रोबोट शब्द के जनक
डॉ.अरविन्द दुबे
इस प्रश्न का उत्तर आप में से बहुत से लोग आसानी से दे देंगे। ‘रोबोट’ षब्द का पहले-पहले प्रयोग जिस व्यक्ति ने किया था वह न तो वैज्ञानिक था, न इंजीनियर, न मैकेनिक। वह एक नामचीन नाटककार थे; चेक गणराज्य के लब्धप्रतिष्ठित लेखक केरेल कैपेक। उन्होंनेे ही पहले-पहल अपने एक विज्ञानकथा नाटक ‘रोसम्स यूनीवर्सल रोबोट्स’ (आर.यू.आर.) में ‘रोबोट’ षब्द का प्रयोग किया था। पर क्या सचमुच रोबोट षब्द उन्हीं के दिमाग की उपज थी?
‘रोबोट’ शब्द का अर्थ क्या है? ‘रोबोट’ शब्द वस्तुतः प्राचीन स्लावोनिक भाषा के षब्द ‘रोबोटा’ से लिया गया है जिसका अर्थ होता है ‘काम’ या ‘कार्य’। शब्द का मूल उद्भव जर्मन माषा के शब्द ‘आर्बिएट’ के साथ हुआ जिसका शाब्दिक अर्थ भी ‘काम’ ही होता है। चेक भाषा में इस शब्द का अर्थ होता है ‘बंधुआ मजदूर’। कैपेक ने अपने नाटक ‘आर.यू.आर.’ में यह शब्द इसी आशय से प्रयोग किया है। पहले इस के लिए ऑटोमेटॅान और एंड्रॉइड जैसे शब्द प्रयोग किए जाते थे। ‘रोबोट’ के बारे में क्या थी, कैरेल कैपेक की कल्पना?
जिस प्रकार की रचनाओं या यांत्रिक मानवों के लिए कैपेक ने ‘रोबोट’ शब्द का प्रयोग किया था वह वस्तुतः आज के ‘रोबोट’ से कतई मेल नहीं खाते हैं। कैपेक के यह ‘रोबोट’ आज के रोबोट जैसी धातु की बनी मशीनेें नहीं थेे वरन् वह और एक तरह की जीवित (जैवीय या बायोलोजीकल) मशीनें थीं जो बोल-चाल, व्यवहार और दिखने में बिलकुल मानवों जैसे थे। यहाँ तक कि उन्हें बहुत बार मानवों से अलग पहचानना भी कठिन हो जाता था। चंूकि कैपेक के जमाने में जैनेटिक इंजीनियरिंग का अता-पता तक न था इसलिए कैपेक की परिकल्पना में इन रोबोट्स के अंग-प्रत्यंग कारखानों में बनाए जाते थे फिर इन्हें कारखानों में अन्य मशीनों की तरह ही जोड़ा (असेम्बल) किया जाता था। उनके अनुसार यह रोबोट्स जैव मशीनें तो थे पर उनमें स्वयं उत्पादन क्षमता या प्रजनन नहीं होता था। कैपेक की इन जैविक मशीनों में सोचने व निर्णय लेने की क्षमता थी, उनमें भावनाएं थीं। कुल मिला कर वह एक तरह से स्वतंत्र मानवों की तरह की व्यवहार करते थे।
‘रोबोट’ शब्द के सर्वमान्य जनक, केरेल कैपेक मूलतः एक ऐसे साहित्यकार थे जिनके स्पष्ट सामाजिक और राजनैतिक सरोकार थे। जिसके चलते उन्हें जीवन भर संघर्ष करना पड़ा और गंभीर परेशानियों से दो-चार होना पड़ा। केरेल का जन्म 9 जनवरी 1890 को चेक गणराज्य में स्थित उत्तरी पूर्वी बोहेमियां में त्रुतनेव जिले के मेल स्वातोनोविस में हुआ था। पिता अंतोनिन कैपेक पेशे से डाक्टर थे जबकि मां बोजेना केपकोवा एक गृहणी। अपने भाई-बहनों में केरेल सबसे छोटे थे। उनसे बड़ा एक भाई था, जोसफ कैपेक, जो आगे चलकर एक प्रख्यात चित्रकार बना, और एक बहिन। केरेल की प्राथमिक शिक्षा पास के कस्बे यूपिस में हुई जहां उनके पिता आकर डाक्टरी की प्रैक्टिस करने लगेे थे। आगे की शिक्षा के लिए वह 1900 में अपनी दादी के पास पूर्वी बोहेमिया के एक प्रसिद्ध शहर हेडेक क्रेलोव चले गए जहाँ उन्होंने मिडिल स्कूल और हाई स्कूल की पढ़ाई की। सन् 1905 में हाई स्कूल की पढ़ाई के दौरान, एक बहिष्कृत छात्र संघ की सदस्यता लेने के आरोप में केरेल को स्कूल से निकाल दिया गया था। इससे निराश होकर वह अपनी विवाहित बड़ी बहन के पास, ब्रनौ चले आए और यहां दो वर्षों तक रहे। दो साल बाद वह अपने परिवार के पास प्राग (च्तंहनम) लौटे और सन् 1909 में उन्होंने स्नातक की डिग्री हासिल की। इसके बाद की उनकी पढ़ाई प्राग, बर्लिन, व पेरिस के विश्वविद्यालयों में हुई और उन्होनेे 1915 में दर्शनशास्त्र में स्नातकोत्तर उपाधि हासिल की। केरेल की अपने बडे भाई जोसेफ से काफी पटती थी यहां तक कि उन्होने कई नौकरियां भी साथ-साथ कीं, कई उत्तरदायित्व भी साथ-साथ संभाले। सन 1920 में केरेल की मुलाकात एक सुदंर अभिनेत्री ओल्गा से हुई जो जल्दी ही नजदीकियों में बदल गई। पंद्रह वर्षों के रोमांस के बाद ओल्गा और केरेल दाम्पत्य सूत्र में बंध गए। सन् 1920 में केरेल ने अपना विश्वप्रसिद्ध नाटक ‘रोसम्स यूनीवर्सल रोबोट्स (आर.यू.आर.) लिखा जिसमें उन्होने सर्वप्रथम ‘रोबोट’ शब्द का प्रयोग किया जिसके लिए वह दुनिया भर में जाने जाते हैं।
केरेल की सामाजिक व राजनैतिक प्रतिबद्धता तब मुखरित हुई जब उन्होंने अपने मित्र और चेकोस्लोवाकिया के तत्कालीन राष्ट्रपति तोमस गैरिक मसरिक की उपस्थिति में सन् 1927 की नव वर्ष पार्टी में चेकोस्लोवाकिया के राजनैतिक परिदृश्य पर कई व्यंग किए। यह सब अधिकारियों को नाराज करने भर को काफी था। प्रेस और मीडिया ने पूर्व नियोजित ढंग से उनके खिलाफ आंदोलन छेड़ दिया। कुपित केरेल ने आंदोलन करने वाले समाचार पत्रों के मालिकों के खिलाफ मानहानि को मुकदमा ठोंक दिया। अखबारों ने अंततः केरेल से क्षमा याचना की और इसे अपने पत्रों में भी प्रमुखता से छापा भी। 28 अक्टूबर 1927 को चेक गणतंत्र के स्वतंत्रता दिवस पर केरेल को अपने भाई जोसेफ के साथ उनके नाटक ‘एडम, दी क्रिएटर’ के लिए नाटकों का राष्ट्रीय पुरस्कार भी दिया गया। सन 1935 में कैपेक को अंतर्राष्ट्रीय पेन क्लब के तत्कालीन सभापति, प्रख्यात लेखक एच.जी. वेल्स (टाइम मशीन के लेखक) ने अतंर्राष्ट्रीय पेन क्लब के सभापति के पद के लिए मनोनीत किया पर केरेल ने यह प्रस्ताव ठुकरा दिया। नबम्बर 1936 में नार्वे के प्रेस संगठन ने केरेल को साहित्य के नोबेल पुरस्कार के लिए मनोनीत भी किया। जिस दौर में केरेल जी रहे थे वह हिटलर का दौर था। उसकी वक्रदृष्टि चेकोस्लोवाकिया पर थी। उसने किसी न किसी बहाने इस देश के सीमावर्ती इलाके हथियाए और अब उसी मंशा पूरे चेकोस्लोवाकिया पर अधिकार करने की थी। केरेल ने लेखन के साथ-साथ इस अतिक्रमण के खिलाफ देश की जनता को भी उत्साहित किया और मित्र राष्ट्रों को जर्मनी बढ़ते प्रभुत्व के खतरे से आगाह करने को अपना मिशन बना लिया। नजियों ने इसके लिए उन्हें ‘पब्लिक एनीमी नंबर-2’ घोषित कर दिया। जब म्यूनिख समझौते के तहत जर्मनी ने बोहेमिया को अपने कब्जे में ले लिया तब भी केरेल ने अपना देश नहीं छोड़ा, जब कि तब उन्हें पकड़े जाने और कांस्टेªशन कैम्प में डाल दिए जाने का खतरा था; जैसा कि बाद में उनके बडे भाई जोसेफ कैपेक के साथ हुआ। केरेल सारी जिंदगी ‘स्पोंडलाइटिस’ से पीड़ित रहे जिसके चलते उन्हें सेना में भरती नहीं किया गया था जिसका उन्हें सारी जिंदगी दु;ख रहा। सन् 1938 के दिसंबर के उत्तरार्ध में केरेल को गुरदों मंे सूजन और फ्लू हुआ। जिसके चलते 25 दिसम्बर 1938 की शाम उनकी जिंदगी में आखिरी शाम बन कर आई।
रोबोट शब्द के इस तथा कथित जन्मदाता केरेल कैपेक को वस्तुतः एक प्रतिभावान ‘विज्ञान कथा लेखक’ माना जाना चाहिए हालांकि तब विज्ञान कथा को साहित्य की एक पृथक विधा की तरह वर्गीकृत नहीं किया गया था। अतः उनके विज्ञान कथा लेखन को ‘प्रोटो साइंस फिक्शन’ भी कहा जा सकता है। कुछ विद्वान उन्हें ‘नॉन हार्डकोर यूरोपियन साइंस फिक्शन’ के संस्थापकों में से एक मानते है। इस प्रकार के साइंस फिक्शन (विज्ञान कथा साहित्य) में विज्ञान के अति उन्नत आविष्कारों या स्पेस टेªेवेल का विवरण तो नहीं होता है पर इसमें पृथ्वी पर मानवीय रिश्तों और संस्कृति के भविष्य दर्शन का पुट अवश्य रहता है। उनके लेखन में उस समय के चर्चित विज्ञान आविष्कारों के प्रति उनकी सामाजिक प्रतिबद्धता, साफ दिखाई पड़ती है। आणुविक आयुधों के अंधाधुंध निर्माण, मानवों के समान व्यवहार करने वाले यंत्रों यथा रोबोट्स या बुद्विमान सेलामेडर्स के निर्माण के सामाजिक मूल्यों या उस समय के मानवों पर क्या दुष्प्रभाव होंगे, यह उनकी विज्ञान कथाओं की मूल चिंता है। विप्लवों, प्रातियों आपदाओं, डिक्टेटरशिप, बढ़ती हिंसा, बड़े व्यावसायिक उपक्रमों (कारपोरेट्स) की बढ़ती शक्ति और समाज पर पकड़ से समाज पर होने वाले दुष्प्रभावों को भी उन्होंने अपनी रचनाओं का विषय बनाया है। उनकी रचनाएं इनके आगामी खतरों से सिर्फ आगाह ही नहीं करतीं अपितु इन विषम परिस्थितियों के बीच आम आदमी के लिए आशा की एक किरण भी दिखाती चलतीं हैं। इस सबके चलते उन्हें एक एक हार्डकोर विज्ञान कथा लेखक की बजाए अल्डुअस हक्सले (ब्रेव न्यूवर्ल्ड के लेखक) जार्ज ऑरवेल (1984 के लेखक) की तरह ‘स्पेकुलेटिव फिक्शन लेखक’ माना जाना चाहिए। हालांकि स्पेकुलेटिव फिक्शन एक तरह का साइंस फिक्शन ही है। पर इसको वर्गीकृत करने के मानदंड हार्डकोर सांइस फिक्शन की अपेक्षा कम सख्त होते हैं। केरेल कैपेक के लेखन ने उनके बाद के कुछ विज्ञान, कथाकारों को इस कदर प्रभावित किया कि उन्हें आज भी केरेल कैपेक का साहित्यिक उत्तराधिकारी माना जाना है। इनमें रे ब्रेडबरी, सलमान रुशदी, ब्रियान एल्डिस, डान सिमंड्स जैसे नाम भी है। इन विज्ञान कथाओं के अतिरिक्त कैपेक ने जासूसी कहानियां, सामाजिक उपन्यास, परी कथाएं, मंचीय नाटक एवम् बागवानी पर भी एक किताब लिखी है। रोसम्स यूनीवर्सल रोबेट्स (आर.यू.आर.) केरेल कैपेक को सबसे अधिक प्रसिद्धि, सन् 1920 में लिखे, उनके इस विज्ञान कथा नाटक से ही मिली जिसमें पहली बार प्रयुक्त शब्द ‘रोबोट’ ने इसे कालजयी बना दिया। तीन अंकों के इस नाटक के पहले अंक में एक बड़ी इंडस्ट्रियल कम्पनी के प्रेसीडंेट की पुत्री हेलेना एक छोटे द्वीप पर बनी एक फैक्ट्री ‘रोसम्स यूनीवर्सल रोबोट्स’ के भ्रमण पर आती है। वह यहां इस कंपनी के मुख्य प्रबंधक डोमिन से मिलती है जो उसे कम्पनी के इतिहास के बारे में बताता है। वह बताता है कि सन् 1920 में रोसम नाम का एक व्यक्ति इस आइलैंड पर समुद्री जैव विज्ञान (मरीन बायोलोजी) के अध्ययन हेतु आया था। बारह साल बाद यहां उसे एक विशेष प्रकार का रसायन हाथ लगा जो जैव कोशिका के अंदर पाए जाने वाले ‘प्रोटोप्लाज्म’ की तरह व्यवहार करता है। वह इस प्रोटोप्लाज्म से जीवधारी बनाने की जुगत में है पर उसके कई प्रयास नाकाम रहते है। एक दिन उसका भतीजा उसके पास आता है। प्रोटोप्लाज्म जैसे रसायन के उपयोग पर दोनों में बहस होती है। बड़ा रोसम तो सिर्फ कुत्ते या छोटे जानवर बनाना चाहता है ताकि उसकी ‘एथिस्ट’ सोच को बल मिल सके। वह यह कह सके कि जीवों बनाने में ईश्वर की कोई भूमिका नहीं है या फिर ईश्वर जैसी किसी सत्ता का कोई अस्तित्व ही नहीं है पर जूनियर रोसम को इसमें अपार संभावनाएं और अकूत धन-दौलत दिखती है। वह अपने चाचा सीनियर रोसम को उसकी फैक्ट्री में ही बंद कर के चला जाता है। बाहर जाकर वह बहुत सारी फैक्ट्रियां लगाता हैं जिनमें वह थोक के थोक यांत्रिक मानव या रोबोट्स बनाता है सन् 1950 व 1960 के बीच रोबोट्स का निर्माण इतना बढ़ता है कि दुनियाँ भर मंे हर काम के लिए सस्ते रोबोट्स आसानी से उपलब्ध होने लगते हैं। इससे रोजमर्रा के उपयोग में आने वाली चीजों के मूल्यों पर अविश्वसनीय ढंग से फर्क पड़ता है। रोबोट्स द्वारा निर्माण किए जाने के कारण ज्यादातर वस्तुओं के दाम अस्सी प्रतिशत तक गिर जाते हैं। हेलेना वहां कैब्री, डॉ. गाल, एलक्विस्ट और हॉलमियर से मिलकर उन्हें बताती है कि वह ‘लीग ऑफ हयूमेनिटी’ संगठन की प्रतिनिधि है जिसका उद्देश्य रोबोट्स को बंधुआ मजदूरी से मुक्ति दिलाना है। दूसरे वह यह भी मांग करती है कि रोबोट्स को उनकी मेहनत के बदले भुगतान भी किया जाना चाहिए ताकि वह अपनी मनपसंद चीजें खरीद सकें। कारखाने के मालिक, हेलेना के इस प्रस्ताव का मजाक उड़ाते हैं क्यांेकि रोबोट्स की कोई पसंद-नापंसद है ही नहीं। डोमिन और हेलेना में प्यार हो जाता है और उनकी सगाई हो जाती है। नाटक के दूसरे अंक में इससे दस वर्ष बाद का दृश्य है। मानव की संतानोपत्ति की गति काफी धीमी हो गई है। डॉ. गाल अपने नए रोबोट प्रयोग ‘रेडियस’ के लिए एक अतिविकसित रोबोटेस ‘रोबोट हेलेना’ बनाते है। असली मानव हेलेना चोरी से रोबोट्स के निर्माण का फार्मूला प्राप्त करके उसे नष्ट कर देती है ताकि अब आगे और रोबोट्स न बनाए जा सकें। इसी अंक में रोबोट्स मानवों के लिखाफ विद्रोह कर देते हैं। जिससे निपटने के लिए यह सोचा जाता है कि रोबोट्स की सार्वभौमिक भाषा (सारे विश्व के रोबोट्स एक ही भाषा का प्रयोग करते है इसलिए यह यह सोचा गया कि वह कभी भी भाषा के स्तर पर एक हो सकते हैं।) मानव के अस्तित्व के लिए खतरा बन सकती है इसलिए अब ऐसे रोबोट्स का निर्माण किया जाना चाहिए जो सिर्फ अपने एक छोटे से ग्रुप की भाषा ही समझ सकें। तब हेलेना यह रोज खोलती है कि वह तो रोबोट्स के निर्माण का फार्मूला जला चुकी है। मानवों के नए प्रकार के रोबोट्स के निर्माण के इस प्रस्ताव से क्रोधित रोबोट्स सारी फैक्टरी पर अधिकार कर लेते है और मानवों को मारना शुरू कर देते हैं। अंततः रोबोट्स पहले फैक्ट्री के, फिर आइलैंड के सारे मनुष्यों को मार देते हैं, सिवाय एलक्विस्ट के। रोबोट्स उसे अपने जैसा ही मानते है क्योंकि एलक्विस्ट भी अपने हाथों से रोबोट की तरह ही काम करता है। अंतिम और समापन अंक में कई साल बीत चुके हैं। पृथ्वी के सारे मानव, रोबोट्स द्वारा मारे जा चुके हैं। सिर्फ एलक्विस्ट बचा है। रोबोट्स उसे आदेश देते हैं कि वह रोबोट बनाने का फार्मूला फिर से खोजे जिस पर एलक्विस्ट उनसे किसी और जीवित मुनष्य को खोज कर लाने को कहता है पर अब तो पृथ्वी पर कोई मनुष्य बचा ही नहीं है। अंततः वह प्रस्ताव रखता है कि वह रोबोट्स को मार कर उनका शवोच्छेदन (पोस्टमॉर्टम) करके फार्मूला खोजने प्रयास कर सकता है। अधिकारी रोबोट्स उसे इसकी इजाजत दे देते हैं। अब एलिक्वस्ट इस की आड़ में रोबोट्स से मानवों की हत्याओं का बदला लेना शुरू कर देता है और रोबोट्स को लगातार मारता जाता है। अंत में उसे भी इस मार-काट से विरक्ति हो जाती है। रोबोट प्राइमस और रोबोटेस हेलेना दोनों में न जाने कैसे मानवोचित संवेदनाएं उत्पन्न हो गईं हैं। वह दोनों एक दूसरे से प्यार करने लगते हैं। जब एक बार एलक्विस्ट प्राइमस और हेलेना भी को मारने की धमकी देता है तो वे दोनों इसके लिए सहर्ष राजी हो जाते है पर उनकी शर्त है कि इसके बाद वह अन्य रोबोट्स को नहीं मारेगा। एलक्विस्ट इन रोबोट्स में मानवीय संवेदनाएं देख कर आश्चर्यचकित हो जाता ह’। वह सोचता है कि जब यह मानवों जैसे हो गए हैं तो हो सकता है यही आने वाली दुनिया का सृजन करने के लिए आदम और हव्वा साबित हांे। अंततः वह उन्हें नहीं मारता है और बाकी दुनिया पर आधिपत्य करने के लिए उन्हें छोड़ देता है।
इस नाटक पर टिप्पणी करके हुए प्रख्यात विज्ञान कथा लेखक इसाक आसिमोव ने इसे बहुत घटिया तरीके से लिखी रचना बताया है (वैरी बैडली रिटिन) पर कहा कि इसमें रोबोट शब्द का पहली बार प्रयोग किया गया है इसीलिए यह कालजयी रचना बन गई है। आसिमोव का यह कथन उनकी अहमन्यता, अतिवादिता और उच्चता ग्रंथि का ही परिचायक है, नहीं तो एक ऐसे लेखक, जिसे नोन हार्डकोर यूरोपियन साइंस फिक्शन के संस्थापकों में से एक माना जाता हो, जिसको कई बार साहित्य के नोबेल पुरस्कार के लिए नामित किया जा चुका हो, (कैपेक को यह पुरूस्कार हिटलर की वजह से उपजे राजनैतिक कारणों से नहीं मिला था। स्वीडिश एकेडेमी केरेल को नोबेल पुरस्कार देने को राजी थी बशर्ते वह कुछ ऐसा लिख कर दे दें जो नाजियों और हिटलर के खिलाफ न हो पर कैपेक ने इसके लिए साफ मना कर दिया था।), उसके लेखन को घटिया ठहराने के पीछे आसिमोव की मंशा क्या हो सकती है? वैसे भी आसिमोव विज्ञान कथाओं के मसीहा भी नहीं हैं (कोई लेखक हो भी नहीं सकता) जो किसी विज्ञान कथा साहित्य को श्रेष्ठ होने का सर्टिफिकेट उनसे लेना जरूरी हो; पर इस विषय पर चर्चा फिर कभी।
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