गैनीमीड में जीवन संभावना
कालीशंकर
ज्ञात सूचना के अनुसार वृहस्पति ग्रह के 67 चन्द्रमा हैं तथा इनमें सबसे बड़ा चन्द्रमा गैनीमीड है। यह केवल वृहस्पति ग्रह का ही नहीं बल्कि सौर तंत्र का सबसे बड़ा चन्द्र्रमा है। इसकी खोज 7 जनवरी 1610 को गैलीलियो गैली के द्वारा की गई। थी। हाल के अध्ययनों से यह पता चला है कि गैनीमीड चन्द्रमा में जीवन होने के आसार लगते हैं। 1970 में नासा के वैज्ञानिकों ने इसकी आन्तरिक दो परतों के बीच एक बड़ा समुद्र होने की आशंका जताई थी। वर्ष 1990 में नासा का गैलीलियों मिशन गैनीमीड चन्द्रमा के पास से गुजरा तथा इसने इस चन्द्रमा में समुद्र होने की पुष्टि की। वर्ष 2014 में इस चन्द्रमा के विश्लेशण पर एक रिपोर्ट प्रकाषित की गई जिसमें नमक के प्रभाव का इस चन्द्रमा की आन्तरिक संरचना से जोड़ा गया तथा रिपोर्ट के अनुसार गैनीमीड चन्द्रमा में अनेक समुद्र की परतें हो सकती हैं जो बर्फ के द्वारा विभिन्न अवस्थाओं में विभाजित की गई हैं। समुद्रों की आखिरी परत चट्टानी मैन्टल के नीचे है। पानी और चट्टान सम्पर्क जीवन अस्तित्व का एक महत्वपूर्ण गणक हो सकता है।
पिछले वर्ष नासा ने इस बात की पुष्टि की थी कि वृहस्पति ग्रह के बर्फीले चन्द्रमा योरोपा में जीवन हो सकता है लेकिन नासा के द्वारा हाल में इस बात की पुष्टि की गई है कि वृहस्पति ग्रह का चन्द्रमा गैनीमीड बर्फ और द्रव की प्रचुर मात्रा रखता है इसलिए इसमें जीवन हो सकता है। इसे इस प्रकार भी कहा जा सकता है कि इसके अन्दर जीवन में सहायक होने वाले तथा जीवन को सपोर्ट करने वाले सभी गणक मौजूद हैं।
ग्रहों के चन्द्रमाओं पर उप-सतही समुद्र होना कोई नही नई बात नही है। इस प्रकार की खोजें वृहस्पति ग्रह के चन्द्रमा योरोपा तथा षनि ग्रह के चन्द्रमाओं टाइटन और इंकेलैडस पर की जा चुकी हैं। नासा के मिशन गैलीलियो (1989 और 2003 के बीच-बृहस्पति ग्रह के लिए ) के अनुसार गैनीमीड पानी का विशाल भंडार हो सकता है। ‘यूनीवर्स टुडे‘ इन्टरनेट साइट के अनुसार गैलीलियो मिशन वर्ष 2000 में गैनीमीड साइट के पास से गुजरा तथा प्राप्त आंकड़ों के अनुसार गैनीमीड चन्द्रमा के समुद्रों की गहराई कई सौ मील हो सकती है।
इस चन्द्रमा में लवणयुक्त समुद्री सतहों का खुलासा वैसे तो 1990 के अन्त में हो गया था लेकिन इसकी पुष्टि हाल की जेट प्रापल्सन प्रयोगषाला के एक अध्ययन के द्वारा हुई। इस सन्दर्भ मंे नासा के अंतरिक्ष जीव विज्ञानी स्टीव वैन्से ने कहा, परतयुक्त समुद्र (गैनीमीड चन्द्रमा के ) इस चन्द्रमा की प्राचीन काल में जीवन होने की पुष्टि करते हैं। गैनीमीड चन्द्र्रमा के समुद्रों की तकनीकी दृष्टि से कम्प्यूटर के द्वारा माडलिंग की गई है (प्रयोग शाला में ) तथा उसके आधार पर भी नासा इस निष्कर्ष पर पहुँचा है कि यह चन्द्रमा जीवन को सपोर्ट करने की क्षमता रखता है।
यद्यपि यह बात अभी तक निष्चित रूप से नही मालूम हो पाई है कि गैनीमीड चन्द्रमा मंे द्रव पानी और बर्फ की कितनी परतें है लेकिन इसकी परतदार द्रव के स्वरूप विभिन्न घनत्व दर्षाते हैं। डेली मेल, ब्रिटेन पत्रिका के आधार पर विभिन्न घनत्वों का सन्तुलन इस प्रकार का होता है जिससे सबसे ऊपर वाली परत की घनत्व रचना उस बर्फ के समान होती है जिसे आप पेय दृव्य में डालकर पीते हैं तथा सबसे अधिक घनत्व वाली परत सबसे नीचे होती है। स्टीव वैन्से के अनुसार ‘गैनीमीड चन्द्रमा में समुद्र सैन्डविच परतों के रूप में हो सकते हैं।’ इस चन्द्रमा का परतयुक्त अन्तः आकार का प्रस्ताव पिछले वर्ष वैन्से और उनकी टीम ने दिया था तथा यह प्रस्ताव हालिया संकल्पनात्मक कम्प्यूटर माडलिंग पर आधारित है। माडलिंग के आधार पर पूर्व अनुमानित परतें और चट्टानें (गैनीमीड चन्द्रमा के अन्तः की) वास्तव में बर्फ की परतें, पानी और चट्टानें हैं। प्रायः जहाँ कहीं भी पानी और चट्टानों की अन्योन्यक्रिया ( इन्टरऐक्शन ) होती है वहाँ पर जीवन होने की सम्भावना बढ़ जाती है और यही मामला गैनीमीड चन्द्रमा के विशय में भी है। वैन्से और उनकी टीम के द्वारा प्रस्तावित माडल गैनीमीड चन्द्रमा के अन्तः की पूरी गतिकी (डाइनामिक्स) को ही बदल देती है। यदि सबसे हल्की बर्फ सबसे ऊपर है तो सबसे नमकीन द्रव सबसे नीचे पहुँच जाता है। वैन्से के अनुसार ‘उपर्युक्त समाचार गैनीमीड के लिए शुभ है। इसका समुद्र विषाल है जिसमें महान दाब मौजूद है।’
गैनीमीड चन्द्रमा के कुछ विशिष्ट तथ्य
वृहस्पति ग्रह का चन्द्रमा सौर तंत्र का सबसे बड़ा चन्द्रमा है तथा यह बुध ग्रह और प्लूटो से भी बड़ा है तथा मंगल ग्रह से थोड़ा ही छोटा है। इसे आसानी से ग्रह की संज्ञा दी जा सकती थी, यदि यह वृहस्पति ग्रह के बजाय सूर्य की परिक्रमा कर रहा होता। वृहस्पति ग्रह से दूरी के हिसाब से यह 7 वाँ चन्द्रमा है। इसका व्यास 5262 कि.मी. है जो कि बुध ग्रह के व्यास से बड़ा है। यह चन्द्रमा 1ए070ए400 कि.मी. की दूरी से वृहस्पति ग्रह की परिक्रमा करता है तथा ग्रह की एक परिक्रमा करने में 7 दिन 7 घंटे का समय लेता है। गैनीमीड चन्द्रमा का घनत्व कम है तथा इसका भार बुध ग्रह के भार का आधा है। निम्न भार होने के कारण इसकी आधी संरचना जल बर्फ से हुई है। गैनीमीड चन्द्रमा के बर्फीली परत के नीचे पानी होने की सम्भावना है। इसका वायुमंडल है लेकिन आयन मंडल नहीं है। हब्बल अन्तरिक्ष दूरबीन के द्वारा गैनीमीड चन्द्रमा के वायुमंडल में ओजोन होने का पता चला है। गैनीमीड सौर तंत्र का अकेला चन्द्रमा है जिसका अपना चुम्बक मंडल है।
अनुसंधानकर्ताओं की टीम की उपलब्धियाँ
अनुसंधानकर्ताओं की टीम के परिणाम और उपलब्धियाँ ‘जर्नल प्लेनेटरी एण्ड स्पेस साइन्स’ में प्रकाषित हुई हैं। परिणामों के अनुसार बर्फ-और-जल सैन्डविच (परतों में) परिघटना गैनीमीड में घट रही होगी। ये परिणाम और अनुमान यह इंगित करते है कि गैनीमीड में जीवन रहा होगा। ये अध्ययन यह भी बताते हैं कि गैनीमीड की चट्टानी परत के ठीक ऊपर नमकीन पानी की परत हो सकती है। वैज्ञानिकों के अनुसार चट्टान और पानी का इन्टरएक्षन जीवन होने का सीधा परिणाम देता है। अध्ययनों से इस बात की भी पुष्टि हुई है कि गैनीमीड चन्द्रमा के समुद्रों का आयतन पृृृथ्वी के समुद्रों की तुलना में 25 गुना होगा जब कि गैनीमीड चन्द्रमा का अर्द्धव्यास पृथ्वी के अर्द्धव्यास का 41ः होगा। सौर तंत्र में कुछ ही स्थल है जिनमें उप सतही जल होने की सम्भावना लगती है। इस सन्दर्भ में वृहस्पति ग्रह का चन्द्रमा योरोपा और कैलिस्टो तथा षनि ग्रह के चन्द्रमा टाइटन और एंकेलैडस भी बर्फ के नीचे समुद्र होने के उम्मीदवार है। नासा के कैसिनी मिषन से प्राप्त आंकड़ों के अनुसार चन्द्रमा एंकेलैडस में एक समुद्र कम से कम ‘लेक सुपीरियर’ के बराबर है।
स्टीव वैन्से और उनकी अनुसन्धान कर्ताओं की टीम ने कभी गैनीमीड चन्द्रमा को नहीं विजिट किया है लेकिन उनके द्वारा किये गये पृथ्वी प्रयोगशाला परीक्षण वृहस्पति ग्रह के चन्द्रमा गैनीमीड में बर्फ और नमकीन पानी (साल्टी वाटर) होने की पुष्टि करते हैं। कम्प्यूटर माडल इस सन्दर्भ में इस बात की ओर इषारा करते हैं कि गैनीमीड में कम से कम तीन बर्फ की परते होंगी जिनके बीच में द्रव समुद्र होगा। अमरीकी अन्तरिक्ष संस्था नासा ने पहले 1970 में गैनीमीड में समुद्र होने का अनुमान लगया था। उसके बाद 1990 में गैलीलियो अन्तरिक्ष मिषन गैनीमीड चन्द्रमा के पास से गुजरा तथा इस मिषन ने इस बात की पुष्टि की कि गैनीमीड में समुद्र हैं जिनकी गइराई सैकड़ों मील हो सकती है। गैलीलियो मिषन ने गैनीमीड चन्द्रमा में नमकीन समुद्र होने की भी पुश्टि की जिसमें मैग्नीषियम सल्फेट हो सकता है। बाद में अध्ययन के आधार पर यह पाया गया कि मात्र दो परतों के बीच गैनीमीड चन्द्रमा में समुद्र होगा लेकिन नये अनुसंधानों से पता चलता है कि गैनीमीड में समुद्र दो से अधिक परतों के बीच होगा। योरपीय अन्तरिक्ष संस्था एक अन्तरिक्ष मिशन पर कार्य कर रही है जो योरोपा, कैलिस्टो और गैनीमीड चन्द्रमाओं को विजिट करेगा। वर्तमान में आशा की जाती है कि इसका प्रमोचन वर्ष 2022 में किया जायेगा और यह 2030 में वृहस्पति ग्रह पहुँचेगा। नासा इस मिशन के लिए कुछ उपकरण प्रदान करेगा। इस मिशन का नाम जूस (जूपिटर आइसी मून एक्सप्लोरर) मिशन है।
गैनीमीड चन्द्रमा का अन्वेशण
अनेक अन्तरिक्ष प्रोबो ने गैनीमीड के समीप से गुजरकर तथा इस चन्द्रमा की परिक्रमा करके इस चन्द्रमा की जानकारी हासिल की है। इनमें से 1970 की चार समीपता (्फ्लाई बाई) उड़ानंे तथा 1990-2000 के बीच इसके पास से गुजरने वाले अनेक मिषन षामिल हैं। पायनियर 10 वर्ष 1973 में इसके समीप से गुजरा तथा पायनियर 11 मिशन 1974 में इसके समीप से गुजरा। इन अभियानों ने इस चन्द्रमा की महत्वपूर्ण जानकारी पृथ्वी को भेजी। इसमें इसके भौतिक गुणों की सूक्ष्मता से ली गई जानकारी तथा इसकी सतह के 400 कि.मी. के विभेदन से किए गये फोटो षामिल थे। इसके बाद वायजर -1 और वायजर -2 मिशन 1979 में इसके समीप से गुजरे। इन अभियानों ने इस चन्द्रमा के आकार की और अधिक सूक्ष्म जानकारी दी तथा इन अभियानों से इस बात का पर्दाफाष हुआ कि गैनीमीड षनि ग्रह के चन्द्रमा टाइटन से बड़ा है। इसके पहले यह सोचा जाता था कि टाइटन गैनीमीड से बड़ा है। इन मिषनों में द्वारा गैनीमीड में ग्रूवदार (ग्रूव्ड ) सतह भी देखी गई। 1995 में गैलीलियों अन्तरिक्ष यान वृहस्पति ग्रह की कक्षा में प्रवेष किया तथा 1996 से 2000 के बीच यह गैनीमीड के विशय में जानकारी हासिल करने के लिए 6 बार इसके बहुत समीप से गुजरा। सबसे अधिक समीपता के दौरान गैलीलियों मिषन गैनीमीड से 264 कि.मी. की दूरी से गुजरा। गैनीमीड के विशय में हालिया जानकारी देने वाला मिषन ‘न्यू होरिजन्स’ था जिसका गन्तव्य लक्ष्य प्लूटो है। इस मिषन ने अपनी यात्रा के दौरान गैनीमीड की फोटोग्राफी और संरचना मानचित्र प्रदान किये। भविष्य के लिए कुछ अन्य मिषन गैनीमीड के अध्ययन के लिए प्रस्तावित हैं। इनमें प्रथम मिषन है योरापा जूपिटर सिस्टम मिषन जिसकी प्रमोचन तिथि 2020 है। रूसी अन्तरिक्ष संस्था ‘गैनीमीड लैन्डर’ मिषन पर कार्य कर रही है। यह लैन्डर जूस मिषन का एक हिस्सा होगा। एक अन्य गैनीमीड अन्वेशण मिषन (जो रद्द कर दिया गया है) था-‘यूपिटर आइसी मून्स आरबिटर’।
वृहस्पति ग्रह के चन्द्रमा - एक विवेचन
आज की तिथि तक वृहस्पति ग्रह के 67 चन्द्रमा हैं जिनकी पुष्टि की जा चुकी है। इनमें से सबसे भारी चार चन्द्रमा हैं जिन्हे गैलीलियन चन्द्रमा कहते हैं। ये चार गैलीलियन चन्द्रमा हैं-आइओ, योरोपा, गैनीमीड और कैलिस्टो। वृहस्पति ग्रह का चन्द्रमा गैनीमीड सौर तंत्र का सबसे बड़ा चन्द्रमा है। गैनीमीड चन्द्रमा का जड़त्व आघूर्ण (मोमेन्ट आफ इनर्षिया) ठोस सौर तंत्र पिन्डो में सबसे कम है।
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