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आईफास्ट का विज्ञान कार्यक्रम: सविष्कार

देश के विकास की पहचान, वहां के विकसित विज्ञान से होती है। पूर्व के समय में देश के विकास की पहचान कला और संस्कृति से होती थी। सविष्कार में शामिल युवा टेक्नोक्रेट और वैज्ञानिक निश्चित ही देश का विकास करेंगे। ये विचार मध्यप्रदेश विधानसभा के अध्यक्ष सीताशरण शर्मा ने मैनिट में आयोजित तीन दिवसीय सविष्कार (आईफास्ट-2015) के समापन समारोह में बतौर मुख्य अतिथि व्यक्त किए। समारोह में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के राष्ट्रीय संगठन मंत्री सुनील आम्बेकर बतौर मुख्य वक्ता और भारतीय उद्योग परिसंघ के अध्यक्ष सीपी शर्मा बतौर अध्यक्ष मौजूद थे। समारोह में मानव संसाधन विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने वीडियो के द्वारा संदेश दिया। मध्यप्रदेश विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद, विद्यार्थी कल्याण न्यास और अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित सविष्कार (आईफास्ट-2015) के समापन समारोह में विधानसभा अध्यक्ष श्री शर्मा ने कहा कि युवा वैज्ञानिकों को आगे बढ़ाने के लिए प्रदेश और केन्द्र सरकार प्रयासरत हैं। युवाओं के प्रोजेक्ट और आइडिया को धरातल पर लाने में पहले बहुत-सी बाधाएं थीं। प्रदेश और केन्द्र सरकार इन्हीं बाधाओं को हटाने का काम कर रही है। कार्यक्रम के मुख्य वक्ता सुनील आम्बेकर ने कहा कि सविष्कार में देखने में आया कि युवा टेक्नोक्रेट ने समाज की आम समस्याओं को दूर करने वाले प्रोजेक्ट प्रदर्शित किए। युवाओं की यह सोच सराहनीय है। आम आदमी के सपनों को तकनीक में जगह मिले तो देश में बड़ा बदलाव देखने को मिल सकता है। उन्होंने कहा कि मौलिक आइडिया से ही सफलता मिलती है, नकल से नहीं। अमरीका, चीन, जापान और रूस जैसे देशों की नकल करके भारत विकास नहीं कर सकता। देशज तकनीक पर ही जोर देना होगा। इसके अलावा श्री आम्बेकर ने कहा कि विचारधाराओं के खूनी संघर्ष से दुनिया को भारत ही बचा सकता है। दुनिया में शांति की स्थापना के लिए भारत का ताकतवर होना बहुत जरूरी है। इस मौके पर सविष्कार की स्मारिका का भी विमोचन किया गया। मैनिट के डायरेक्टर अप्पू कुट्टन, मैपकॉस्ट के डायरेक्टर प्रमोद वर्मा और अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष शशिरंजन अकेला भी मौजूद थे। कार्यक्रम का संचालन मैनिट के सहायक प्राध्यापक मनोज आर्या ने किया। पुरस्कारों की घोषणा प्रो. प्रज्ञेश अग्रवाल ने की। सविष्कार में प्रदर्शित ऊर्जारेटर, सोलर शिप एज वाटर ड्रोन, सोलर पेनल एनर्जी मैनेजमेंट और एनर्जी एफ़ीसिएंट सोलर सिस्टम सहित अन्य प्रोजेक्ट को 11 अलग-अलग थीम में प्रथम, द्वितीय, तृतीय और सांत्वना पुरस्कार प्रदान किया गया। इसके साथ ही टेक्निकल पेपर को भी पुरस्कार दिए गए। कुल पुरस्कारों की राशि छह लाख से अधिक थी। 
सविष्कार के तीसरे दिन तीन समानांतर सत्रों का भी आयोजन किया गया। डीआरडीओ, आरसीआई के डायरेक्टर जी. सथीश रेड्डी ने युवाओं को मिसाइल और टैंक की नवीनतम तकनीक के बारे में बताया। मध्यप्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सदस्य एए मिश्रा ने भी युवाओं को सम्बोधित किया। जबकि भारतीय शिक्षा मण्डल के राष्ट्रीय सह सचिव मुकुल कानिटकर ने स्वामी विवेकानन्द और विज्ञान पर विचार व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि समाज के हित में विज्ञान होना चाहिए। लोगों के चेहरे पर मुस्कान ला देने वाली तकनीक ही श्रेष्ठ है। उन्होंने कहा कि विद्यार्थियों को मल्टी नेशनल कंपनी में नौकरी के सपने देखना छोड़कर अपने समाज के लिए कुछ करने का विचार करना चाहिए। वहीं, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के वरिष्ठ प्रचारक रवि अय्यर ने कहा कि दुनिया के सब देश भारतीय विद्यार्थियों से डरे हुए हैं। उन्होंने सत्या नडेला, इंद्रा नूई, विक्रम पण्डित, रटन टाटा और लक्ष्मी मित्तल सहित कई भारतियों का उदाहरण देते हुए बताया कि भारतीय किस तरह दुनिया पर छाए हुए हैं। 
क्राम्प्टन ग्रीव्स और एचईजी ने भी अपने महत्वपूर्ण उपकरणों का प्रदर्शन किया और विद्यार्थियों को उनके बारे में जानकारी दी। जबकि टेक्निकल एजुकेशन के स्टॉल पर सरकार की महत्वपूर्ण योजनाओं की जानकारी विद्यार्थियों को दी गई। इसके साथ ही डीआरडीओ, ऊर्जा विकास निगम, पर्यटन निगम, नगरीय प्रशासन, सीआईपीईटी, एसटीपीआई, डीटीई, आरजीपीवाय, बीईई, मप्र वाणिज्य एवं उद्योग विभाग और खादी ग्रामोद्योग बोर्ड ने भी अपने स्टॉल लगाए। इन स्टॉल पर भी विद्यार्थियों और आगंतुकों की भारी भीड़ देखी गई। आखिरी दिन भी देशभर से आए युवा टेक्नोक्रेट ने भी अपने प्रोजेक्ट का प्रदर्शन किया। 
ओरिएंटल इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस एण्ड टेक्नॉलॉजी के छात्र अनुराग, ऋषि, प्रियांशु, ख्याती और काव्या ने ऐसा एण्ड्रॉयड एप्लीकेशन तैयार किया है, जिसकी मदद से किसान घर बैठे ही खेत में पानी दे सकेंगे। किसान को मोटर चालू करने के लिए खेत तक जाने की जरूरत नहीं होगी। वह इस एप का इस्तेमाल करते हुए घर बैठे ही मोटर चालू कर सकेगा। छात्रों ने कहा कि वे भविष्य में किसान की मदद करने वाली और भी एप्लीकेशन डेवलप करेंगे। 
यदि आप घर पर टेलीविजन, लाइट या पंखा चालू छोड़ आए हैं तो चिंता नहीं करें। अब इन्हें बंद करने के लिए आपको घर वापस जाने की जरूरत नहीं होगी। आप जहां हैं, वहीं से अपने मोबाइल फोन से एक मैसेज भेजकर इन्हें बंद कर सकते हैं। ओरिएंटल इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस एण्ड टेक्नॉलॉजी के इलेक्ट्रॉनिक कम्यूनिकेशन के विद्यार्थी अदिति, आयुषि द्विवेदी, करण सोमझानी और किशन सिंह ने यह सब संभव करने वाला एक एप्लीकेशन तैयार किया है। 
आंध्रप्रदेश के प्रकाशम् इंजीनियरिंग कॉलेज के छात्रों ने एलोवेरा के उपयोग से ‘ग्रीन बैटरी’ बनाई है। एम. बाशा, एम. मणितेजा और एम. मुरलीकृष्णा ने बताया कि एलोवेरा की अम्लीय प्रकृति के कारण इससे विद्युत उत्पादन सम्भव किया गया है। अपने कॉलेज में लाइट जलाने के लिए ग्रीन बैटरी का उपयोग करते हैं, जो उनके प्रोजेक्ट की सफलता की निशानी है। प्रतिभागियों ने कहा, सविष्कार जैसे आयोजन बार-बार होने चाहिए। 

अनूठे प्रोजेक्ट का प्रदर्शन

पेट्रोल के लगातार बढ़ते दाम अब आपको सताएंगे नहीं और न ही महंगी बिजली आपके घर का बजट बिगाड़ेगी। यह सब संभव कर दिखाया है युवा टेक्नोक्रेट्स ने। आम आदमी की रोजमर्रा की समस्याओं को हल करने के लिए तकनीक के विद्यार्थियों ने कई प्रोजेक्ट तैयार किए हैं। मैनिट में आयोजित सविष्कार (आईफास्ट-2015) में अपने प्रोजेक्ट का सफल प्रदर्शन भी युवाओं ने किया। तकनीक और प्रौद्योगिकी से जुड़े लोगों ने युवाओं के प्रोजेक्ट्स की सराहना की। इसके साथ ही अलग-अलग विषयों पर 12 सत्रों में विषय विशेषज्ञों ने युवाओं का मार्गदर्शन और उनकी जिज्ञासाओं का समाधान किया। मध्यप्रदेश विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद, विद्यार्थी कल्याण न्यास और अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित सविष्कार (आईफास्ट-2015) में देश के विभिन्न प्रदेशों से आए छात्रों ने अपने प्रोजेक्ट का प्रदर्शन किया। आरिएंटल ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूट के छात्रों ने एचएचओ जनरेटर नाम की एक डिवाइस बनाई है। इस डिवाइस के उपयोग से किसी भी गाड़ी को पानी से चलाया जा सकता है। छात्र प्रिंस सिंह चौहान, शैलेन्द्र सिंह, अमन सक्सेना और अभिषेक ठाकुर ने बताया कि डिवाइस के उपयोग से गाड़ी का एवरेज भी बढ़ जाएगा। इससे पर्यावरण को भी कोई नुकसान नहीं होगा। चार दोस्तों हर्ष शर्मा, अमित साहू, राहुल सिन्हा और लेखा शर्मा ने एक ऐसी मशीन बनाई है, जिससे कोई भी व्यक्ति घर में ही बिजली बना सकता है। उन्होंने बताया कि इस मशीन की मदद से मैकेनिकल एनर्जी को इलेक्ट्रीकल एनर्जी में परिवर्तित कर देते हैं, जिससे बिजली पैदा हो जाती है। इस मशीन का उपयोग रिवर फ्लो, कोल्हू का बैल, स्टडी टेबल और जिम साइकिंलग करते हुए किया जा सकता है। खास बात यह है कि महज 50-60 हजार रुपये में ‘आम आदमी की बिजली’ मशीन तैयार हो जाती है। बीवीआरटी, हैदराबाद से आई छात्रा काव्या और सौजन्य ने स्पेशल चाइल्ड के लिए ‘किड जोन’ नाम की एण्ड्राइड एप बनाई है। इसकी मदद से ये बच्चे बोलना ही नहीं बल्कि पढ़ना भी सीख सकते हैं। ऐसे ही अनूठे प्रोजेक्ट विद्यार्थी सविष्कार में लेकर आए हैं, जो सीधे तौर पर आम आदमी की रोज की जरूरत और उसकी समस्याओं से जुड़े हुए हैं। 
क्राम्प्टन ग्रीव्स और एचईजी ने भी अपने महत्वपूर्ण उपकरणों का प्रदर्शन किया और विद्यार्थियों को उनके बारे में जानकारी दी। जबकि टेक्निकल एजुकेशन के स्टॉल पर सरकार की महत्वपूर्ण योजनाओं की जानकारी विद्यार्थियों को दी गई। इसके साथ ही डीआरडीओ, ऊर्जा विकास निगम, पर्यटन निगम, नगरीय प्रशासन, सीआईपीईटी, एसटीपीआई, डीटीई, आरजीपीवाय, बीईई, मप्र वाणिज्य एवं उद्योग विभाग और खादी ग्रामोद्योग बोर्ड ने भी अपने स्टॉल लगाए। दूसरे दिन 12 सत्रों में विभिन्न विषय विशेषज्ञों ने विद्यार्थियों को बताया कि तकनीक के क्षेत्र में कैसे न केवल खुद का करियर बनाएं बल्कि अपने देश को भी मजबूत करें। विद्यार्थियों के व्यक्तित्व निर्माण के सूत्र भी विशेषज्ञों ने दिए। माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. बृजकिशोर कुठियाला ने कहा कि किसी भी प्रकार की 
तकनीक तैयार करने के लिए सकारात्मक मन की आवश्यकता होती है। दरअसल, जैसा मन होगा, वैसा विचार बनेगा और आखिर में वैसा समाज बनेगा। उन्होंने बताया कि बाहर का वातावरण कैसा भी हो, लेकिन मन का वातावरण अच्छा रहेगा तो निश्चित ही आपको सफलता मिलेगी। यदि आपका संकल्प पवित्र है तो प्रकृति भी उसे पूर्ण करने में आपकी मदद करती है। प्रो. कुठियाला ने कहा कि मनुष्य पर ही नहीं बल्कि पेड़-पौधों और पानी पर भी विचारों का प्रभाव पड़ता है। भारतीय वैज्ञानिक प्रो. जगदीश चन्द्र बसु ने यह सिद्ध भी करके दिखा है कि पेड़ रोते भी हैं और खुश भी होते हैं। विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए मप्र पर्यटन बोर्ड के एमडी अश्विनी लोहानी ने कहा कि हम अपनी मंजिल तय करें, कैसे हासिल करेंगे, इसके फेर में नहीं फंसे। बस इतना ठान लें कि मंजिल ढूंढ ही लेंगे। वहीं अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के राष्ट्रीय मंत्री श्रीहरि बोरिकर ने कहा कि अपने सपनों को पूरा करने के लिए हमें कुछ अधिक मेहनत करना चाहिए। जबकि एएफआरसी के ओएसडी सुनील कुमार ने कहा कि नवाचार को नहीं बढ़ाएंगे तो देश की गरीबी दूर नहीं की जा सकती। इसके साथ ही एसटीपीआई के ओमकार राय, डीआईसीसीआई के अध्यक्ष मिलिन्द काम्बले, आरिएंटल ग्रुप के अध्यक्ष प्रवीण ठकराल, एनपीएल के वैज्ञानिक सचिव डॉ. आलोक मुखर्जी, वीसीआई के अध्यक्ष डॉ. उमेश शर्मा, बनारस हिन्दू विष्वविद्याल की सदस्य प्रो. कुसुमलता केडिय़ा, सैफिया टेक्नॉलॉजी के एमडी धनंजय पाण्डेय, आरसीआई के डायरेक्टर डॉ. जी. सतीश, ट्रिन्टी कॉलेज के अध्यक्ष शोभित जैन, आईईएस ग्रुप के अध्यक्ष बीएस यादव सहित अन्य विशेषज्ञ और विद्वानों ने विभिन्न सत्रों में विद्यार्थियों का मार्गदर्शन किया। 

बैम्बू हाउसिंग बेहतर विकल्प 

रायपुर के एमएम कॉलेज के छात्रों ने बैम्बू हाउसिंग को स्टील एवं कांक्रीट से बने घरों का बेहतर विकल्प बताया है। लेकिन, इसकी संरचना में आंशिक बदलाव करने होंगे। 50 वर्षों तक बैम्बू हाउस इस्तेमाल में लाए जा सकते हैं। पर्यावरण को भी इससे किसी तरह का नुकसान नहीं पहुंचेगा। इसकी खास बात यह है कि बांस से बने घरों की छतों पर खेती भी की जा सकती है। प्रोजेक्ट को तैयार करने वाले अंकित पाण्डेय, आशीष गिरी, सचिन सोलंकी और अमित गिरी ने बताया कि रायपुर के पास महासमुद्र में इस बैम्बू हाउसिंग का सफल प्रयोग भी किया जा रहा है। 
रायपुर के आईटीएम कॉलेज के विद्यार्थियों ने ग्रामीण सड़क विकास के मामले में एक सार्थक कदम उठाया है। शुभम जायसवाल, चिराग आथा, श्वेता सिंह और उमेश आडवानी ने बताया कि उनके आसपास के गांव में सड़कें तो बनती थीं लेकिन बाढ़ और अन्य कारणों से ज्यादा दिन टिक नहीं पाती थीं। ऐसे में इन छात्रों ने पहल कर बिना किसी सरकारी मदद के स्थानीय स्रोतों और कूड़े-कचरे, विशेषकर प्लास्टिक का उपयोग कर टिकाऊ सड़क का निर्माण किया है, जो अब बाढ़ में बहती नहीं। इस सड़क की लागत भी कम आई है। 
डीआरडीओ अपने हैदराबाद, ग्वालियर और आगरा के सेंटर द्वारा विकसित प्रोजेक्ट के साथ सविष्कार में शामिल हुआ है। डीआरडीओ ने ‘नजर (नाभकीय, जैविक, रसायनिक)’ प्रोजेक्ट को शामिल किया है, जो कि आपदा की पहचान, सुरक्षा और उसके शुद्धिकरण पर केन्द्रित है। एडीआरडीई भारतीय सेना में इस्तेमाल किए जाने वाले पैरासूट के बारे में विद्यार्थियों को जानकारी दे रहा है। आरसीई हैदराबाद ने मिसाइल के अंदरुनी भागों के बारे और डीआरडीएल हैदराबाद ने विभिन्न भारतीय मिसाइल के बारे में पोस्टर प्रदर्शनी लगाई है। ये एलसीडी पर मिसाइल फायरिंग शो भी दिखा रहे हैं, जो आकर्षण का केन्द्र बन गया है।