परदे के पीछे का सच
जब एल्विन टॉफ्लर ने अपनी प्रसिद्ध किताब ‘थर्ड वेव’ में यह घोषित किया था कि सूचना तकनीक में सŸाा के पारंपरिक ढांचों को चुनौती देने की अपार क्षमता होगी और सूचना को भी हथियार की तरह इस्तेमाल किया जा सकेगा तब उन्हें भी विकीलीक्स जैसे मारक हथियार का अनुमान शायद ही हो। प्रारंभ में तो सूचना तकनीक ने काम करने की परंपरागत पद्धतियों को बदलने के साथ-साथ संगठनों में मध्यस्तरीय प्रबंधन के प्रभुत्व को कम किया, राजनैतिक पार्टियों की जकड़न को कमजोर करने में मदद की और संगठनों तथा सरकारों के भीतर अधिक पारदर्शिता की संभावना को जन्म दिया लेकिन अब विकीलीक्स के प्रयोग ने यह दर्शाया है कि सूचना तकनीक में विश्व की विभिन्न ताकतवर सरकारों को हिलाने तथा सत्ता के वैश्विक ढांचे में जवाबदेही तथा पारदर्शिता लाने की विपुल संभावना है। किस तरह सरकारें, संस्थान या कारपोरेट जगत गोपनीयता का इस्तेमाल अपने हितों के संरक्षण एवं सम्वर्धन में करते हैं और किस तरह आम व्यक्ति पर हो रहे अन्याय को छुपाया जा रहा है, यह बात विकीलीक्स के खुलासों ने जाहिर की है। विकीलीक्स के विरोधी मानते हैं कि अपने-अपने देश में शांति और व्यवस्था स्थापित करने के लिए ये आवश्यक है कि विभिन्न देशों की सरकारों के पास गोपनीयता का अधिकार बना रहे अन्यथा व्यापक अशांति एवं गड़बड़ी फैलने की संभावना है और इसलिये, विकीलीक्स का विरोध किया जाना चाहिये।
कुछ सरकारों ने विकीलीक्स के इन खुलासों का समर्थन किया है और कुछ ने जिनमें अधिकतर विकसित देशों की सरकारें हैं, इनका कड़ा विरोध किया है। ईरान, इराक, सऊदी अरेबिया, अफगानिस्तान, पाकिस्तान और भारत के बारे में अमेरिकी कूटनीति की कई गोपनीय जानकारियाँ बाहर आई हैं और इससे पूरे विश्व में भारी हलचल मची है। अटैक और काउण्टर का सिलसिला जारी है, विकीलीक्स की वेबसाइट पर साइबर विशेषज्ञों ने हमला बोला है, पेमेन्ट गेटवे जैसे वीजा, पे-पल आदि ने विकीलीक्स के लिये भुगतान लेने से मना कर दिया है तथा विकीलीक्स के संस्थापक जूलियन असाँज को सैक्सुअल दुर्व्यवहार के आरोपों में गिरफ्तार कर लिया गया है। सूचना का यह युद्ध अभी जारी है और इसके कई पक्ष खुलने अभी बाकी हैं। आइये देखते है कि विकीलीक्स क्या है, वह काम कैसे करता है, उसने किस तरह के खुलासे किये हैं, उन खुलासों का महत्व क्या है, क्या उसे पत्रकारिता के मानकों पर सही माना जा सकता है और क्या वाकई उसमें वैश्विक व्यवस्था को चुनौती देने की ताकत है?
विकीलीक्स क्या है?
विकीलीक्स एक ऐसा गैर लाभकारी मीडिया संगठन है जो विश्व भर की महत्वपूर्ण जानकारियों और सूचनाओं को जनता तक पहुंचाने का दावा करता है। वह नैतिक, राजनैतिक तथा ऐतिहासिक महत्व की जानकारियों को लोगों तक पहुंचाते हुए अपने स्रोतों को पूरी तरह गोपनीय रखने का भी दावा करता है और इस तरह अब तक छुपे हुए या लोगों की नजरों से ओझल कर दिये गये अन्यायों को प्रकाशित करने का दावा करता है। विकीलीक्स का कहना है कि उसका प्राथमिक लक्ष्य है एशिया, पूर्व सोवियत देशों, अफ्रीका और मध्य पूर्व के शोषक शासकों को बेनकाब करना और उन लोगों की मदद करना जो इन शासकों तथा इन देशों में काम कर रहे व्यापारिक संस्थानों के अनैतिक कार्यों को सामने लाना चाहते हैं। विकीलीक्स अपना यह कार्य मूलतः अपनी वेबसाइट ूपापसमंोण्वतह के माध्यम से करता है जिसके डोमेन नाम को 4 अक्टूबर 2006 को रजिस्टर कराया गया।
इसके संस्थापक जूलीयन असाँज का यह मानना है कि लोगों को सब कुछ जानने का अधिकार है और इंटरनेट के माध्यम से इसे संभव भी किया जा सकता है बल्कि मजबूत लोकतंत्र के लिए यह जरूरी भी है इस तरह उन्होंने शताब्दियों पुरानी इस अवधारणा को चुनौती दी है कि सरकारें जनता को अज्ञान की अवस्था में रख सकती हैं और इस तरह उन पर शासन कर सकती है। विश्व के कई प्रमुख संगठनों जैसे सिडनी पीस फाउन्डेशन ने उन्हें दलाई लामा और नेल्सन मण्डेला के समकक्ष माना है।
विकीलीक्स काम कैसे करता है?
जैसा कि पहले बताया गया है विकीलीक्स के काम का प्रमुख आधार इसकी वेबसाइट है जो ूपापसमंोण्वतह के नाम से 4 अक्टूबर 2006 को पंजीकृत कराई गई थी। इस पर किसी भी तरह की गोपनीय एवं क्लासीफाइड जानकारी भेजी जा सकती है। दुनियाभर के गोपनीय स्रोतों, नागरिक संगठनों और सचेतकों से इसे जानकारी प्राप्त होती है। वेबसाइट अपने सूचना के स्रोतों को पूरी तरह छुपाकर रखती है। इसकी स्थापना के एक वर्ष के भीतर इसके पास लगभग 12 लाख दस्तावेजों का डेटाबेस एकत्र हो गया जिसका विश्लेषण कर समय-समय पर यह उनका प्रकाशन करती है। इसके संस्थापकों में आस्ट्रेलियन इंटरनेट पत्रकार जूलियन असाँज के अलावा कुछ चीनी विद्रोही पत्रकार, गणितज्ञ और अमेरिका, तायवान, यूरोप, आस्ट्रेलिया और दक्षिण अफ्रीका के तकनीकी विशेषज्ञ शामिल हैं। प्रारंभ में यह सामान्य विकीपीडिया वेबसाइट की तरह प्रयोगकर्Ÿाा द्वारा संपादित की जा सकने वाली वेबसाइट थी किन्तु बाद में इसे विकीपीडिया के मॉडल से अलग कर दिया गया और अब प्रयोगकर्ता इसे संपादित नहीं कर सकते। विकीलीक्स का विकीपीडिया से कोई संबंध नहीं है।
विकीलीक्स वेबसाइट का संचालन स्वयंसेवी तरीके से होता है और कोई मुट्ठीभर वालन्टीयर ही इसे संचालित कर लेते हैं, यहां तक कि संचालित करने वालों के नाम भी एक हद तक गोपनीय हैं। आर्थिक रूप से यह अपने दानदाताओं द्वारा दिये गये दान पर चलती है और इस पर दी गई जानकारी कोई भी देख सकता है। विकीलीक्स कई देशों से काम करता है किन्तु स्वीडन और आईसलैंड में यह प्रमुखता से उपस्थित है जहां पर निजता एवं डिजिटल अधिकारों का ज्यादा कड़ाई से पालन किया जाता है। दुनिया भर में कोई भी व्यक्ति, वेबसाइट पर दिये गये ऑनलाइन फार्म द्वारा, इसे जानकारी भेज सकता है और वेबसाइट के संचालक उसे मल्टीमीडिया स्वरूप देते हुए इसे अन्य वेबसाइट के लिये तथा अपने प्रयोगकर्Ÿााओं के लिये पुनः प्रस्तुत कर देते हैं। वैसे तो वेबसाइट संचालक अपने स्रोतों के लिए गोपनीयता प्रदान करने का दावा करते हैं लेकिन एक बीस वर्षीय छात्र ने अमेरिकन पत्रकार साराह पालिन के उस ईमेल अकाउन्ट को खोल लिया था जिनके ईमेल का प्रकाशन विकीलीक्स द्वारा किया गया था। विकीलीक्स को स्वीडन की एक कम्पनी पी.आर.क्यू. द्वारा होस्ट किया जाता है जो अपने ग्राहकों के बारे में कुछ न बताने के लिये प्रसिद्ध है। इसके अलावा विकीलीक्स खुद अपने सर्वर भी अनजानी जगहों पर रखता है। आक्सफोर्ड विश्वविद्यालय की एक कांफ्रेंस में खुद असाँज ने कहा कि वे अतिआधुनिक एनक्रिप्शन का प्रयोग करते हैं जिसके माध्यम से वेबसाइट पर किसी भी तरह के हमलों को रोका जा सकता है। एनेक्रिप्टेड डेटा को कई नोड्स से गुजारा जाता है जिनमें से प्रत्येक नोड सिर्फ अपने से पहले के नोड को ही पहचानता है। इस तरह डेटा को ट्रेक करना लगभग असंभव हो जाता है। विकीलीक्स कई सॉफ्टवेयर पैकेजेस का इस्तेमाल करता है जिनमें मीडिया के विकी, फ्रीनेेट, टॉर एवं पीजीपी शामिल हैं। एक बार जब क्लासीफाइड केबल्स के प्रकाशन के बाद हुए हमलों के कारण मूल वेबसाइट ने काम करना बंद कर दिया था तथा बॉलन्टिसर्स ने कुछ ही घंटों के भीतर मूल वेबसाइट की सैकड़ों प्रतिकृतियाँ तैयार कर दीं। इस सहयोगी प्रकृति के कारण विकीलीक्स को दबाना काफी मुश्किल है।
क्या प्रकाशन के पहले विकीलीक्स अपनी सूचनाओं की सत्यता की परीक्षण भी करता है?
विकीलीक्स का कहना है कि वे पारंपरिक पत्रकारों की तरह इस तरह का परीक्षण करते हैं, वे सूचना के स्रोत की बारीकी से जांच तो करते ही हैं लेकिन इसी के साथ आवश्यकता पड़ने पर संबंधित क्षेत्र या देश में जाकर भी जांच करते हैं। उदाहरण के लिए इराकी नागरिकों पर अमेरिकी हमले के वीडियो को, जिसे विकीलीक्स ने ‘कोलेटरल मर्डर’ के नाम से प्रकाशित किया था, वेबसाइट पर प्रकाशित करने से पहले इराक जाकर प्रभावितों से विस्तृत बातचीत की गई, अस्पतालों के रिकार्ड को खंगाला गया तथा मृत्यु प्रमाणपत्रों की भी जांच की गई। हालांकि विकीलीक्स के खुलासों की विश्वसनीयता पर प्रश्नचिन्ह खड़े किये जाते हैं लेकिन खुद विकीलीक्स का कहना है कि प्रकाशित जानकारी ठोस और विश्वसनीय है और काफी छानबीन के बाद ही प्रकाशित की जाती है।
कुछ प्रमुख खुलासे
विकीलीक्स द्वारा किये गये कुछ खुलासे जिन्होंने दुनिया भर में हलचल मचाई, इस प्रकार हैं:
स अप्रैल 2010 में विकीलीक्स ने वर्ष 2007 में एक घटना का वीडियो प्रकाशित किया जिसमें अमेरिकी सेनाओं द्वारा इराकी नागरिकों एवं पत्रकारों की हत्या करते हुए दिखाया गया है, उन्होंने इसे ‘कोलेटरल मर्डर’ का नाम दिया।
स इसी वर्ष जुलाई में विकीलीक्स ने अफगान वॉर डायरी के नाम से 76ए900 दस्तावेजों का प्रकाशन किया जिन्हें पहले कभी नहीं देखा गया था।
स अक्टूबर 2010 में इराक वॉर लॉग्स के नाम से कोई 40ए000 दस्तावेजों का प्रकाशन किया गया जिन्हें अन्य व्यवसायिक संगठनों के साथ मिलकर प्रकाशित किया गया।
स नवम्बर 2010 में विकीलीक्स ने अमेरिकन विदेशी विभाग के राजनैतिक संदेशों को प्रकाशित करना प्रारंभ किया।
स 28 नवम्बर 2010 से विकीलीक्स ने अमेरिकी विदेशी विभाग के 251287 संदेशों का प्रकाशन किया जिससे लोगों को अमेरिकी विदेशी विभाग की गतिविधियों के भीतर झांकने का मौका मिला।
स जहां ब्राजील, इक्वाडोर, रूस, वैनेजुएला तथा यूनाइटेड नेशन ने विकीलीक्स के कामों की प्रशंसा की वहीं आस्ट्रेलिया, फ्रांस, इरान, फिलीपिन्स एवं अमेरिका ने इसकी घोर निंदा की।
विकीलीक्स और भारत
अमेरिका, इराक और अफगानिस्तान के बारे में गोपनीय जानकारी के प्रकाशन के बाद विकीलीक्स ने भारत के बारे में भी कई गोपनीय जानकारियाँ प्रकाशित कीं। उनमें से कुछ इस प्रकार हैं:
स पार्लियामेंट में वर्ष 2008 के मत विभाजन के समय बहुमत प्राप्त करने के लिए कांग्रेस ने सांसदों की खरीद-फरोख्त की। अजीत सिंह के राष्ट्रीय लोकदल के प्रत्येक सांसद को 10 करोड़ रुपये दिये गये।
स चिदम्बरम के बेटे एवं अझागिरी ने थरुमंगलम के चुनावों में प्रत्येक वोटर को 5000 रु. बांटे। इस सूचना का चिदम्बरम के बेटे ने कड़ा विरोध किया।
स भारत ने 26ध्11 हमलों की जानकारी पाकिस्तान को देने से मना कर दिया था लेकिन बाद में अमेरिकन दबाव के आगे वह झुक गया।
2006 के केबिनट निर्माण में अमेरिका समर्थकों को ज्यादा जगह दी गई।
स वेस्ट एशिया के प्रति यू.पी.ए की नीतियां इस तथ्य से प्रभावित होती हैं कि मुस्लिम वोट कहीं प्रभावित न हो जायें।
स अटल बिहारी वाजपेयी सरकार पर बुश प्रशासन ने दबाव डाला था कि वह इराक में अपनी सेनाएँ भेजे पर अंत में आंतरिक विरोध के कारण वाजपेयी सरकार ने सेनाएँ भेजने से मना कर दिया।
उपरोक्त खुलासों ने जहाँ भारत में विरोधी पार्टियों का मुखर समर्थन प्राप्त किया वहीं कांग्रेस ने उन्हें आधारहीन बताते हुए खारिज कर दिया।
विकीलीक्स के संदर्भ में कुछ सवाल
उपरोक्त रहस्य उद्घाटनों के बाद पूरे विष्व में विकीलीक्स को लेकर एक व्यापक बहस चल पड़ी और उसके रोल तथा कार्यपद्धति को लेकर कई सवाल उठाये जाने लगे।
इनमें से पहला सवाल है कि क्या विकीलीक्स वाकई हमें ऐसा कुछ बता रहा है जो हमें पहले से ही मालूम नहीं है? अधिकतर खुलासे उस रसीले राजनैतिक वार्तालाप की श्रेणी में आते हैं जिन्हें दुनिया भर के राजनैतिज्ञ करते ही रहते हैं, उन्हें किसी भी तरह से राजनैतिक निष्कर्ष नहीं माना जा सकता। वे बंद दरवाजे के पीछे की कई ऐसी बातें हैं जो मजे लेने के लिये या झुंझलाहट या खीज निकालने के लिये की जाती है, विकीलीक्स के आलोचकों का मानना है कि बेहतर होता अगर विकीलीक्स लश्करे-तैयबा या तालिबान के बारे में कुछ जानकारी उपलब्ध करा पता।
इसी तरह अफगानिस्तान के बारे में भी विकीलीक्स के नब्बे हजार दस्तावेज कुछ ज्यादा नहीं कहते। ये लगभग सबको मालूम है कि पाकिस्तान दोहरा खेल, खेल रहा है, या अमेरिकी सेनाएं तालिबान नेताओं के खात्मे के लिए खुफिया हमला करती रही है, और अगर उन्होंने अफगानिस्तान और पाकिस्तान में कुछ जेहादियों को मार भी गिराया है तब भी दुनिया से आतंकवाद खत्म नहीं होगा। विकीलीक्स के दस्तावेज पहले से ही उपलब्ध इन जानकारियों को पुष्ट करते हैं। हां यह जरूर है कि इनके खुलने से कई बार अमेरिका और कुछ अन्य सरकारों का चेहरा शर्म से लाल हुआ है।
इसी संदर्भ में एक और सवाल उठाया जाता है कि क्या विकीलीक्स खोजी पत्रकारिता का भविष्य है? जूलियन असाँज का यह मानना है कि दुनिया भर के मीडिया ने चौकीदारी करने के अपने मूल दायित्व को भुला दिया है और वे जाकर पूंजीपतियों की गोद में बैठ गये हैं। एक किस्म की सस्ती पत्रकारिता का बोलबाला है जिससे मीडिया जगत में जुड़े पूंजीपतियों की जेबें तो भर रही हैं लेकिन वास्तविक खोजी पत्रकारिता मुश्किल होती जा रही है क्योंकि विकीलीक्स एक गैर लाभकारी संगठन है और वो इन्टरनेट जैसे आधुनिक माध्यमों का उपयोग करता है अतः उसके लिये संभव है कि वह सरकारी, उद्योग जगत के संस्थानों, राजनैतिक पार्टियों तथा अपराधी संगठनों की जानकारी लोगों के सामने ला सके। इस तरह विकीलीक्स भविष्य की खोजी पत्रकारिता की संभावना तो अवश्य प्रस्तुत करता है, भले ही वह पारंपरिक पत्रकारिता के तरीकों को बहुत ज्यादा न अपनाता हो। भारत में हिन्दू अखबार ने विकीलीक्स के साथ जानकारी प्राप्त करने के लिये समझौता किया है।
विकीलीक्स पर हमला
अमेरिकन गोपनीय जानकारी को अपनी वेबसाइट पर प्रकाशित करना विकीलीक्स को महंगा पड़ा है। जहां गोपनीय सूचनाओं का आना रुका नहीं है वहीं विकीलीक्स की मुख्य वेबसाइट को डिनायल ऑफ सर्विस (यह सेवा उपलब्ध नहीं) जैसे हमलों का सामना करना पड़ा जो साइबर अपराधी व आतंकवादी अक्सर करते हैं, इसके अंतर्गत संबंधित वेबसाइट पर जानकारी प्राप्त करने के लिये करोड़ों हिट्स किये जाते हैं जिससे वो वेबसाइट निक्रिय हो जाती है। एक अमेरिकन कार्यकर्ता जैसटर ने अपने खुद के सॉफ्टवेयर जरसिस के माध्यम से ये काम किया।
इसी तरह इंटरनेट पेमेन्ट फर्मों जैसे अमेजन, पे-पल, वीजा और मास्टर कार्ड आदि ने विकीलीक्स के डोनेशंस को रोकना शुरू कर दिया, यह कहते हुए कि जूलियन असाँज ने अपना पता सही नहीं बताया है।
हालांकि उपरोक्त हमलों से विकीलीक्स बहुत ज्यादा प्रभावित नहीं हुआ और उसके सहयोगियों ने सैकड़ों विकीलीक्स प्रतिकृतियों का निर्माण कर लिया। दान दाताओं ने भी दान करने के दूसरे तौर तरीके निकाल लिये। विकीलीक्स ने न इन हमलों की आलोचना की और न ही इनका समर्थन किया।
अंत में जूलियन असाँज को सैसुअल दुर्व्यवहारों के आरोपों में लंदन में गिरफ्तार कर लिया गया, हालाँकि इस बीच वे अपने पास उपलब्ध दो लाख पचास हजार राजनैतिक संदेशों की एक लाख प्रतियाँ पूरे विश्व में वितरित कर चुके हैं और उन पर किसी भी तरह के हमले के पहले सरकारों को सोचना होगा।
वैश्विक राजनैतिक चेतना के संदर्भ में विकीलीक्स
अंतिम रूप से विकीलीक्स का आकलन वैश्विक राजनैतिक चेतना के संदर्भों में किया जाना चाहिये। इस समय पूरे विश्व में दो प्रक्रियाएँ एक साथ जारी हैं एक ओर तो आर्थिक और राजनैतिक रूप से शक्तिशाली वैश्विक भद्र लोक का निर्माण हो रहा है और दूसरी ओर विश्व के सभी देशों में राजनैतिक चेतना का व्यापक विस्तार जारी है। विशेष कर 25 वर्ष के युवाओं में अपनी परिस्थितियों को बदलने की गहरी इच्छा है। अब एक ओर तो वैश्विक इलीट एक नई विश्व व्यवस्था का निर्माण कर रहा है और दूसरी ओर राजनैतिक रूप से चेतन युवा उसमें भागीदारी की मांग कर रहा है।
विकीलीक्स के सामने इस वैश्विक राजनैतिक चेतना के संदर्भ में बहुत सारी संभावनाएँ एवं अवसर उपस्थित हैं। जहाँ परदे के पीछे चल रही अनेक घटनाओं और कार्यवाहियों को संदेह से देखा जाना आवश्यक है वहीं अपने चयन में उसे वैश्विक राजनैतिक चेतना के संदर्भ में सही पक्षधरता दिखानी है। पूंजीपतियों द्वारा संचालित बिकाऊ मीडिया के सामने वह करोड़ों-करोड़ लोगों तक पहुँचने वाला वैकल्पिक मीडिया बन सकता है। यही उसकी संभावना भी है और खतरा भी।