इंटरनेट पर भारतीय भाषाओं को बढ़ावा
भारत में इंटरनेट की मजबूत पकड़ बनाने के लिए गूगल ने सोमवार को अपने इंडस्घ्ट्री पार्टनर्स के साथ मिलकर इंडियन लैंग्वेज इंटरनेट अलायंस (आइएलआइए) की घोषणा की। यह एक ऐसा ग्रुप है भारतीय भाषाओं के कंटेंट को ऑनलाइन बढ़ावा देने के लिए बनाया गया है। गूगल के मैनेजिंग डायरेक्टर राजन आनंदन ने कहा, इस नए पहल से वर्ष 2017 तक भारत में इंटरनेट यूजर्स की संख्घ्या बढ़कर 500 मिलियन तक पहुंच जाएगी। गूगल ने हिंदीभाषी यूजर्स के लिए एक वेबसाइट ूूूण्ीपदकपूमइण्बवउ भी लांच किया है। इस हिंदी प्लेटफार्म की मदद से इंटरनेट यूजर्स वेबसाइट, एप्स, वीडियो और ब्लॉग पर बेहतर हिंदी कंटेंट आसानी से खोज सकेंगे। भारत में अभी 200 मिलियन से ज्यादा इंटरनेट यूजर्स हैं और जल्द ही यह संख्या 500 मिलियन तक पहुंच जाएगी। हिंदी लैंग्वेज टूल इसमें काफी मददगार साबित होगी। इसकी सफलता चार खंभों पर आधारित है- एक्सेस, डिस्कवरिंग एबिलिटी, कंटेंट व इनोवेशन। फिलहाल गूगल ने 15 पार्टनर के साथ जुड़कर इंडियन लैंग्वेज मिशन को आगे ले जाने की ठानी है, इसमें आगे और पार्टनर के जुड़ने की संभावना है। सर्च इंचन हिंदी के अलावा अन्य भाषाओं जैसे तमिल, मराठी और बांग्ला को भी लाने की सोच रहा है। गूगल ने हिंदी वॉइस सर्च की शुरूआत कर दी है।
गूगल की नई मुहिम
भारत के इंटरनेट सर्विस व भारतीय इंटरनेट यूजर्स को ध्यान में रखते हुए हाल में ही नई दिल्ली में गूगल ने एक कांफ्रेंस आयोजित की। इंडियन लैंग्वेज इंटरनेट अलायंस नामक इस कांफ्रेंस में गूगल इंडिया के हेड राजन आनंदन ने मौजूदा लोगों व मीडिया को सम्बोधित किया और अपने विचार से अवगत कराया। कांफ्रेंस के दौरान राजन ने अपने संबोधन में भारतीय इंटरनेट यूजर्स पर खासा महत्व दिया। उन्होंने कहा, गूगल कंपनी भारत को विष्व की दूसरी सबसे बड़ी मार्केट के रूप में देखती है व वह जल्द ही इसे सफलता के शिखर पर पहुंचाएंगे। राजन ने सम्मेलन में भारतीय इंटरनेट यूजर्स व भारतीय भाषाओं पर भी चर्चा की। उन्होंने बताया कि अंग्रेजी भाषा इस्तेमाल करने वाले तकरीबन सभी यूजर्स आज इंटरनेट इस्तेमाल कर रहे हैं। यह सभी यूजर्स मोबाइल के माध्यम से भी इंटरनेट का इस्तेमाल करते हैं लेकिन भारत में ज्यादातर यूजर्स अंग्रेजी भाषा में कुशल नहीं होते हैं जिस पर ध्यान देना हमारे लिए काफी जरूरी है। इंटरनेट इस समय सभी भारतीय यूजर्स के लिए लाभदायक वस्तु है। न केवल अंग्रेजी भाषा जानने वाले बल्कि हिंदी भाषा इस्तेमाल करने वाले यूजर्स के लिए भी काम आता है।
राजन ने बताया कि आज जानकारी का उत्तम स्रोत कहे जाने वाले प्रोजेक्ट विकीपिडिया पर तकरीबन पेज 22000 हिंदी भाषा में हैं ताकि भारतीय यूजर्स इसका उपयोग कर सकें। यह देखते हुए हम महसूस करते हैं कि भारत में लोगों को इंटरनेट पर लाने का सबसे अच्छा तरीका है उनकी पसंद का कंटेंट बनाना यानि कि भारतीय भाषाओं को लाना। राजन का कहना है कि आज 400 मिलियन भारतीय अंग्रेजी भाषा की बजाय हिंदी भाषा की ज्यादा समझ रखते हैं। उन्होंने सम्मेलन के दौरान सबके सामने अपना लक्ष्य साझा किया कि किस तरह से वे वर्ष 2017 तक इंटरनेट पर 500 मिलियन नए यूजर्स लाना चाहते हैं। अगले तीन सालों में गूगल 300 मिलियन यूजर्स बनाने की कोशिश करेगा जिसका काम आसानी से पूरा हो जाने की संभावना भी है। सम्मेलन के दौरान गूगल इंडिया के उपाध्यक्ष अमित सिंघल ने अपने प्रोजेक्ट ‘सर्च’ के बारे में बात की। उन्होंने बताया कि गूगल पिछले 14 सालों से ‘सर्च’ पर काम कर रहा है। अमित ने बताया कि यह सर्च भविष्य में सबसे ज्यादा मोबाइल के माध्यम से किया जाएगा। विष्व भर में लोग अब ज्यादातर मोबाइल के माध्यम से इंटरनेट चला रहे हैं। सम्मेलन में इंटरनेट व लोगों कि जिंदगी को जोड़ा गया। यह हमारी जिंदगी को बहुत सरल बनाता है और ऐसा करने में गूगल का बहुत बड़ा योगदान है। उदाहरण के तौर पर आज एक किसान भी सभी लेटेस्ट तकनीकों को अपना रहे हैं, उन्हें सीख रहे हैं, लेकिन इन तकनीकों को उनके लिए अनुकूलित बनाना जरूरी है जिसमें भाषा का व कंटेंट का बहुत अहम मुद्दा है। सम्मेलन में गूगल की नई वेबसाइट ीपदकपूमइण्बवउ की भी चर्चा की गई जिसे जल्द ही कंपनी द्वारा लांच किया जा सकता है। यह गूगल के लिए एक महत्वपूर्ण अलायंस के रूप में माना जाएगा।
इंटरनेट स्पीड 17 गुना ज्यादा
हाल में आई इस खबर ने सब का ध्यान खींचा होगा कि पीएमओ में इंटरनेट की स्पीड आम इंटरनेट स्पीड से 17 गुना ज्यादा है। हालांकि, यह कोई अचरज की बात नहीं, क्योंकि प्रधानमंत्री का ऑफिस होने के कारण वहां बेहतर कनेक्टिविटी की जरूरत होती है। देश भर में इंटरनेट की औसत स्पीड जहां 2 एमबीपीएस है, वहीं प्रधानमंत्री के दफ्तर में इंटरनेट की स्पीड 17 गुना ज्यादा यानी 34 एमबीपीएस की है। आपको यह जानकर और भी हैरानी होगी कि पीएमओ की इंटरनेट स्पीड से भी 30 गुना ज्यादा स्पीड वाले इंटरनेट कनेक्शन भी हमारे देश में इस्तेमाल किया जा रहे हैं। जी हां, कोच्चि की एक कंपनी स्टार्ट-अप विलेज में 1 जीबीपीएस स्पीड का इंटरनेट कनेक्शन यूज किया जा रहा है। हालांकि, इतनी स्पीड गूगल फाइबर अमेरिका में आम नागरिकों को मुहैया कराता है। इसके बावजूद इंटरनेट की स्पीड के मामले में भारत की स्थिति अभी बहुत अच्छी नहीं है। औसतन 2 एमबीपीएस की इंटरनेट स्पीड के साथ भारत इस मामले में दुनिया में 115 वें स्थान पर है। यह एशिया में इंटरनेट की न्यूनतम स्पीड है। दुनिया भर में इंटरनेट की सबसे ज्यादा पीक एवरेज स्पीड साउथ कोरिया में 24ण्6 एमबीपीएस है। इसके बाद 15ण्1 एमबीपीएस स्पीड के साथ दूसरे नंबर पर हांगकांग है। एशिया में तीसरे नंबर पर जापान में यह स्पीड 14ण्9 एमबीपीएस है। भारत में पीक इंटरनेट स्पीड का औसत 14ण्2 एमबीपीएस है। देश के केवल 1ण्2 फीसदी लोग ही 10 एमबीपीएस से ज्यादा स्पीड की इंटरनेट लाइन इस्तेमाल करते हैं, जबकि साउथ कोरिया में ऐसे लोगों की संख्या 78 फीसदी है। डिजिटल इंडिया प्लान के तहत गांव-गांव तक अच्छी इंटरनेट स्पीड मुहैया कराने के लिए सरकार ने एक लाख करोड़ आवंटित किए हैं। यह लक्ष्य 2019 तक हासिल करने की योजना है।
माइक्रोसॉफ्ट दूसरी पायदान पर
माइक्रोसॉफ्ट ने एक्सन मोबाइल को पछाड़ते हुए दुनिया की दूसरी सबसे कीमती कंपनी बन गई है। माइक्रोसॉफ्ट के भारतीय मूल के सीईओ सत्या नडेला के लिए बड़ी कामयाबी के तौर पर देखा जा रहा है। अब माइक्रोसॉफ्ट से आगे सिर्फ एप्पल है। भारतीय के लिए एक बात गर्व करने की एक बात और ये है कि अब भारत में जल्द ही सभी को फ्री में इंटरनेट की सुविधा मुहैया कराई जाएगी। माइक्रोसॉफ्ट ने घोषणा की है कंपनी आने वाले दिनों में भारत में मुफ्त इंटरनेट उपलब्ध करवाने की योजना पर काम कर रही है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार माइक्रोसॉफ्ट ने देश में फ्री इंटरनेट उपलब्ध करवाने के लिए व्हाइट स्पेस स्पेक्ट्रम बैंड का इस्तेमाल करने का प्रस्ताव रखा है। मीडिया रिर्पाेट के मुताबिक माइक्रोसॉफ्ट इंडिया के चेयरमैन भास्कर प्रमाणिक ने कहा है कि व्हाइट स्पेस में उपलब्ध 200.300 मेगाहर्ट्ज का स्पेक्ट्रम बैंड 10 किलोमीटर तक पहुंच सकता है। जबकि वाई-फाई द्वारा उपलब्ध कराया जाने वाला स्पेक्ट्रम बैंड मात्र 100 मीटर की दूरी तक ही पहुंचता है। फिलहाल ये स्पेक्ट्रम सरकार और दूरदर्शन के पास हैं, जिसका इस्तेमाल तकरीबन नहीं के बराबर होता है। प्रमाणिक ने बताया कि कंपनी ने इस प्रोजेक्ट को दो जिलों में शुरू करने के लिए सरकार की मंजूरी मांगी है। यदि इन प्रोजेक्ट्स को मंजूरी मिलती है तो आने वाले समय में इससे देश की बहुत बड़ी आबादी को सस्ता इंटरनेट उपलब्ध कराया जा सकेगा।
इंटरनेट क्रांति में भारत तीसरे नंबर पर
मोबाइल फोन पर इंटरनेट के बढ़ते उपयोग के चलते इस साल के अंत तक भारत में इंटरनेट उपभोक्ताओं की संख्या 30ण्2 करोड़ का स्तर छू जाने की संभावना है। इससे भारत अमेरिका को पछाड़ते हुए विष्व का दूसरा सबसे बड़ा इंटरनेट बाजार बन जाएगा। इंटरनेट एंड मोबाइल एसोसिएशन ऑफ इंडिया और आईएमआरबी इंटरनेशनल की एक रिपोर्ट के मुताबिक, इस साल के अंत तक भारत में इंटरनेट उपयोक्ताओं की संख्या 32 प्रतिशत बढ़कर 30ण्2 करोड़ पर पहुंचने की संभावना है जो पिछले साल दिसंबर में 21ण्3 करोड़ थी। रिपोर्ट के मुताबिक, जून, 2015 तक देश में इंटरनेट उपभोक्ताओं की संख्या बढ़कर 35ण्4 करोड़ पर पहुंचने का अनुमान है।
वर्तमान में, भारत इंटरनेट उपभोक्ताओं की संख्या के लिहाज से विष्व का तीसरा सबसे बड़ा देश है। वर्तमान में, 60 करोड़ से अधिक इंटरनेट उपभोक्ताओं के साथ चीन पहले पायदान पर है, जबकि 27ण्9 करोड़ उपभोक्ताओं के साथ अमेरिका दूसरे पायदान पर है। भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण ने इंटरकनेक्ट शुल्क की समीक्षा की प्रक्रिया शुरू की है। एक दूरसंचार आपरेटर द्वारा दूसरे सेवा प्रदाता की नेटवर्क कॉल को पूरा करने के लिए जो भुगतान किया जाता है, उसे इंटरकनेक्ट शुल्क कहा जाता है। ट्राई ने 2003 में पहली बार इंटकनेक्ट यूसेज चार्ज की रूपरेखा तय की थी। उसके बाद 2006 व 2009 में इस शुल्क में संशोधन किया गया। मौजूदा आईयूसी व्यवस्था को 2009 में अधिसूचित किया गया था। फिलहाल मोबाइल कॉल टर्मिनेशन शुल्क स्थानीय व राष्ट्रीय लंबी दूरी की कॉल के लिए 20 पैसे प्रति मिनट है। इसका मतलब है कि एक दूरसंचार कंपनी को जिस कंपनी के नेटवर्क पर कॉल की गई है, को आईयूसी का भुगतान करना होगा। इनकमिंग अंतरराष्ट्रीय लंबी दूरी की कॉल्स के लिए टर्मिनेशन शुल्क 40 पैसे प्रति मिनट है। ट्राई ने आईयूसी पर परामर्श पत्र जारी कर इन विभिन्न मुद्दों पर अंशधारकों के विचार मांगे हैं। इसमें शुल्क व्यवस्था के लिए अपनाए जाने वाला रुख, मोबाइल टर्मिनेशन लागत का अनुमान लगाने का तौर तरीका और अंतरराष्ट्रीय टर्मिनेशन शुल्क का उचित स्तर शामिल हैं। नियामक ने पिछली समीक्षा में इंटरकनेक्ट शुल्क घटाया था।
सिर्फ 30 सैकंड में चार्ज होगा मोबाइल
एक इजराइली कंपनी ने ऐसी तकनीक से लैस चार्जर बनाया है, जो मोबाइल को कुछ सैकंड्स में ही पूरी तरह चार्ज कर देगा। इसी तरह, इलेक्ट्रिक कार को यह एक मिनट में चार्ज कर सकता है। चार्जर को इस तरह से बनाया गया है कि यह कई हाई बैटरी डिवाइस को भी जल्द ही चार्ज करने में सक्षम है। नैनो डॉट्स पर बेस्ड यह इनोवेशन फोम की तरह काम करता है, जो पलभर में काफी पावर सोख कर खुद को चार्ज कर लेता है। कंपनी का दावा है कि इससे महज 30 सेकंड में स्मार्टफोन को फुल चार्ज किया जा सकता है। यह स्लिम पावर बैंक बैटरी चार्जर 2016 तक बाजार में लॉन्च होगा। कंपनी स्टोरडॉट ने कुछ समय पहले माइक्रोसॉफ्ट की ओर से हुई थिंक नेक्स्ट कॉन्फ्रेंस के दौरान एक बैटरी चार्जर प्रोटोटाइप पेश किया था। इसके जरिए कंपनी ने सैमसंग गैलेक्सी एस4 स्मार्टफोन को 30 सेकंड में पूरी तरह से चार्ज करके दिखाया है। स्टोरडॉट ने नैनो डॉट के जरिए यह बैटरी बनाई है। यह डॉट दरअसल एक तरह के जैविक पेप्टाइड अणुओं से बने हैं, जो इलेक्ट्रोड की चार्जिग क्षमता को बढ़ा देते हैं। इसीलिए घंटों में चार्ज होने वाली बैटरी कुछ सेकंड में चार्ज हो रही है। फिलहाल इस टेक्नॉलॉजी से तैयारी बैटरी का आकार बड़ा है। इसे अभी मोबाइल में फिट नहीं किया जा सकता। लेकिन कंपनी इस पर भी काम कर रही है और 2016 तक ऐसी बैटरी बन जाएगी, जो मोबाइल में फिट हो जाएगी।
भारत में मुफ्त इंटरनेट लाएगा माइक्रोसॉफ्ट
माइक्रोसॉफ्ट भारत के हर प्रांत को इंटरनेट से जोड़ने की योजना बना रही है। कंपनी ने पूरे देश में मुफ्त इंटरनेट कनेक्टिविटी लाने की घोषणा की है। सूत्रों के अनुसार माइक्रोसॉफ्ट ने व्हाइट स्पेस या दो टीवी चैनल के बीच के खाली स्पेक्ट्रम का उपयोग कर इंटरनेट कनेक्टीविटी के विस्तार की योजना बनायी है। यह वाइ-फाइ की तरह नहीं होगा जिसका रेंज केवल 100 मीटर तक होता है बल्कि व्हाइट स्पेस में उपलब्ध 200-300 एमएचजेड स्पेक्ट्रम 10 किमी तक पहुंच सकते हैं। कंपनी की नजर उस स्पेक्ट्रम पर है जो फिलहाल सरकारी दूरदर्शन टीवी चैनल का है और अब तक उसका उपयोग नहीं किया गया है। फिलहाल दो बड़े राज्यों में यह प्रोजेक्ट शुरू करने के लिए माइक्रोसॉफ्ट अनुमति चाहता है। यह प्रस्ताव सही समय पर आया है जब प्रधानमंत्री ने डिजिटल इंडिया प्रोजेक्ट के लिए घोषणा की है। 250000 ग्राम पंचायतों को इंटरनेट कनेक्टिविटी मुहैया कराने के लिए इस प्रोजेक्ट में 1ण्2 बिलियन डॉलर की लागत आएगी। पूरे देश में इंटरनेट कनेक्टिविटी लाने के लिए फेसबुक और माइक्रोसॉफ्ट जैसी टेक्नॉलॉजी जगत की अधिकतर कंपनियां इस प्रोजेक्ट को सफल बनाने में अपना सपोर्ट देने को तैयार हैं।