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बाल वैज्ञानिकों के अंकल कलाम

इरफान ह्यूमन

बात भुवनेष्वर (उड़ीसा) में आयोजित भारतीय विज्ञान काँग्रेस के 99 वें अधिवेषन की है, जब अधिवेषन के दूसरे दिन यानी 4 जनवरी, 2012 को अखिल भारतीय स्तर पर बाल विज्ञान काँग्रेस कार्यक्रम का उद्घाटन पूर्व राष्ट्रपति भारत रत्न डा. एपीजे अब्दुल कलाम ने किया था। ज्ञात रहे बाल विज्ञान काँग्रेस बच्चों और शिक्षकों को राष्ट्र के भविष्य को दिखलाने के लिए उत्साहवर्धन करने का लक्ष्य प्रदान करता है, जिससे कि सृजनात्मकला और वैज्ञानिक मिज़ाज का विकास होता है। यह कार्यक्रम वास्तव में परस्पर सीखने-सिखाने की एक प्रक्रिया है जिसमें 10 से 17 आयुवर्ग के बच्चें कम से कम 3 और अधिक से अधिक 5 बच्चों का समूह बनाकर वैज्ञानिक विधि से कार्य करना सीखते हैं, अपने मार्गदर्शक शिक्षक के सहयोग से विषय से संबंधित आंकड़े एकत्र कर अपनी प्रोजेक्ट रिपोर्ट के साथ प्रतिभाग करते हैं। उस समय बाल विज्ञान काँग्रेस में ‘भूमि संसाधन समृद्धि हेतु उपयोग करें, भविष्य हेतु बचायें’ केन्द्रीय विषय एवं भूमि को जानें, भूमि का कार्य, भूमि की गुणवत्ता, भूमि पर मानवीय क्रियाकलाप, भूमि संसाधन का टिकाऊ उपयोग और भूमि उपयोग पर सामुदायिक ज्ञान जैसे उपविषयों पर बच्चों ने अपने वैज्ञानिक प्रोजेक्ट प्रस्तुत किए थे। बाल विज्ञान काँग्रेस बच्चों को बड़े-बड़े वैज्ञानिकों से मिलने और उनसे सीखने का बेहतरीन मौक़ा उपलब्ध कराती है। डॉ. कलाम का यह एक चहेता कार्यक्रम था और वह अपनी व्यस्तताओं के बावजूद राष्ट्रीय आयोजन के लिए समय निकालते थे। एक बार तो अपना स्वास्थ्य खराब होने के बावजूद वह उत्तर प्रदेष की राज्य स्तरीय बाल विज्ञान काँग्रेस में षिरकत करने पहुंचे थे। 
कल्पनाषील बनो
भारतीय विज्ञान काँग्रेस के 99 वें अधिवेषन में उन्होंने कहा था कि कल्पनाशीलता से सृजनता का प्रारम्भ होता है, इसलिए बच्चों का कल्पनाशील होना बहुत ज़रूरी है। सोचने से ज्ञान का विकास होता है और ज्ञान के विकास से व्यक्तित्व सुधरता है। उन्होंने बच्चों से आह्वान किया कि वे अपने जीवन में महान लक्ष्य रखें और कठिन परिश्रम के साथ हमेशा ज्ञान अर्जित करने के प्रयत्न में लगे रहें। अपने जीवन में आ रही विभिन्न समस्याओं से न घबरा कर उनका सफलतापूर्वक मुक़ाबला कर उन्हें परास्त करें। उन्होंने कहा कि बच्चों को महान पुस्तकों का अध्ययन करना चाहिए, महान व्यक्तियों से प्रेरणा लेना चाहिए और महान शिक्षकों से सीख लेना चाहिए, ये सभी मन को पोषक तत्व प्रदान करते हैं।
मन को पंख लगा दो
अपने भाषण मेें बातचीत करने के अंदाज़ में उन्होंने बच्चों को मन मंे ही अपने शरीर में पंख लगा कर उड़ने का प्रयास करने के लिए कहा। डॉ. कलाम ने कहा था कि बल्ब, हवाई जहाज़, टेलीफ़ोन, समुद्री यात्रा, रेडियम आदि के बारे में सोचते ही एक प्रमुख वैज्ञानिक का नाम मन में उभर आता है। ये सभी एक दूसरे से अलग और सृजनशील तरीके़ से सोचने थे। जीव विज्ञान पर चर्चा करते हुए मानव शरीर, मस्तिष्क और मन के बारे में डॉ. कलाम ने कहा था कि इस धरती पर मनुष्य द्वारा निर्मित किसी मशीन से व्यक्ति की सोचने की शक्ति कहीं अधिक शक्तिशाली है। चिंतन शक्ति की सीमा पार करने वाले व्यक्ति विशेष की सोच ही विश्व में ऐतिहासिक परिवर्तन लाती है।
तैयार रहो
सांस्कृतिक विकास पर बल देते हुए उन्होंने कहा था कि आज श्रेष्ठता की संस्कृति (कल्चर ऑफ़ एस्सेलेंस) विकसित किये जाने की आवश्यकता है, लेकिन यह दुर्घटनावश न होकर लगातार होना चाहिए। डा. कलाम ने बच्चों से कहा कि दुनिया वर्तमान में जल, ऊर्जा, आवास और पर्यावरण जैसे मुद्दों पर समस्याओं से घिरी हुई है। इन चुनौतियों का सामना करने के साथ-साथ इनसे मानव जाति को निजात दिलाने के लिए भी बच्चों को तैयार रहना चाहिए। उन्होंने कहा कि अगर सौर ऊर्जा का संग्रह किया जा सके तो इससे विश्व से ऊर्जा संकट दूर हो पाएगा।
कलाम की क्लास
डॉ . कलाम के सम्बोधन के समय अधिवेशन का यह सत्र उस समय स्कूल की एक कक्षा में तब्दील हो गया जब डा. कलाम ने बच्चों से परमाणु से लेकर ब्रह्माण्ड तक अनेक सवाल पूछ डाले। साथ ही साथ किसी दक्ष शिक्षक की तरह सही उत्तर पर ‘गुड’ और ‘वेरीगुड’ कहा। सवालों के स्वयं जवाब भी दिये और उन्हें वहीं याद रखने की मंशा से दोहरवाया भी। इसके साथ कई बार वैज्ञानिक सोच अपनाने, मानवता और पर्यावरण को बचाने की शपथ और एक कविता की पंक्तियों को वहां बच्चों से दोहरवाया, उस समय भारतीय विज्ञान काँग्रेस अधिवेषन में मौजूद बच्चों के साथ युवा और बुजुर्ग वैज्ञानिक भी इन पंक्तियों को दोहराते नज़र आये। उन्होंने कहा कि सवाल पूछने की मनोवृत्ति ही विज्ञान का मूल तत्व है, कल्पना ही सृष्टि की शुरूआत है और विज्ञान हमें उत्तम दृष्टिशक्ति प्रदान करता है। जो चाहते हो वह सोचो और अंत में इसके लिए मजबूत आत्मविश्वास के साथ कार्य करो।
अपने सम्बोधन के पश्चात डा. कलाम ने वहां उपथित 10 बच्चों का चयन किया और उनके मनचाहे प्रश्नों के उत्तर दिये। प्रश्न पूछने वाले लोगों का उत्साह देखकर उन्होंने वादा किया कि कोई भी व्यक्ति उनसे ई-मेल ;ंचर/ंइकनसांसंउण्बवउद्ध के माध्यम से प्रश्न पूछ सकता है। वह सवाल का 24 घण्टे के अंदर जवाब देंगे। वास्तव में बाल विज्ञान काँग्रेस में बाल वैज्ञानिकों को डॉ. कलाम की कमी हमेषा अखरती रहेगी।

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