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रोबो बी- कीड़े जैसा बैठता और उड़ता है

वैज्ञानिकों ने कीड़े के आकार का उड़ने वाला रोबोट डिज़ाइन किया है। ये छत से उड़ और बैठ सकता है। इस रोबोट में इलेक्ट्रोस्टेटिक एडहिशन जैसी तकनीक का प्रयोग किया गया है, ये उसी तरह की प्रक्रिया है जिससे ग़ुब्बारे दीवार पर चिपकते हैं। ऊंचे स्थान पर बैठने से रोबोट ऊर्जा बचा पाता है। ये लेख हावर्ड माइक्रोरोबोटिक प्रयोगशाला के ‘रोबो बी’ नाम के एक दशक लंबे प्रोजेक्ट पर है। इस स्टडी में ये रोबोट प्रोग्राम किए हुए ड्रोन हैं, हर एक का आकार लगभग 10 पैसे के सिक्के के बराबर है। लंदन इंपरियल कॉलेज के एरियल रोबोटिक्स प्रयोगशाला के निदेशक डॉ. मियरको के अनुसार इस तरह के रोबोट वातावरण की निगरानी और आपदा राहत प्रयासों में आज़माए जा रहे हैं। डॉ. कोवास कहते हैं कि सेंसर से युक्त छोटे और सस्ते रोबोट के ये समूह घने जंगलों की आग और अन्य प्राकृतिक आपदा के बारे में बताने में बेहद कारगर साबित होते हैं। इस प्रोजेक्ट में मुख्य शोधकर्ता और मैसाच्यूसेस इंस्टीट्यूट ऑफ़ टेक्नॉलॉजी के पी.एचडी. छात्र मोरिस बताते हैं कि घूमते हुए माइक्रो रोबोट में ऊर्जा की खपत बेहद जल्द हो जाती है। उधर ऊंचे स्थानों पर बैठने वाले रोबोट इस समस्या का समाधान हैं। मोरिस कहते हैं कि इन छोटे रोबोट के लिए पक्षियों के पंजे की तरह टिकने वाले मैकेनिकल औज़ार बनाना काफ़ी जटिल है। इनका सतह से आसानी से अलग होना दूसरी चुनौती है यदि टिकाना ही मुख्य लक्ष्य हो। हम रोबोट के ऊपर थोड़ा गम लगा सकते हैं। इस समस्या को सुलझाने के लिए शोधकर्ताओं ने इलेक्ट्रोस्टेटिक चार्ज के साथ एक छोटा समतल लैंडिंग पैच डिज़ाइन किया। जो स्विच ऑन और ऑफ किया जा सकता है। जब इस चालू करते हैं ये पैच निगेटिव चार्ज लेता जो इसे नज़दीकी अधिक पॉज़िटिव चार्ज हुई सतह से चिपकाता है। हार्वड रोबो बी प्रोजेक्ट के मुख्य जांचकर्ता डॉ. रोबोट वुड ने बताया कि आप उस तरह का समान प्रभाव अनुभव कर सकते हैं जैसे अपने बालों पर ग़ुब्बारा रगड़ते हैं और इसे दीवार पर चिपका देते हैं और इसे नीचे उतारने के लिए हम पैच से पॉवर हटा देते हैं। ये अविष्कार हर तरह के छोटे उपकरणों के लिए मैन्युफ़ैक्चरिंग से माइक्रो सर्जरी तक नई रास्ते खोलता है।