम जैसे गुण साउंड इंजीनियर के लिए जरूरी हैं। रिकॉर्डिंग माध्यमों, जैसे एनालॉग टेप, डिजिटल मल्टीट्रैक रिकॉर्डर एवं कम्प्यूटर नॉलेज की जानकारी सहायक साबित होती है।
साउंड इंजीनियरिंग (ध्वनिक इंजीनियरिंग के रूप में भी जाना जाता है) ध्वनि और कंपन से संबंधित इंजीनियरिंग की शाखा है प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में साउंड इंजीनियरिंग, ध्वनिकी, ध्वनि और कंपन का विज्ञान है। ध्वनिक इंजीनियर आमतौर पर ध्वनि के डिजाइन, विश्लेषण और नियंत्रण से संबंधित हैं। हाल के वर्षों में ध्वनि इंजीनियर की मांग तेजी से बढ़ी है। होम स्टूडियो और छोटे मिक्स रूम ने रिकॉर्डिंग स्टूडियो को बदल दिया है। डिजिटल क्रांति ने रिकॉर्डिंग स्टूडियो के लिए कम्प्यूटर ऑडियो वर्क स्टेशन उपलब्ध कराए हैं। एक साउंड इंजीनियर को एरोकोस्टिक्स, ऑडियो सिग्नल प्रोसेसिंग, वास्तुकला ध्वनिकी, बायोआकौस्टिक, विद्युत-ध्वनिकी, पर्यावरण शोर, संगीत ध्वनिकी, शोर नियंत्रण, मनोवैज्ञानिक, भाषण, अल्ट्रासाउंड, पानी के नीचे ध्वनिकी, और कंपन की जानकारी होती है।
क्षेत्र
यह फील्ड उन इंजीनियरों के लिए है, जो विज्ञान के साथ-साथ कला में भी रुचि रखते हैं। सुरों की समझ रखने वालों को इस क्षेत्र में बहुत आनंद आता है। इसके अलावा मैथ्स और फिजिक्स की बेसिक नॉलेज होनी चाहिए। एक साउंड इंजीनियर को टेक्निकल नॉलेज, इलेक्ट्रिकल एप्टीट्यूड, इलेक्ट्रॉनिक्स, मैकेनिकल सिस्टम एवं इक्विपमेंट की जानकारी होनी आवश्यक है। एकाग्रता, धैर्य, अच्छी समझ, अच्छी लय की जरूरत, अच्छे रिदम जैसे गुण साउंड इंजीनियर के लिए बहुत जरूरी हैं। आजकल मीडिया और जनसंचार का क्षेत्र तेजी से आगे बढ रहा है। रेडियो, इंटरनेट, टीवी, थियेटर आदि की बाढ़ आई हुई है। जाहिर है, इन माध्यमों के लिए साउंड इंजीनियर की मांग भी रहेगी। यानी कॅरियर के लिहाज से यह क्षेत्र आपके लिए बेहतर है। इस फील्ड में आप एक साल से लेकर तीन साल तक के डिग्री(ठैब)/डिप्लोमा, पीजी डिप्लोमा, बैचलर या मास्टर डिग्री(डैब) हासिल कर सकते है। इस फील्ड में आपको दिन-रात और दूर-दराज के क्षेत्रो में काम करने के लिए तैयार रहना होगा। आजकल म्यूजिक शो, थियेटर, लाइव कन्सर्ट आदि का आयोजन देश-विदेशो में अलग-डिग्री समय पर होता है। इसके लिए डायरेक्टर या प्रोडयूसर की एक पूरी टीम होती है, जिसे कलाकारों के साथ संबंधित जगह पर जाना होता हैा यानी यह क्षेत्र आपसे धैर्य की मांग भी करता है। इस फील्ड की डिग्री, डिप्लोमा हासिल करने के बाद आप इंजीनियर के रूप में टीवी चैनल्स, फिल्म, रेडियो, स्टूडियो, मल्टीमीडिया डिजाइन, एनिमेशन, विज्ञापन आदि क्षेत्रों में काम कर सकते है। अनुभव होने पर आप खुद का रिकॉर्डिग स्टूडियो भी खोल सकते है।
कोर्स
छात्रों जो संगीत, सुनने में रुचि रखते हैं, ध्वनिकी और ऑडियो के बारे में मौलिक ज्ञान हो तो, बहुत सारी अकादमियों ने उभरते हुये ध्वनि विशेषज्ञ, ऑडियो इंजीनियरों और संगीतकारों के लिए साउंड इंजीनियरिंग का एक तकनीकी कोर्स बनाया है। साउंड/ऑडियो इंजीनियरों के लिये कम्प्यूटर विज्ञान, सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग, संचार इंजीनियरिंग, या इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग आदि आवश्यक विषय है इस तरह की जानकारी सिस्टम, इंजीनियरिंग, प्राकृतिक विज्ञान, गणित या भौतिकी के रूप में ऑडियो इंजीनियरिंग के पर्याप्त अध्ययन और कौशल के लिए आवश्यक क्षेत्र है। इसे फिल्मों, टीवी या रेडियो पर प्रसारित होने वाले कार्यक्रमों में सर्वश्रेष्ठ ध्वनि गुणवत्ता के लिए डिज़ाइन किया जाता है। पाठ्यक्रम में छात्रों को ऑडियो कोडिंग, संगीत प्रौद्योगिकी, ध्वनिक माप, ऑडियो सिग्नल प्रोसेसिंग, कमरे और भवन ध्वनिकी के बारे में समझाया जाता है यह पाठ्यक्रम उभरते हुये संगीत निर्माता उत्साही ऑडियो इंजीनियरों के लिए बनाया गया है जो अपने ज्ञान और कौशल को बढ़ाने और मनोरंजन उद्योगकी आवश्यकताओं(ध्वनि उत्पादन) को बेहतर समझ हासिल करना चाहते हैं। इसके अलावा साउंड/ऑडियो इंजीनियर को वीडियो टेक्नीशियंस, स्टूडियो डिजाइनर/ध्वनिक सलाहकार, वीडियो एडिटर्स, कलाकारों और डायरेक्टर्स से बेहतर तालमेल रखने का गुण भी होना जरूरी है, ताकि वे माहौल के अनुसार, जरूरी साउंड को स्पष्ट रखते हुए फिजूल के साउंड को रिकॉर्ड से हटा सके।
मुख्य विषय
गणित (रेखीय बीजगणित, फूरियर विश्लेषण, प्रायिकता सिद्धांत और सांख्यिकी), भौतिकी और यांत्रिकी, अंकीय संकेत प्रक्रिया, एप्लाइड सिग्नल प्रोसेसिंग, कौशल संगीत प्रोग्रामिंग, संगीत वाद्य यंत्र रिकॉर्डिंग, ध्वनि और ऑडियो मिश्रण माइक्रोफोन, गतिशीलता मिश्रण तकनीक मास्टरिंग तकनीक, ध्वनि धारणा के तत्व, पिच, अवधि, टिम्बर, ध्वनि बनावट, ध्वनि की आवृत्ति, तरंगदैर्ध्य, अवशोषण, ध्वनि का दबाव, ध्वनि की तीव्रता के लिए डेसिबेल, शोर, साउंड स्केप, ध्वनि दबाव स्तर और ध्वनि की उपकरणों की डिजाइन के बारे में पढाया जाता है। पाठयक्रम के दौरान छात्रों को रिकॉर्डिग टूल्स जैसे टेप मशीन, स्पीकर, सिंगल प्रोसंसर, माइक्रोफोन, हेडफोन, माइक, इलेक्ट्रॉनिक म्यूजिक इंस्ट्रूमेंट्स आदि का इस्तेमाल करना भी सिखाया जाता है। मुख्य रूप से साउंड इंजीनियरिंग में छात्रों को ऑडियो राइटिंग, साउंड फ्रिक्वेंसी और साउंड स्पेशल इफेक्ट्स ध्वनिक योजना, रिकॉर्डिंग विधियां, फूरियर विश्लेषण के ज़रिये ध्वनियाँ और मिश्रण की जांच करना, नागरिक संचार, भौतिक विज्ञान, गीत लेखन और लेखन कौशल आदि के बारे में पढाया जाता है। साथ ही साउंड रिकॉर्डिग, एडिटिंग, मिकिं्सग आदि की तकनीकी व व्यवहारिक जानकारी दी जाती है।
नए जमाने में म्यूजिक का महत्व सिर्फ मनोरंजन तक ही सीमित नहीं है, बल्कि कैरियर निर्माण के दृष्टिकोण से भी इसके महत्व में कई गुना बढ़ोतरी हुई है। प्रतिभावान अभ्यर्थी अपनी बेहतर परफॉर्मेंस के बल पर संगीत निर्देशक/सेलिब्रिटी भी बन सकते हैं। नए जमाने में गायन, नृत्य या अभिनय के अलावा म्यूजिक, ध्वनि रिकॉर्डिंग एनीमेशन के क्षेत्र में एक अच्छा विकल्प है, जिनके माध्यम से सर्वोत्तम आवाज़ के दम पर कैरियर की रूपरेखा निर्धारित की जाती है। अब यह आप पर निर्भर करता है कि आप किस विकल्प का चयन करते हैं। भारत जैसे देश में जहाँ हर साल 1000 से अधिक फिल्में बनती हैं, फिल्म में संवाद अभी भी स्टूडियो में डब की जाती है। सिंक्रोनाइज ध्वनि रिकॉर्डिंग करने के लिए ध्वनि अभियंता और रिकॉर्डिंग इंजीनियर की बड़े पैमाने पर आवश्यकता होती है। ध्वनि/रिकॉर्डिंग इंजीनियर के लिए फिल्म उद्योग में रोजगार के अवसरों की काफी अच्छी संभावनाएं है।
वेतन
सेलरी के हिसाब से भी यह काफी आकर्षक करियर है। एक फिल्म उद्योग में विभिन्न प्रकार के पद ऑडियो इंजीनियर (ध्वनि अभियंता), रिकॉर्डिंग इंजीनियर, साउंड प्रोडक्शन इंजीनियर, ध्वनि विश्लेषक आदि हैं इसके अलावा संगीत उद्योग, स्टूडियो में ध्वनि रिकॉर्डिस्ट, स्टूडियो प्रबंधक, रिकॉर्डिस्ट, उत्पादन सहायक, प्रोमो निर्माता, रेडियो ध्वनि अभियंता, ध्वनिक सलाहकार, लाइव ध्वनि अभियंता के पद हैं जो ऑडियो इंजीनियरिंग में नई प्रौद्योगिकियों के साथ जुड़े होते हैं और उनकी सेलरी भी अलग-अलग होती है। यदि इस इंडस्ट्री के वेतनमान पर गौर किया जाए तो शुरुआती दौर में इसमें 50.60 हजार रुपए प्रतिमाह मिलते हैं। यह ऐसी इंडस्ट्री है, जो प्रोफेशनल्स से अनुशासन, धैर्य, जिम्मेदारी, सत्यनिष्ठा, प्रतिबद्घता और आत्मविश्वास का गुण मांगती है। इसमें कई ऐसे पद हैं, जिनमें कठोर, मेहनत, दिमागी सतर्कता, सहनशक्ति, मुश्किल दौर में काम करने की शक्ति और अच्छी टीम भावना की बदौलत आगे की ओर बढ़ा जा सकता है। एक ध्वनि इंजीनियर को संगीत निर्देशक, गायक ऑडियो रिकॉर्डिंग सिस्टम ऑपरेटर, रख.रखाव, मरम्मत और सेटअप ऑपरेटर, गीत रचनाकारों, फ़िल्म संपादकों, फ़िल्म निर्देशकों, वीडियो ऑपरेटर आदि के साथ मिलकर काम करना होता है स्टूडियो में संगीत और अन्य ध्वनि प्रभावों की उच्च गुणवत्ता रिकॉर्डिंग का विकास करने के लिए कई बार इनके काम (ऑडियो रिकॉर्डिंग) के घंटे काफी लम्बे और उबाऊ होते हैं। ऐसे में उन्हें हर समय संगीत की सहायता से खुद को तरोताजा रखना होता है।
प्रमुख शिक्षण संस्थान
- फिल्म एंड टेलीविजन इंस्टीटयूट ऑफ इंडिया, पुणे
- नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा, नई दिल्ली
- फिल्म एंड टेलीविजन इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया, पुणे
- सत्यजीत रे फिल्म एंड टेलीविजन इंस्टीटयूट, कोलकाता, पश्चिम बंगाल
- एशियन एकेडमी ऑफ फिल्म एंड टीवी, नोएडा, उत्तर प्रदेश
- संगीत अकादमी, दिल्ली
- दिल्ली डांस एकेडमी, गुड़गांव
- आईआईटी, खडगपुर
- सत्यजीत रे फिल्म एंड टेलीविजन इंस्टीटयूट,कोलकाता, पश्चिम बंगाल
- एशियन एकेडमी ऑफ फिल्म एंड टीवी, नोएडा, उत्तर प्रदेश
- दिल्ली फिल्म इंस्टीटयूट, साउथ एक्सटेंशन, दिल्ली
- भारतीय विद्या भवन, नई दिल्ली
- जीसस एंड मेरी कॉलेज, नई दिल्ली
- एलीट स्कूल ऑफ मॉडलिंग, नई दिल्ली
- दि मेहर भसीन अकादमी, नई दिल्ली
- स्पिन गुरु डीजे एंड रीमिकिं्सग एकेडमी, नई दिल्ली
- डीजे ट्रेनिंग एकेडमी, अहमदाबाद
- दिल्ली यूनिवर्सिटी, दिल्ली
- रबींद्र भारती यूनिवर्सिटी, कोलकाता
- एकेडमी ऑफ ब्रॉडकासिं्टग, चंडीगढ़
- जेवियर इंस्टीट्यूट ऑफ कम्युनिकेशन, मुंबई
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